बेजुबान पंछियों की ले रहा जान, आमजन को दे रहा जीवन भर का दर्द

पतंग से आप-हमसब वाकिफ है । अनन्त आकाश में स्वच्छन्द हवा के सहारे उड़कर अपना परचम पहराने वाली पतंग का नाम सुनकर हर एक उम्र के शख्स के जिगर को मानो पंख लग जाते है । और मन करता है कि वह भी ऊंचे आकाश में उड़े और आकाश को छू ले । यही से बात करते है । दुनिया भर के विभिन्न देशों में पतंग उड़ाने की 2500 वर्षाें से लम्बी परम्परा और मान्यताएं रही है । अपने पंखों पर विजय और वर्चस्व की आशाओं का बोझ लेकर आसमान के आंचल में उड़ने वाली पतंग सदियों से एक रोमांचक खेल व हर्ष और खुशी का माध्यम रही है । वहीं समय के साथ बदलती पतंग ने अपनी डोर को भी बदला । वर्तमान की अंधी दौड़ में हमारी पतंग में साधारण डोर की जगह प्राणघातक चाईनीज डोर कब लग गई पता ही नही चला ।  

भारत में मकर सक्रान्ति पर्व से ठीक पहले पतंगबाजी का दौर शुरू हो जाता है । अगले एक माह तक बदस्तुर जारी रहता है । भारत जैसे विशाल देश में अलग-अलग हिस्सों में पतंगबाजी इतनी लोकप्रिय हुई कि कई कवियों ने भी इस साधारण-सी हवा में उड़ने वाली पतंग पर भी अनेकानेक कविताएँ लिख डालीं। कई स्थानो ंपर तो पतंगोत्सव का आयोजन होने लगा । मेले लगने लगे । परन्तु इसी पतंग के पीछे लगने वाला चाईनीज मांझा पिछले 10-12 वर्षाें से जानलेवा बन रहा है । चाईनीज मांझे का निर्माण प्लास्टिक की महीन तार के ऊपर कांच की धार व सिंथेटिक कैमिकल से होता है। जिससे इस डोर पर हार्ड कवच बन जाता है। जिससे यह न तो घिसती है व न ही टूटती है। इसकी वजह से न सिर्फ पतंगबाजी कर रहे लोगों के हाथ कट जाते हैं बल्कि गाड़ियों में यह मांझा फंसता है तो उनका बैलेंस बिगड़ता है, जिससे बाइक सवार को चोट लगती है और हादसे में मौत तक हो जाती है। इसके अलावा हर साल सैकड़ों पक्षी मांझों की चपेट में आकर जख्मी हो जाते हैं, मौत के मुहं में चले जाते है । शीशे आदि से बने मांझे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। नाईलोन से यह धागा बना होता है जिसमें डोर काटने के लिए शीशे के चूर का लेपन किया जाता है। इस वजह से यह आसानी से टूटता नहीं है। जिससे यह बहुत खतरनाक हो जाता है।

पंछियों की हिफाजत व सुरक्षित परवाज को लेकर हरवर्ष प्रशासन गाइडलाइन भी जारी करता है जिसमें पतंग उडाने के समय का जिक्र किया जाता है । जिसमें अमूमन प्रातः 6 बजे से तकरीबन प्रातः 8 बजे तक तथा शाम को 5 से रात 7 बजे तक पतंग नहीं उड़ाने के निर्देश जारी होते है । लेकिन प्रशासन की गाइडलाइन का ज्यादा कुछ असर दिखाई नहीं देता है । या यूं कहे इसे लेकर प्रशासनिक अमला कुछ ज्यादा गम्भीर नही है । सरकार को मांझे पर सबसे पहले रोक लगानी चाहिए। फैक्ट्रियां बंद करनी चाहिए। इससे पक्षियों के साथ इंसानों का भी जीवन खतरे में पड़ता है।

चाईनीज मांझे के दुष्परिणाम
चाईनीज मांझे की पतली व तेज धार होने से यह अंग काटने का कारण बनती है। खासकर पतंगबाजी के दौरान शरीर के किसी भी अंग से गुजरने पर इसका असर लोहे की आरी जैसा होता है। ऐसे में पीड़ित की नस कटने से उसकी मौत भी हो सकती है। इस मांझे से कई बार किसी अंग के कटने से इसका दर्द जिन्दगी भर बना रहता है । पतंगबाजी के इस शौक से न केवल सड़क दुर्घटनाएं होती हैं बल्कि पशु और पक्षियों को भी चोटें आती हैं। कई पक्षी तो मांझों की चपेट में आकर जीवन भर उड़ नहीं पाते। अपने प्राण तक गवां देते है । पतंगबाजी विशेषकर चाईनीज मांझे के कारण बच्चों, पशु, पक्षियों सहित राहगीरों के साथ दुर्घटना होने के मामले भी प्रकाश में आते रहे हैं। यह चाईनीज मांझा सबसे अधिक दुपहिया सवार मोटर साइकिल चालकों के लिए खतरा बन रहा है।

प्रशासन व आमजन की जिम्मेदारी
चाईनीज मांझे की बाजार में बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध होने के बावजूद भी ड्रैगन मांझे पर पूर्ण रूप से रोक नहीं लग रही है। इसके लिए पुलिस व जिला प्रशासन को और अधिक मुस्तैदी से सख्ती करने की जरूरत है। यह चाईनीज मांझा बेजुबान पंछियों, बच्चों व बाइक सवारों के लिए मौत का सौदागर बन रही है । इसके लिए जहां प्रशासन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है, वहीं इसके लिए जन-जागरूकता अभियान की भी सख्त आवश्यकता है ताकि पतंगबाजी में चाईनीज मांझे से होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके । चाईनीज मांझे के खिलाफ समाज में वृहत् स्तर पर जागरूकता लाए जाने की जरूरत है।

सार और संक्षेप में यही बात रहती है कि चाईनीज मांझे के उपयोग से प्रतिवर्ष पूरे भारत में सैंकड़ों हादसे होते है जिसमें कई बच्चों व कई राहगीरों को मौत के मुहं में जाना पड़ता है । यह चाईनीज मांझा आदमी से अधिक तो बेजुबान पंछियों के लिए प्राणघातक बन रहा है । हरवर्ष हजारों पंछियों को आदमी के पतंगबाजी के शौक में चाईनीज मांझे से मौत की भेंट चढ़ना पड़ता है । इस ओर सरकारों व प्रशासन को बड़ी गम्भीरता व संजीदगी के साथ विचार करने की जरूरत है । तथा पुख्ता कानून व कार्यवाही निश्चित करने की सख्त जरूरत है । वहीं आमजन विशेषकर अभिभावकों को सजग रहकर बच्चों को चाईनीज मांझे से दूर रखना पड़ेगा । बच्चों में जीवों के प्रति दया व अहिंसा की भावना का विकास करने की महती आवश्यकता है ।