बीकानेर। बीकानेर में कारपेट उद्योग की बहुत संभावना है। मंत्रालय स्तर पर इसको लेकर कार्ययोजना बनाई जाएगी, ताकि बीकानेर के ऊन उद्योग को बढ़ावा मिल सके। यह बात केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड के चेयरमैन जसवंतसिंह विश्नोई ने शनिवार को यहां सर्किट हाऊस में कही। उन्होंने ऊन उद्योग के सामने आ रही समस्याओं को गंभीर मानते हुए उन्हें शीघ दूर करवाने का भरोसा दिलाया। ऊन उद्योग के सामने बिजली की बढ़ी हुई दरों की समस्या को चेयरमैन ने गंभीर मानते हुए राज्य सरकार के स्तर पर शीघ्र दूर करवाने का आश्वासन दिया।
राजस्थान वूलन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं रानी बाजार उद्योग संघ के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड के चेयरमैन से मुलाकात कर ऊन उद्योग के विकास को लेकर विस्तृत चर्चा की। आरडब्ल्यूआईए के कमल कल्ला ने कहा कि एसोसिएशन के प्रयासों से बीकानेर में स्थापित हो चुकी लेब को तुरंत चालू किया जाए तथा उसे एनएबीएल प्रमाणित करने की मांग की। उन्होंने न्यूजीलेंड सरकार के साथ संयुक्त उपक्रम के रूप में ऊन उत्पादन शुरू करने का भी सुझाव दिया।
रानी बाजार उद्योग संघ के अध्यक्ष कमल बोथरा ने ऊन उद्योग की खराब हालत के बारे में चेयरमैन को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मंदी के हालात के चलते ऊन उद्योगों में उत्पादन घटकर आधा रह गया है और धागे की कीमतें भी 30 प्रतिशत तक कम हो चुकी है। नरेश सुराणा ने ऊन उद्योग को मनरेगा से जोडऩे का सुझाव दिया। ऊन एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष महेश कोठारी ने बिजली की बढ़ी हुई दरों को ऊन उद्योग के लिए परेशानी बताते हुए कहा कि ऊन लघु उद्योग पहले से खतरे में है। ऐसे में बिजली की दरें बढऩे से इन उद्योगों को बंद करने की नौबत आ जाएगी। ऊन एसोसिएशन के दाऊ कोठारी ने आयकर अधिनियम में सजा के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि व्यापारी कर चुका कर अपने राष्ट्रीय दायित्व को पूरा करता है। इस तरह की सजाओं से उसे अपराधी की दृष्टि से देखा जा सकता है। उन्होंने चेयरमैन से केन्द्रीय स्तर पर इस प्रावधान को संशोधित करवाने का आग्रह किया। प्रतिनिधि मंडल में अशोक चांडक, रोहित अग्रवाल, तरूण महनोत, विजय राठी सहित अनेक उद्यमी शामिल थे।