जयपुर।अब तक हुए विधानसभा चुनावों में लक्ष्मणगढ़ सीट पर कांग्रेस पार्टी का ही दबदबा रहा है। 1951 से लेकर 2013 तक पार्टी के प्रत्याशियों ने नौ बार जीत हासिल की है। 1951 में लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर एक ही विधानसभा क्षेत्र था। 1957 में अलग से विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र गठित होने के बाद कांग्रेस के किशन सिंह पहले विधायक चुने गए। 1962 के दूसरे चुनावों में भी किशनसिंह ही विजयी रहे। 1967 से 1972 तक लगातार दो बार स्वतंत्र पार्टी का कब्जा रहा। इसमें 1967 में नथमल तथा 1972 में केशरदेव विधायक चुने गए। कांग्रेस नेता परसराम मोरदिया यहां से सर्वाधिक पांच बार विधायक चुने गए। भाजपा का खाता 2003 में खुला, जब पार्टी के केशरदेव बाबर ने कदावर नेता परसराम मोरदिया को पटखनी दी। परिसमन के बाद 2008 में लक्ष्मणगढ़ सीट सुरक्षित से सामान्य में तब्दील होने के बाद वर्तमान विधायक गोविंद सिंह डोटासरा लगातार तीन चुनावों में जीतते आ रहे हैं।

वहीं भाजपा भी इस बार गोविन्द डोटासरा को उन्हीं के क्षेत्र में घेराबन्दी करने की जुगत में लगी हुई है। बता दे कि बीजेपी नए चहेरे को जोड़ने के साथ ही नेताओं की घर वापसी पर ज्यादा जोर देती नजर आ रही। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश कार्यालय में कई पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने बीजेपी की सदस्यता ली और इसी में सीकर से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया 2016 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और 2018 में गोविन्द डोटासरा के ली प्रचार कर रहे थे। सुभाष महरिया के 2014 निर्दलय एवं 2019 में कांग्रेस पार्टी के सिम्बल पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। जिनमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कभी गोविन्द डोटासरा के लिए चुनावी अभियान के सारथी रहे सुभाष महरिया ने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया है।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि महरिया लक्ष्मणगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। परन्तु जब से वह भाजपा में शामिल हुए हैं तब से उनका भारी विरोध हो रहा है। दो बार निर्दलय और पिछली बार भाजपा से चुनाव लड़ चुके दिनेश जोशी ने खुलकर विरोध शुरू कर दिया हैं। साथ ही स्थाई भाजपा कार्यकर्ताओं को भी महरिया की घर वापसी रास नहीं आ रही हैं।

पिछली बार भाजपा से प्रत्याशी रहे दिनेश जोशी भी इस बार फिर से भाजपा से ताल ठोकते नजर आ रहे है। जोशी ने लक्ष्मणगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 से बीजेपी से चुनाव लड़ा परन्तु डोटासरा से हार का सामना करना करना पड़ा था। पहले भी जोशी निर्दलीय के तौर पर 2008 और 2013 में चुनाव लड़ चुके है, परन्तु जोशी को हर बार हार का सामना करना पड़ा हैं। इन पर ऐसे आरोप भी लगते रहे है की ये कांग्रेस की मदद करते है। वही किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हरिराम रणवा का बाहरी होना यहाँ की जनता में स्वीकार्य नहीं है ऐसे में भाजपा भी नई रणनीति पर काम करना शुरू कर चुकी है।
इस बार भाजपा एक ऐसे चेहरे को उतार सकती है जो भाजपा कार्यकताओं के भी सामंजस्य बिठा सकता है। ऐसे में भाजपा से जुड़े कई लोगों का यह भी मानना है की इस बार लक्ष्मणगढ़ से युवा चहरे डॉ रामदेव चौधरी Dr. Ramdev Choudhary पर दांव खेल सकती है। डॉ रामदेव पेशे से चिकित्सक है और संघ की पृष्टभूमि से जुड़ाव रखते है। ऐसे में इनकी दावेदारी और भी मजबूत हो जाती है। अब देखना दिलचस्प है की संघ के धुर विरोधी माने जाने वाले डोटासरा को भाजपा कैसे चुनौती देती है।