OmExpress News / Bikaner / अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज के फेसबुक पेज पर साहित्यकार सांवर दइया की 30 वीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जोधपुर से शामिल हुए वरिष्ठ कहानीकार मनोहरसिंह राठौड़ ने कहा कि सांवर दइया जैसे रचनाकार युगों बाद जन्म लेते हैं। वे मेरे समकालीन और हमउम्र रचनाकार थे और मेरी उनसे बेहद निकटता रही। उन्होंने बहुत कम उम्र में बेहद उम्दा लेखन किया और उस लेखन में दम था इसलिए वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने अपने समय में रहते हुए बहुत आगे की सोच रखते हुए साहित्य लिखा। (30th Death Anniversary of Litterateur Sanwar Daiya)
राठौड़ ने कहा कि सांवर दइया के समय बहुत बड़े बड़े लेखन थे उनके बीच सांवर दइया चालीस की उम्र में तो छा गए थे। मुझे हर्ष है कि उनके पुत्र डॉ. नीरज दइया ने उनके कार्य को आगे बढ़या है।
अपने लेखन और कार्यों के प्रति बेहद ईमानदार थे सांवर जी : फारूक आफरीदी
जयपुर से जुड़े वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि सांवर जी और मैं जयपुर में एक ही प्रेस में राजकीय कार्य के निमित मिले तब उनको करीब से जानने समझने का अवसर मिला। सांवर दइया जिस उम्र में अन्य लेखन लिखना आरंभ करता है उस उम्र में वे बहुत अधिक काम कर के इस संसार से विदा हो गए। आफरीदी ने कहा कि लेखन से जुड़े सांवर दइया अपने लेखन और कार्यों के प्रति बेहद ईमानदार थे और अपनी मेधा से वे हर किसी को प्रभावित करने की क्षमता रखते थे।
सांवर जी ने राजस्थानी की अनेक विधाओं में सृजन कर राजस्थानी को समृद्ध बनाया: इंदु बारैठ
ऑनलाइन संगोष्ठी में लंदन से जुड़ी राजस्थानी विदुषी इंदु बारैठ ने कहा कि सांवर जी ने हिंदी के अद्भुत विद्वान राहुल सांकृत्यायन की तरह ही राजस्थानी की अनेक विधाओं में सृजन कर राजस्थानी को समृद्ध बनाया। देश-विदेश में जिन राजस्थानी लेखकों को जान-पहचाना जाता है उनमें विविध विधाओं में काम करने वाले सांवर दइया एक बहुत बड़ा नाम है।
बारैठ ने कहा कि उन्होंने बेहद कम उम्र में राजास्थानी और हिंदी में विपुल लेखन किया और उनके साहित्य में उनकी अपनी दुनिया प्रमाणिक रूप से हमें देखने को मिलती है। उन्होंने न केवल अपने समकालीन लेखकों को प्रभावित किया वरन वे सभी को साथ लेकर चले। कार्यक्रम में बारैठ ने सांवर दइया की राजस्थानी और हिंदी की कविताओं का वाचन कर उनके साहित्य पर विस्तार से अभिमत रखा।
राजस्थानी का ‘प्रेमचंद’ थे सांवर दइया : बुलाकी शर्मा
संगोष्ठी के सूत्रधार वरिष्ठ कहानीकार-व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने सांवर दइया को राजस्थानी का प्रेमचंद बताते हुए कहा कि उनके साहित्यिक अवदान को देखते हुए उनके नाम से आधुनिक युग का नामकरण करना समीचीन होगा। शर्मा ने कहा कि उनको बेहद करीब से जानने का मुझे अवसर मिला। वे जो भी कार्य करते थे उसमें पूर्ण रूप से तल्लीन होकर बहुत गंभीर काम करते थे।
ऑनलाइन संगोष्ठी में साहित्यकार नंद भारद्वाज, मधु आचार्य ‘आशावादी’, शारदा कृष्ण, जितेंद्र निर्मोही, मीठेश निर्मोही, देवकिशन राजपुरोहित, दीनदयाल शर्मा, शिवचरण शिवा, उषाकिरण सोनी, श्याम सुंदर भारती, राजेंद्र जोशी, जगदीश प्रसाद सोनी, हिंगलाज रतनू, डॉ. राजेंद्र बारहठ, मदनगोपाल लढ़ा,पत्रकार ओम दैया, मुकेश दैया, चंद्रशेखर जोशी, राजेंद्र शर्मा मुसाफिर, कृष्ण कुमार आशु, डॉ. सत्यनारायण सोनी, नीलम पारीक, राजाराम स्वर्णकार, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, मनोज कुमार स्वामी, रेखा लोढ़ा स्मित, जितेंद्र बागड़ी, भारती व्यास, आसंगघोष, मीरा कृष्णा, सुरेंद्र ओझा, डॉ. गोपाल राजगोपाल, मुकेश पोपली, मीठालाल खत्री, शंकर धाकड़ आदि ने चर्चा में भाग लिया।
अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज द्वारा अगला कार्यक्रम 8 अगस्त रविवार को ‘राजस्थानी में महिला लेखन और स्त्री विमर्श’ पर केंद्रित रहेगा, जिसमें जयपुर से वरिष्ठ कवयित्री डॉ शारदा कृष्ण, जोधपुर से वरिष्ठ गद्यकार श्रीमती बंसती पंवार और बीकानेर से श्रीमती मौनिका गौड़ से कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया चर्चा करेंगे।