भारत जोड़ो यात्रा का राजनीतिक लाभ कांग्रेस को कितना मिलेगा ये तो आने वाला समय बतायेगा। मगर एक बात तो हर राजनीतिक दल, नेता व आम आदमी मानने लग गया है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी की छवि में तो बदलाव करना आरम्भ कर दिया है। इसका अंदाजा उनके 5 बोल्ड बयानों से लगाया जा सकता है। जो तीन महीने से सर्वाधिक चर्चा में आये हैं।
उनका पहला बयान ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके साथ जाने वाले मध्यप्रदेश के विधायकों पर था। क्योंकि उनके कारण एमपी में कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी थी। उनके कांग्रेस में वापसी के सवाल पर व्यक्तिपरक न होकर राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह से धोखा देने वालों को वापस पार्टी में नहीं लिया जाना चाहिए। साथ ही ये भी कहा कि ये मेरी राय है, बाकी निर्णय तो खड़गे जी व पार्टी करेगी। इससे ये भी स्पष्ट कर दिया कि अब कांग्रेस में आलाकमान वे नहीं अध्यक्ष खड़गे हैं।
दूसरा बयान उन्होंने पार्टी छोड़कर गये गुलाम नबी आजाद पर दिया, जिन्होंने कश्मीर में नई पार्टी भी बना ली थी। इस पर राहुल ने कहा कि अब कांग्रेस व आजाद का डीएनए मेल नहीं खाता। ये बयान जहां समझदारी का था, वहीं ये भी दर्शाने वाला था कि सत्ता के लिए उनको हड़बड़ाहट नहीं है।
तीसरा बयान उन्होंने राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत व सचिन पायलट की आपसी टकराहट पर दिया। राहुल गांधी ने कहा कि गहलोत व पायलट दोनों कांग्रेस की एसेट है, दोनों की जरूरत है, किसी को भी पार्टी खोना नहीं चाहती। इसे संगठन की सोच का राहुल का समझदारी का बयान राजनीतिक हलके में माना गया। ये परिपक्व राजनेता का आभास कराता है।
चौथा बयान ‘ वो राहुल खत्म हो गया ‘ वाला था। भले ही विपक्ष उनके इस बयान को ट्रोल करता रहा मगर ये राहुल के आत्मबल को दर्शाने का बड़ा बयान था। उनका कहना था कि अनाप शनाप पैसा खर्च करके उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई, मगर उस छवि वाला राहुल अब नहीं रहा। ये मजबूत आत्म बल को अभिव्यक्त करने की बात थी जो हर राजनेता का प्राथमिक गुण होता है।
राहुल का पांचवां बोल्ड बयान सर्जिकल स्ट्राइक पर था। दिग्विजय सिंह ने एक बयान में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत केंद्र सरकार से मांगे। उनके इस बयान ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया। राहुल ने तुरंत दिग्गी राजा के बयान से असहमति जता पार्टी के रुख को स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं सेना के साथ हूं और उसकी वीरता, साहस की कद्र करता हूं। उससे सबूत मांगना सही नहीं। राहुल के इस स्पष्ट व बोल्ड बयान के बाद दिग्गी राजा को भी अपने सुर बदलने पड़े।
भारत जोड़ों यात्रा के चलते राहुल गांधी के इन 5 बयानों ने उनकी छवि में बदलाव का आभास आम जनता को दिया है। जाहिर है, एक राजनेता के तौर पर राहुल को फायदा हुआ है। अब इसका राजनीतिक फायदा कितना हुआ है ये तो इस साल होने वाले 10 राज्यों के चुनाव व अगले आम चुनाव में पता चलेगा।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार