– देवकिशन राजपुरोहित
किसी भी नगर का विकास वहां का व्यापार उद्योग जितना अधिक होगा उतना ही नगर विकसित होगा।जहां व्यापार उद्योग अधिक होगा वहा मजदूरी बढ़ेगी।बेरोजगारी पर लगाम कसेगी।
मेड़ता अनाज मंडी कभी पूरे देश की बड़ी मंडियों में अपना प्रभुत्व रखती थी इतना ही नहीं मेड़ता से निर्धारित भावों की अन्य मण्डिया प्रतीक्षा करती थी।अनाज मंडी में पूरे देश के बड़े बड़े व्यापारी आते थे।व्यापार करते थे।
व्यापार की रीढ़ की हड्डी थी रेल सेवा।किसी भी जगह से लोग सीधे मेड़ता आ जा सकते थे।वातानुकूलित डिब्बे भी मेड़ता रॉड आ कर मेड़ता सिटी की गाड़ी में लगते थे।
मेड़ता के व्यापारियों के लिए रोजाना चहल पहल रहती थी।
एक व्यापारी थे गोरधन सोनी।वे राजनेता भी थे।उन्होंने मेड़ता से विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा के सामने लड़ा।राजनीति के स्तम्भ मिर्धा को सोनी ने मात दे दी।
मिर्धा की पकड़ केवल नागौर ही नहीं पूरे प्रदेश और देश मे थी।उनको हारने पर बड़ा धक्का लगा।उनको पता चला कि मेड़ता के व्यापारियों ने मिल कर उनको हराया।अगर ऐसा ही रहा तो राजनीति में भविष्य में व्यापारी घुस गए तो अन्य लोगों का प्रवेश वर्जित हो जाएगा।
वे मेड़ता के व्यापारियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ने के उपाय सोचने लगे।व्यापारियों की रीढ़ थी यातायात का सफल साधन रेल सेवा।अगर रेल सेवा पर प्रहार कर दिया जाए कि पूरे देश के व्यापारियों से सम्बंद विच्छेद हो जाए।
मिर्धा साहब मेड़ता चुनाव के बाद ओर अधिक प्रभावशाली हो कर केंद्र में पहुंच गए।वे हर बात जिसकी गांठ बांध लेते थे कभी भूलते नहीं थे।उनको मेड़ता के व्याप्यरियो द्वारा जो हार दी गई थी उसका बदला चुकाने के अवसर आ गया था।
उन्होंने मेड़ता का देश से सीधा संपर्क तोड़ने की थानली थी।उन दिनों पहली रेल बस बनी थी उन्होंने रेल बस मेड़ता रॉड से मेड़ता सिटी के बीच चलवा दी।कहा तो स्लीपर कोच ओर वातानुकूलित डिंबों सहित पूरी रेल गाड़ी मेड़ता रॉड से मेड़ता सिटी तक चलती थी और कहा एक डिब्बा।वे चाहते तो कभी की पुष्कर रेल लाइन बिछवा कर मेड़ता को जोड़ सकते थे।
नतीजा यह हुआ कि बाहर से आने जाने वाले व्यापारी कष्टकारक यात्रा करने के बजाय अन्य मंडियों की तरफ चले गए और मेड़ता का अनाज और तिलहन का व्यापार मन्द हो गया।
आज मेड़ता के नागरिक अपने भाग्य को कोसते हैं और उस रेल डिब्बे को देख देख कर मन मसोसते हैं।
निरंतर