मेंहदीपुर मुकेश पूरी। महंत किशोरपुरी महाराज के सानिध्य में पुरुषोतम मास से प्रारंभ हुई 108 श्री मद् भागवत कथा का विधि विधान पूर्वक हवन व पूर्णाहुतियो के साथ समापन हुआ ।श्रीमदभागवत के 108 पठन, 1512 हनुमान चालीसा के पाठ, 1512 हनुमानाष्टक के पाठ, 108 श्रीमद्भभगवत गीता के पठन, द्वादसाक्षर मन्त्र की आहुतियों के साथ यज्ञशाला का वातावरण वेद मंत्रों से गुंजायमान हो गया। इस हवन में सभी विद्वानों पंडितो ने एक लाख चौरानवे हजार चार सौ आहुतियां अग्नि कुण्ड में प्रदान की गई।

हवन प्रात: 7 बजे से प्रारम्भ हुआ और 10.30 बजे तक चला। फिर महंत निवास पर आकर सभी पंडितो ने 108 श्री मद्भागवत का पूर्ण प्रतिफल व शुभ आशीर्वाद मंहत को प्रदान किया। पंडितों ने श्रीमद् भागवत कथा का पुजन करके महंत किशोरपुरी महाराज के सर पर कथा पोथी को रखा। मंहत महाराज ने सभी 54 पंडितो को भोजन प्रसादी कराई व उनको वस्त्र दक्षिणा प्रदान की व कन्याओ को वस्त्र मोदक की प्रसादी दान की। श्रीमद्भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मंहत किशोरपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है।

जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। इसलिए हम सबको अपने जीवन में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए।