OmExpress News / New Delhi / बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 94 सीटों पर प्रचार रविवार शाम को थम गया। 17 जिलों की 94 सीटों के चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती राजद के सामने है। राजद का 31 सीटों पर कब्जा है और उसके 56 उम्मीवार मैदान में हैं। जदयू का 30 सीटों पर कब्जा है और उसके 43 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है। इनमें जदयू के 15 नये उम्मीदवार हैं। भाजपा की 22 जीती हुईं सीटी हैं और उसके 46 उम्मीदवार मैदान में हैं। ( Bihar Assembly Election)
दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा के 14 नये चेहरे चुनौती पेश कर रहे हैं। इनमें दूसरे दलों से आये नेता भी शामिल हैं। कांग्रेस का सात सीटों पर कब्जा है और उसके 24 प्रत्याशी मैदान में हैं। लोजपा का सिर्फ दो सीटों पर कब्जा है और उसके 52 उम्मीदवार अखाड़े में हैं। दूसरे चरण के चुनाव में 27 सीटों पर राजद और भाजपा के बीच सीधी भिड़ंत है। जदयू और राजद के बीच 24 सीटों पर लड़ाई है। भाजपा और जदयू की 12-12 सीटों पर कांग्रेस से लड़ाई है।
राजद के प्रमुख उम्मीदवार
दूसरे चरण के चुनाव में ही महागठबंधन से सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के भाग्य का फैसला होना है। तेजस्वी राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई भाजपा के सतीश कुमार से है। 2015 में तेजस्वी ने सतीश कुमार को हरा दिया था। इसबार नीतीश कुमार के साथ आने से सतीश कुमार की राजनीतिक ताकत बढ़ी हुई दिख रही है। लालू यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप हसनपुर में जदयू प्रत्याशी और सीटिंग विधायक राज कुमार राय के साथ कांटे के मुकाबले में फंसे हुए हैं।
राजद के पूर्व सांसद बुलो मंडल बीहपुर से चुनाव लड़ रहे हैं जहां उनका मुकाबला भाजपा के कुमार शैलेन्द्र से है। राजद के वरिष्ठ नेता और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे अवधबिहारी चौधरी सीवान से मैदान में हैं। अवध बिहारी चौधरी को चुनौती दे रहे हैं भाजपा के पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव। राजद के पूर्व सांसद आलोक कुमार मेहता के भविष्य का फैसला उजियारपुर में होना है। उनका मुकाबला भाजपा के शील कुमार राय से है। बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद राजद उम्मीदवार के रूप में शिवहर से खड़े हैं। उनकी लड़ाई जदयू सर्फुद्दीन से है।
पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह छपरा और भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर से चुनाव मैदान में हैं। रामा सिंह के नाम पर लालू यादव और रघुवंश प्रसाद सिंह का विवाद सुर्खियों में रहा था। रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह महनार से राजद की लड़ाई लड़ रही हैं।
भाजपा के प्रमुख उम्मीदवार – Bihar Assembly Election
नीतीश सरकार में भाजपा कोटे के दो मंत्रियों नंदकिशोर यादव और राणा रणधीर सिंह के भाग्य का फैसला दूसरे चरण में ही होने वाला है। नंदकिशोर यादव पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा से है। राणा रणधीर सिंह का मधुबन विधानसभा सीट पर राजद के मदन प्रसाद साह से मुकाबला है।
पूर्व मंत्री रेणु देवी बेतिया से चुनाव मैदान में जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विधायक मदन मोहन तिवारी से है। 2015 में रेणु देवी, मदन मोहन से चुनाव हार गयीं थीं। 2019 में दरौंदा से निर्दलीय जीत हासिल करने वाले करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी सीट से चुनौती पेश कर रहे हैं। उनका मुकाबला भाकपा माले के अमरनाथ यादव से है।
बैकुंठपुर में मौजूदा विधायक मिथिलेश तिवारी की लड़ाई है राजद के प्रेमशंकर प्रसाद से तो बरौली में भाजपा के पूर्व विधायक रामप्रवेश राय की टक्कर है राजद के रियाजुल हक राजू से। गोपालगंज में भाजपा के मौजूदा विधायक सुभाष सिंह को चुनौती दे रहे हैं राजद के आसिफ गफूर। आसिफ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के पौत्र हैं।
जदयू के प्रमुख उम्मीदवार
नीतीश सरकार में मंत्री रामसेवक सिंह हथुआ से मैदान में हैं। उनकी लड़ाई है राजद के राजेश कुशवाहा से। राजेश गोपालगंज जिला राजद के अध्यक्ष हैं। लोजपा के मुन्ना किन्नर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाये हुए हैं। नीतीश के गृह जिले नालंदा की राजगीर सीट पर भाजपा के पूर्व नेता के पुत्र जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रहे। भाजपा के पूर्व विधायक और हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर जदयू के टिकट पर राजगीर से मैदान में हैं।
जदयू ने अपने मौजूदा विधायक रवि ज्योति का टिकट काट कर कौशल को उम्मीदवार बनाया है। रवि ज्योति अब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कौशल को चुनौती दे रहे हैं। बाहुबली नेता और पूर्व विधायक धूमल सिंह की पत्नी सीता देवी एकमा से जदयू की प्रत्याशी हैं। जदयू की विवादास्पद नेत्री मंजू वर्मा फिर चेरिया बरियारपुर से मैदान में हैं।
वे पहले नीतीश सरकार में मंत्री थीं लेकिन आर्म्स एक्ट में आरोपी बनने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उनके पति चंद्रशेखर वर्मा का नाम मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में आने से नीतीश सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। लेकिन चुनाव में जदयू ने एक बार फिर मंजू वर्मा पर भरोसा किया है। मंजू वर्मा का मुकाबला है राजद के राजवंशी महतो से। पूर्व आइपीएस अधिकारी सुनील कुमार भोरे से मैदान में हैं। उनकी लड़ाई है भाकपा माले के जितेन्द्र पासवान से।
कांग्रेस के प्रमुख प्रत्याशी
चर्चित फिल्म अभिनेता और नेता शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा पटना के बांकीपुर सीट से मैदान में हैं। उनकी लड़ाई है भाजपा के मौजूदा विधायक नितिन नवीन से। चर्चित पत्रकार रवीश कुमार के भाई और कांग्रेस नेता ब्रजेश पांडेय गोविंदगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला है लोजपा के मौजूदा विधायक राजू तिवारी से। इस सीट पर भाजपा के सुनीलमणि त्रिपाठी भी चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
भागलपुर में कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा की लड़ाई भाजपा के रोहित पांडेय से है। बाहुबली नेता और पूर्व सांसद काली पांडेय कुचायकोट से मैदान में हैं। उनका मुकाबला जदयू के अमरेन्द्र पांडेय से है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृपानाथ पाठक फुलपरास से खड़े हैं जहां उनका मुकाबला जदयू की शीला मंडल से है। शीला मंडल पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।
विधायक अशोक कुमार अब कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई जदयू के शशिभूषण हजारी से है। बेगूसराय में विधायक अमिता भूषण की लड़ाई भाजपा के कुंदन सिंह से है। महाराजगंज में विधायक विजयशंकर दुबे की लड़ाई जदयू के हेमनारायण साह से है।