राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का 30 जनवरी को कश्मीर में समापन होगा। लाल चौक में राहुल तिरंगा झंडा फहरायेंगे और वहां एक सभा भी होगी। इस होने वाली सभा को लेकर देश की राजनीति में खासी हलचल है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 30 जनवरी का दिन देश की भावी राजनीति के लिए खास महत्त्व का है।
भारत जोड़ो यात्रा के समापन की सभा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश 20 विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखकर सभा में भागीदारी का आग्रह किया है। कौन कौन से विपक्षी दल इसमें शामिल होंगे, इस पर भाजपा की भी नजर है। क्योंकि इसे विपक्ष की एकता का गम्भीर प्रयास माना जा रहा है। अब तक विपक्ष की एकता के जितने भी प्रयास हुए वो कांग्रेस की पहल पर नहीं हुए थे, हालांकि कांग्रेस ने उन प्रयासों को साथ दिया। अपने को अलग नहीं किया। भले ही वे प्रयास ममता दीदी ने किए हों या नीतीश व शरद पंवार ने। पहली बार कांग्रेस ने एकता की पहल की है। हर विपक्षी दल भीतर से ये जानता है कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की एकता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। देश में भाजपा के बाद सर्वाधिक सांसद व विधायक इसी दल के है। तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और दो राज्यों की सरकार का वो हिस्सा है। इसलिए विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी है।
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल को जहां एक तरफ अच्छा जन समर्थन मिला वहीं उनके विरुद्ध किये गये नकारात्मक प्रचार को भी इस बार लोगों ने खारिज किया। कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता भी हार की हताशा से उबर के उत्साह में आये। कांग्रेस की गुटबाजी पर पूरी नहीं तो कुछ तो लगाम लगी। राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा व कर्नाटक इसके जीवंत उदाहरण है।
इसके अलावा यात्रा को शरद पंवार, उद्धव ठाकरे, फारूक अब्दुल्ला सहित अनेक बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों, सिने अभिनेताओं आदि का भी सहयोग मिला। कांग्रेस को सबसे बड़ा लाभ कश्मीर में हुआ। दो महीने पहले कश्मीर के सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ गुलाम नबी आजाद के साथ हो गये थे, वे भी गुलाम नबी की पार्टी को खाली करके घर वापसी कर गये। वापसी करने का सिलसिला अब भी जारी है। सपा, रालोद, मायावती आदि ने भाग न लिया हो मगर यात्रा को सही बताते हुए शुभकामनाएं दी। ये ही सब बातें विपक्षी एकता के प्रयास की आधार बनी है।
30 जनवरी की सभा में भागीदारी के आग्रह के काँग्रेस के पत्र पर भी सकारात्मक बयान आये हैं। फारूक अब्दुल्ला, शिव सेना उद्धव, महबूबा मुफ्ती आदि तो कश्मीर में पहुंचने पर यात्रा में शामिल होने का कह चुके हैं। वहीं ममता की टीएमसी, सपा, एनसीपी, जेडीयू, आरजेडी आदि के बयान भी सकारात्मक है। कांग्रेस के नेता विपक्ष के नेताओं को कश्मीर सभा में लाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास कर रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के समापन की सभा और उसमें भाग लेने वाले दलों से विपक्षी एकता की तस्वीर भी पूरी तरह साफ हो जायेगी। कांग्रेस एकता में मुख्य भूमिका निभाएगी, ये भी तय है। भारत जोड़ों यात्रा देश की राजनीति में गहरा असर डालेगी, ये तो निश्चित है। अब इंतजार 30 जनवरी का है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार