जयपुर। परिवहन विभाग सरकार के लिए राजस्व अर्जित करने वाले प्रमुख विभागों से एक है.पिछले 2 वर्ष से टारगेट को पूरा नहीं करने के कारण विभाग के सामने इस बार टारगेट तक पहुंचना बड़ी चुनौती है, लेकिन अधिकतर आरटीओ के लचर प्रदर्शन के कारण अभी परिवहन विभाग टारगेट से काफी दूर है. परिवहन विभाग सरकार के लिए राजस्व अर्जित करने वाले प्रमुख विभागों में से एक है.लेकिन बीते 2 साल से परिवहन विभाग टारगेट को पूरा नहीं कर पाया है पिछले साल कोरोना को इसका बड़ा कारण माना गया था.इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में भी राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर का व्यापाक असर रहा जिस कारण सभी विभागों समेत परिवहन विभाग का कामकाज भी खासा प्रभावित रहा है,लेकिन कोरोना से उबरने के बाद भी राजस्व संग्रहण में परिवहन विभाग का काम ज्यादा अच्छा नही है.अधिकतर आरटीओ के लचर प्रदर्शन के कारण विभाग अभी भी राजस्व से काफी पीछे है. मौज़ूदा वित्तीय वर्ष में विभाग को सरकार से 6500 करोड़ का टारगेट मिला है लेकिन विभाग को सितंबर महीने तक सिर्फ 1659 करोड़ का ही राजस्व मिला है.

– राजस्व कम अर्जित होने के पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना

सितंबर के महीने तक विभाग को 2600 करोड़ रुपये अर्जित करने थे लेकिन अभी तक सिर्फ 1659 करोड़ तक ही विभाग पहुंच पाया है,हालंकि राजस्व कम अर्जित होने के पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना के प्रभाव का ही है,लेकिन कोरोना से उबरने के बाद अधिकतर आरटीओ और डीटीओ सुस्त रफ्तार से काम कर रहे हैं इस कारण भी राजस्व की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही है. तबादलों के सीजन में तबादले होने से भी कामकाज पर काफी अधिक प्रभाव पड़ा है.आने वाले दिनों में अब त्योहारी सीजन में विभाग को अच्छा राजस्व मिलने की उम्मीद है. परिवहन विभाग को अधिकतम राजेश नई गाड़ियों की खरीद से मिलता है और दिवाली के सीजन में गाड़ियों की खरीद सबसे अधिक होती है ऐसे में उम्मीद की जा रही है दिवाली के खत्म होने तक परिवहन विभाग के राजस्व में काफी उछाल आ सकता है हालांकि इसके लिए सभी आरटीओ और डीटीओ को पूरे मनोयोग से काम करने की भी जरूरत है.

राजस्व की रफ्तार को बढ़ाने के लिए अब परिवहन विभाग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं.तबादलों की प्रकिया पूरी होने के बाद विभाग ने अब राजस्व संग्रहण कैसे बढ़ाया जाए इस पर फोकस शुरू कर दिया है.जल्द ही परिवहन आयुक्त महेंद्र सोनी सभी आरटीओ और डीटीओ की बैठक लेने वाले हैं.इस बैठक से टारगेट से काफी पीछे चल रहे आरटीओ और डीटीओ को रेवेन्यू बढ़ाने के लिए खास तौर पर निर्देश दिए जाएंगे. इसके साथ ही जल्द ही मुख्यालय से अधिकारियों की टीमें भी फील्ड में जा कर आरटीओ के कामकाम का रिव्यू करेंगी. परिवहन आयुक्त की कोशिश है कि दीपावली पर अधिक से अधिक राजस्व हासिल किया जाए.

– किस RTO का कैसा है अभी प्रदर्शन

1- भरतपुर RTO अभी रैंकिंग में पहले स्थान पर है. सितंबर तक यहां 257 करोड़ के मुकाबले 64 करोड़ का राजस्व मिल चुका है.

2- दौसा RTO रैकिंग में अभी दूसरे नंबर पर हैं,यहां 203 करोड़ के टारगेट के मुकाबले अभी तक 54 करोड़ का राजस्व मिल चुका है.

3-रैकिंग में तीसरा स्थान अभी जोधपुर RTO का है,जोधपुर को 641 करोड़ के टारगेट के मुकाबले 173 करोड़ का राजस्व मिला है.

4- सीकर RTO रैंकिंग में अभी चौथे स्थान पर है,500 करोड़ के मुक़ाबले 132 करोड़ का राजस्व अभी तक मिला है.

5- जयपुर RTO रेंकिंग में 5वे नंबर पर है,1311 करोड़ के टारगेट के मुक़ाबले जयपुर को अभी तक 339 करोड़ का राजस्व मिला है.

6-कोटा RTO रेंकिंग में 6वे स्थान पर है,कोटा का टारगेट 410 करोड़ का है, सितंबर तक कोटा को 107 करोड़ का राजस्व मिला है.

7-रेंकिंग में 7 वा स्थान चित्तौड़गढ़ RTO का है,यहां टारगेट 470 करोड़ का है जिसके मुकाबले अभी तक 104 करोड़ का राजस्व मिला है.

8- पाली RTO का प्रदर्शन अभी तक अच्छा नहीं है.340 करोड़ टारगेट के मुकाबले अभी तक यहां 89 करोड़ का राजस्व ही मिला है,राजस्व में पाली 8 वे नम्बर पर है.

9-बीकानेर RTO का प्रदर्शन भी निराशानजक ही है. रेंकिंग में 9 वे नंबर पर मौज़ूद बीकानेर को अभी तक 125 करोड़ का ही राजस्व मिला है

10- अलवर आरटीओ का प्रदर्शन भी असरदार नहीं है,380 करोड़ के टारगेट के मुकाबले अलवर को अभी तक 88 करोड़ ही मिले है. रेंकिंग में अलवर का 10 वा स्थान है.

11- अजमेर RTO रेंकिंग में 11 वे स्थान पर है. अजमेर को 575 करोड़ के मुकाबले अभी तक सिर्फ 140 करोड़ का ही राजस्व मिला है.

12- रेंकिंग में सबसे नीचे उदयपुर RTO है. उदयपुर को 597 करोड़ के मुकाबले 139 करोड़ का ही राजस्व मिला है.

टारगेट तक पहुंचने के लिए परिवहन विभाग को अब हर महीने में बेहतर काम करके दिखाना होगा.अक्टूबर से लेकर मार्च तक सभी RTO और डीटीओ के सामूहिक प्रयासों से बेहतर काम होगा तो ही विभाग इस वित्तीय वर्ष के टारगेट को हासिल कर पाएगा।