-प्रौद्योगिकी और स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के माध्यम से समाधान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन

-पर्यावरण संरक्षण गतिविधि समाज में जन सहभागिता के माध्यम अभियान खड़ा करने का एक प्रयास : श्री ओम बिरला, लोकसभा अध्य्क्ष

कोटा,।राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा मे “पर्यावरणीय स्थिरता: प्रौद्योगिकी और स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के माध्यम से समाधान” विषय पर अक्षय ऊर्जा और इको-क्लब विभाग, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता,डीकार्बोनाइजेशन,जल संरक्षण,प्राकृतिक वास, कृषि, अच्छा स्वास्थ्य, सामाजिक पहुंच सहित कई मुद्दों की थीम पर आयोजित यह राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस अपने आप में मानव समाज के पर्यावरणीय हितो को समेटे हुए थी। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में आज मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी ने अपना संदेश प्रसारित किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर संजय जैन कुलाधिपति भगवान महावीर यूनिवर्सिटी सूरत विशेष अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती नीलिमा सिंह कुलपति कोटा यूनिवर्सिटी ने की, कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक श्रीमान गोपाल आर्य जी उपस्थित रहे। कुलपति राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के प्रोफेसर एस.के.सिंह के मार्गदर्शन आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के एनवायरमेंटल नोडल अधिकारी, शोधकर्ता और विद्यार्थी भी उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि श्री ओम बिरला ने अपने संदेश में कहा कि हमारे देश की जलवायु का क्षरण हो रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार के पूर्व पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने भारत के स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के विश्वविद्यालयो से कहा कि हमें नाट जीरो- नेट जीरो आंदोलन शुरू करने का संकल्प लेना है।

कुलपति प्रो.एसके सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरणीय स्थिरता प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करने के लिए आवश्यक है। आज के मानव समाज को सामाजिक रूप से जिम्मेदार होना चाहिए, हमें पर्यावरण संरक्षण और मानव और प्राकृतिक प्रणालियों में गतिशील संतुलन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मानव कल्याण का पर्यावरण के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। मानव समुदाय को इसके लिए जाग्रत होना पडेगा। सतत विकास की प्रक्रिया ने पर्यावरणीय को प्रभावित किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती नीलिमा सिंह ने कहा की आज देश के युवाओं को पर्यावरण के प्रति सजग होने की आवश्यकता है एवं जो भी कार्य हम करें वह पर्यावरण को ध्यान में रखकर करें। इस अवसर पर उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की आज हमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट की आवश्यकता है,

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री वी.के.वर्मा जी एवं डीन फैकल्टी अफेयर्स प्रोफेसर प्रोफेसर ए.के. द्विवेदी ने भी अपनी उद्बोधन के द्वारा सम्मेलन में पधारे अतिथियों एवं छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ.शिवलाल, श्री मुनीष बिंदल, डा.एम.एल. मीणा, डॉ. दीपक भाटिया ,डॉ सीमा अग्रवाल, डॉ.दिनेश कुमार, डा. रितेश पाटीदार, डॉ इरुम अल्वी , डॉ.शांतिलाल मीणा एवं श्री मनोज वैष्णव द्वारा किया गया। जिसमें इको क्लब एवं अन्य छात्र-छात्राओं का भी सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, शिक्षक गण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुए।इस अवसर पर बीकानेर बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एचडी चारण भी उपस्थिति रहें।

वैज्ञानिक विचार-विमर्श के माध्यम से हमारे देश में अनुसंधान और आउटरीच कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम के माध्यम से ESC-2023 उभरते सतत विकास और पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, छात्रों और अन्य पेशेवरों को एक मंच पर लाया गया है। इस कार्यक्रम के द्वारा पर्यावरण विज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण चर्चा के लिए ईएनओ, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, औद्योगिक प्रतिनिधियों औरमानवतावादियों, भौतिकविदों, गणितज्ञों, रसायनज्ञों, इंजीनियरों और जीवविज्ञानी के अनुसंधान विद्वानों/छात्रों को मंच प्रदान किया गया है। पर्यावरण और स्थिरता अनुसंधान से हमारे देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ व्यापक कृषि, औद्योगिक, नगरपालिका, परिवहन और शहरीकरण गतिविधियों के कारण हाल के दिनों में उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्याओं पर गहन विचार विमर्श करने के लिए इस कार्यक्रम में शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, उद्योगपतियों और वैज्ञानिकों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।