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OmExpress News / नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि संविधान में जम्मू कश्मीर को लेकर आर्टिकल 370 एक अस्‍थायी प्रावधान है ना कि स्थायी। जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने ये बात कही। इससे पहले शाह ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।

शाह ने कहा कि कश्मीर की मौजीदा हालत के लिए पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उनकी नीतियां जिम्मेदार हैं। पंडित नेहरू ने तब के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को विश्वास में लिए बिना कश्मीर पर फैसले लिए जिसका नुकसान हुआ। उस भूल की सजा आज भुगत रहे हैं। आजादी के वक्त 630 रियासतों के साथ संधि हुई थी लेकिन अनुच्छेद 370 कहीं नहीं है। एक रियासत जम्मू कश्मीर पंडित नेहरू देख रहे थे और स्थिति सबके सामने है। यहां 370 है।

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अमित शाह ने कहा, जम्मू-कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच एक खाई पैदा की गई। पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई लेकिन उनकी सरकार इस पर काम करेगी। घाटी में लोकतंत्र बहाल रखना पहली प्राथकिता है इसके लिए जरूरी कदम उठाए जायेंगे।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का मजाक उड़ाया गया। जम्मू-कश्मीर में चुनाव अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कराया था, चुनाव हमारे शासन में हुए थे। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने शंका के बीज बोए जो आज पेड़ बन चुका है। कश्मीर में हुए पंचायत चुनाव हो या अभी हुए लोकसभा चुनाव एक खून का कतरा भी कश्मीर में जमीन पर नहीं गिरा और आप कह रहे हैं कि कंट्रोल नहीं है। बता दें कि अमित शाह ने लोकसभा में शुक्रवार को जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया और राज्य में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव दिया।