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बीकानेर। अणुव्रत को मात्र शब्दों में नहीं जीवनशैली में उतारे जाने की आवश्यकता है। अणुव्रत का पालन करने वाले को प्रेक्षाध्यान एवं ध्यान का पालन करने वाले को अणुव्रती बनने की ओर प्रयासरत होना चाहिए। ये विचार मुनिश्री राजकरण जी स्वामी ने आचार्यश्री तुलसी की 20वीं पुण्यतिथि पर तिथि-दिनांक-नक्षत्र के त्रिवेणी संगम पर आयोजित सप्तदिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिवस अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने इस अवसर पर ‘धम्मो मंगल मुक्_िम् अहिंसा संजमो तहो’ का संदेश देते हुए धर्म और संप्रदाय के मध्य अंतर को स्पष्ट किया।

इस अवसर पर मंच पर सुशोभित मुनिश्री पीयूष कुमार जी ने आचार्य तुलसी के प्रति अपने भाव प्रकट करते हुए उन्हें इस सृष्टि का एक अविभाज्य अंग बताया एवं फरमाया कि फिल्म फेस्टिवल के लिए बनाई गई फिल्में विचारों के माध्यम से बनाई गई है। इस फेस्टिवल को मील का पायदान बनाने की दृष्टि से आचार्यश्री के शब्दों की अपेक्षा विचारों को गूंजायमान बनाया जाना आवश्यक है। ‘नैतिकता का शक्तिपीठÓ पर बनी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के साथ प्रारंभ हुए फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन देश-विदेश की 35 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। रात को 8 से 10 बजे आयोजित हुई इस विशेष फिल्म प्रदर्शनी में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म ‘हेयरो पार्टी’ को भी दिखाया गया। इस अवसर पर रजनीश जोशी द्वारा डिजाइन किये गये आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान का गूगल एप ‘एटीएसपी’ को बटन दबाकर विजय कोचर ने लॉन्च किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति राजूवास प्रो. डॉ. ए के गहलोत ने कहा कि ज्यूरी का कार्य जितना कठिन रहता है, उतना ही आचार्यश्री तुलसी पर आधारित शॉर्ट फिल्म में मैसेज देने हेतु कार्यरत टीम नयी पद्धति के साथ-साथ संक्षिप्त रूप में शॉर्ट फिल्म के माध्यम से विचारों की सुंदरता को निखारने के प्रति समर्पित है। उन्होने कहा कि आज के इस दौर में संचार माध्यमों से दूरस्थ क्षेत्रों से जुड़ाव स्थापित करके पूर्ण निष्ठा से आज की युवा पीढ़ी का नैतिकता के प्रति झुकाव तारीफ योग्य है।

फिल्म फेस्टिवल के संरक्षक टी एम लालाणी ने नई विधाओं का उपयोग करते हुए आचार्य तुलसी के संदेशों, भक्ति संध्या में उनकी संप्रेक्षिता एवं उनके माधुर्य कण्ठता को संगीतबद्ध गाने की कोशिश किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी द्वारा अणुव्रत आंदोलन एवं समण श्रेणी का प्रारंभ करना क्रांतिकारी कदम था। महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा कि आचार्यश्री का गंगाशहर में महाप्रयाण होना क्षेत्र के लिए गौरव का विषय रहा। उन्होंने कहा कि फिल्म फेस्टिवल के माध्यम से आचार्य तुलसी के सिद्धान्तों और विचारों को प्रदर्शित किया जाना उनके अवदानों को पुन: स्मरण करवाने के साथ-साथ जीवन में आत्मसात् का माध्यम बनेगा।

बीकानेर पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक भारती नैथाणी ने बीकानेर में हो रहे इस शॉर्ट फेस्टिवल को एक नया प्रयोग बताते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से बीकानेर पर्यटन को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। स्वागत भाषण देते हुए आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के महामंत्री जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि यह शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल फिल्म जगत में एक अद्भुत प्रयोग सिद्ध होगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में निर्धारित विषयों से प्राप्त एवं प्रदर्शित की जा रही शॉर्ट फिल्मों के माध्यम से अध्यात्म, सामाजिक सरोकारों का सकारात्मक संदेश नयी पीढ़ी को प्राप्त होगा। उन्होंने अतिथियों, फिल्म प्रोड्यूर्स, निदेशकों एवं कलाकारों का स्वागत किया। फेस्टिवल के सचिव जतनलाल दूगड़ ने कार्यक्रम के अतिथियों का बैच पहनाकर स्वागत किया। डॉ. पी. सी. तातेड़ ने आभार व्यक्त किया। इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र के जप का 3 बार गायन, तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ। समन्वयक गोपाल चौहान ने फिल्म फेस्टिवल के संबंध में पूर्ण जानकारी देते हुए उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी मेम्बर रामकुमार सिंह, गजेन्द्र श्रोत्रिय, शामी नन्दा एवं अशोक संचेती का परिचय सुनील जोशी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया।