हिन्दी दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन, हुआ साहित्यकारों का सम्मान

बीकानेर । वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया ने कहा कि हिन्दी भाषा हमारे आत्म गौरव व अस्मिता का प्रतीक है। डॉ. केवलिया बुधवार को राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय सभागार में हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर आधुनिक युग में हिन्दी की संजीवनी शक्ति में अभिवृद्धि हुई है। ज्ञान- विज्ञान के सभी क्षेत्रों में हिन्दी ने अपना अभूतपूर्व स्थान बना लिया है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवीं भाषा के रूप में मान्यता मिल जाएगी। इन्टरनेट पर हिन्दी की बढ़ती उपस्थिति, विश्व हिन्दी सम्मेलन, विदेशों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन, देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता आदि के कारण हिन्दी, विदेशों में भी निरन्तर लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने कहा कि जॉर्ज ग्रियर्सन ने हिन्दी का देशज शब्द भंडार, अंग्रेजी से अधिक समृद्ध बताया था।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. उषाकिरण सोनी ने कहा कि आज हिन्दी की स्वीकार्यता दिनों दिन बढ़ रही है। इसका साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। विशिष्ट अतिथि शशि बेसरवारिया ने कहा कि आज हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी भी उच्च श्रेणी की परीक्षाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। राकेश सारस्वत ने कहा कि विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। कार्यक्रम में प्रो. हरिराम गुप्ता, रीता आहूजा, अरूण स्वामी, चन्द्रेश सियाग आदि ने भी विचार रखे। मंडल पुस्तकालयाध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने कार्यक्रम संचालन करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रीता भार्गव को साहित्यश्री, कैलाश मण्डेला व राकेश मूथा को साहित्य सृजन पुरस्कार
संभाग के श्रीडूंगरगढ़ तहसील की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से सोमवार को हिन्दी दिवस पर संस्था की सर्वोच्च उपाधि साहित्यश्री एवं डॉ. नन्दलाल महर्षि हिन्दी व पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रभाषा हिन्दी के विकास में क्षेत्रीय भाषाओं का अवदान विषय पर संगोष्ठी रखी गई।
संस्कृति भवन के सभागार में हुए इस समारोह में मुख्य अतिथि जयनारायण विश्वविद्यालय जोधपुर के राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि हिन्दी भाषा को अंग्रेजी भाषा से नुकशान हो रहा है और विदेशी भाषा पांव पसार कर हिन्दी भाषाा के अस्तित्व में बाधा बन रही है। पूरी दुनियां में वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा में हिन्दी का स्थान अग्रणीय है। राष्ट्रभाषा हिन्दी हमारी पहचान है। भाषा हमारी पहचान व अस्मिता का साधन है तथा विचारों की पालक है। अध्यक्षता करते हुए जन संचार पत्रकारिता विश्वविद्यालय जयपुर के विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण बारेठ ने कहा कि भाषा शब्दोंं से नही बलिक बोलने से बची रहती है। इस समय हिन्दी भाषा में दूसरी भाषाओं को समाहित कर इसे दुषित किया जाा रहा है। अन्य भाषाओ ंके शब्दों से हिन्दी भाषा को खतरा है। विशिष्ट अतिथि डॉ. आशाराम भार्गव ने कहा कि सभी क्षेत्रीय भाषाएं समाहित है। यह 17 उपभाषाओं को मिला कर बनी है। जब तक हिन्दी जन-जन की भाषा नहीं बनती तब तक व्यक्ति का स्र्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। नई पीढ़ी को साहित्य से जोडऩा ही जीवन्त उदाहरण है। समाजसेवी शिवप्रसाद सिखवाल ने कहा कि आज विदेशी नागरिक भी हिन्दी भाषा को अपना रहे है। यह हमारे देश के लिए सुखद अनुभव है। संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने भाषा के विकास में संस्थागत एवं जन सहयोग की हिमायत करते हुए भाषायी विकास की बात कही। लायन महावीर माली ने कहा कि हिन्दी को हम सभी को अपने प्रयास से बढावा दे सकते हैं। डॉ. चेतन स्वामी ने कहा कि भारतीय भाषाओं का जो महत्व जार्ज ग्रियर्सन जैसे भाषाविदों ने समझा, उसे ले जाने की आवश्यकता को कोई सरकार नहीं समझ रही है। शोध अनुसंधान के क्षेत्र में क्षेत्रीय भाषाएं निरन्तर पिछड़ रही है। साहित्यश्री से पुरस्कृत प्रीता भार्गव ने बताया कि पुरस्कार अलंकार प्राप्त करना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने युवा साहित्यकार को प्रतिवर्ष पुरस्कार देने की घोषणा की। हिन्दी साहित्य सृजन से पुरस्कृत राकेश मूथा ने कहा कि यह संस्था साहित्य का समुद्र बनेगा। राजस्थानी साहित्य सृजन से पुरस्कृत कवि कैलाश मण्डेला ने बताया कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। उन्होंने अपनी चुनिन्दा कविताओं को भी उपस्थित लोगों को सुनाया। हम सभी को मिल कर हिन्दी की आत्मा को जगाना पड़ेगा। अत्याचार, अन्याय, शोषण के प्रति आवाज उठाना कवि का कत्र्तव्य बनता है। युवा साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि यदि कोई साहित्यकार किसी सामाजिक विद्रुप या मू्रल्यगत विचलन के विरूद्ध आवाज नहीं उठाए तो यह सांस्कृतिक हमले का ही प्रतिरूप है। इस अवसर पर संस्था के उपाध्यक्ष रामकिशन उपाध्याय एवं मंत्री बजरंग शर्मा ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान कोषाध्यक्ष रामचन्द्र राठी, शोभाचन्द आसोपा, डॉ. महावीर माली, नारायण प्रसाद शर्मा, कानाराम तर्ड़, भंवरलाल भोजक, श्याम सुन्दर आर्य, राजेन्द्र सोनी, श्रीभगवान सैनी सहित कई विद्वजन उपस्थित थे।
भार्गव को ‘साहित्यश्री’ एवं मूथा व मण्डेला को साहित्य सृजन पुरस्कार
उदयपुर की कवियित्री प्रीता भार्गव को सामाजिक सराकारों के लिए संस्था की सर्वोच्च उपाधि साहित्यश्री से अलंकृत किया गया। इसी प्रकार डॉ. नन्दलाल महर्षि स्मृति हिन्दी सृजन पुरस्कार जोधपुर के राकेश मूथा व पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार शाहपुरा के कैलाश मण्डेला को दिया गया । यह पुरस्कार संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि, मंत्री बजरंग शर्मा, प्रो. नारायण बारेठ, डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित, डॉ. आशाराम भार्गव, शिवप्रसाद सिखवाल, माहवीर माली ने प्रदान किया। इस सम्मान स्वरूप सभी को ग्यारह-ग्यारह हजार रूपए, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल, शॉल एवं प्रतीक चिह्न दिया गया।

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में हिन्दी दिवस आयोजित
हिन्दी भाषा, अमीर खुसरो के समय से होते हुए स्वतंत्राता आंदोलन के समय सम्पर्क सूत्रा के रूप में उभरी थी, 14 सितम्बर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाए। हिन्दी अपनी विशेषताओं के कारण अद््भुत भाषा है और देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता को सभी ने स्वीकारा है। आज अति आधुनिक युग में भी हिन्दी ने सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, बाजारवाद आदि सभी क्षेत्रों में चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।
ये विचार बुधवार को भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र द्वारा मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़े (01 सितम्बर-15 सितम्बर) के मुख्य समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.मदन केवलिया ने रखे। डॉ.केवलिया ने कहा कि हमें हिन्दी के शुद्धीकरण, सरलता एवं व्यावहारिक अनुवाद की ओर भी ध्यान देना होगा, तभी हिन्दी भाषा सही एवं तीव्र प्रसार पा सकेगी।
निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि हिन्दी भाषा को धरोहर के रूप में मानते हुए इसे प्रबल रूप से आगे लाने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह सबको जोड़ने वाली भाषा है और इस भाषा के विकास हेतु हमें प्रभावी प्रयास करने होंगे, तभी हिन्दी दिवस मनाने की सच्चे स्वरूप में सार्थकता सिद्ध होगी। डॉ.पाटिल ने कहा कि अब हर जगह हर क्षेत्रा में हिन्दी को अपनाना होगा क्योंकि अब हिन्दी समझने व समझाने में किसी प्रकार की बाधा नहीं है।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह की ओर से हिन्दी दिवस-2016 के उपलक्ष्य पर जारी संदेश का वाचन भी किया गया। हास्य कवि विजय कुमार धमीजा ने कविता पाठ किया। प्रभारी राजभाषा डॉ.सुमन्त व्यास ने राजभाषा कार्यान्वयन व हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी दी। मुख्य अतिथि एवं मंचस्थ अतिथियों के कर कमलों से केन्द्र द्वारा हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित हिन्दी में निबन्ध लेखन, हिन्दी सामान्य ज्ञान, टिप्पणी एवं प्रारूप लेखन एवं हिन्दी में शुद्ध लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन हरपाल सिंह ने किया।

एसबीबीजे में हिंदी पखवाड़ा का समापन एवं पुरस्कार वितरण
स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एण्ड जयपुर के आंचलिक कार्यालय के तत्वावधान में हिंदी पखवाड़ा उल्लासपूर्वक मनाया गया। पखवाड़े के दौरान एक कार्यशाला और सात प्रतियोगिताएं यथा- निबंध, कहानी, कविता-लेखन, बैंकिंग व सामान्य ज्ञान, शब्दावली और टिप्पणी-आलेखन का आयोजन किया गया। प्रतियोगिताओं में अंचल के स्टाफ़ सदस्यों का उत्साह और जोश देखते बनता था। समारोह में अंचल प्रमुख श्री राकेश कौशल ने अतिथियों का स्वागत किया तथा एसबीबीजे को क क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों व राष्ट्रीयकृत बैंकों की श्रेणी में भारत सरकार के राजभाषा कीर्ति पुरस्कार में द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर समस्त स्टाफ़ सदस्यों को हार्दिक बधाई दी। इस अवसर पर उप महाप्रबंधक ने माननीय गृहमंत्री, भारत सरकार श्री राजनाथ सिंह का, समप्र द्वितीय श्री रवि भटनागर ने माननीय वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली एवं समप्र श्री डी.एन. खत्री ने बैंक के प्रबंध निदेशक श्री ज्योति घोष के हिंदी दिवस संदेश का वाचन किया। मंच का संचालन राजभाषा अधिकारी दिवाकर मणि ने किया।