OmExpress News / New Delhi / रूस ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव में किसी तरह की दखल देने से इनकार कर दिया है। रूस ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि दोनों देश मौजूदा विवाद को खुद सुलझाने में सक्षम हैं और उन्हें किसी तरह की बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं है। रूस के विदेश मंत्री सेरगी लावरोव ने ये बातें रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में कही है। (Sergey Lavrov Foreign Minister Russia)
रूस ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली और बीजिंग इस मामले का शांतिपूर्वक हल निकालने के लिए वचनबद्ध हैं। रूस-भारत-चीन यानि आरआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस के विदेश मंत्री सेरगी लावरोव ने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि भारत और चीन को किसी बाहरी मदद की आवश्यकता है। मैं नहीं समझता कि उन्हें किसी तरह की मदद चाहिए, खासकर के दोनों देशों से जुड़े मुद्दों पर। मतलब ये है कि वह मौजूदा घटनाओं का खुद से ही हल निकाल सकते हैं। ‘
I don't think that India & China need any help from the outside. I don't think they need to be helped,especially when it comes to country issues. They can solve them on their own, it means the recent events: Russian Foreign Minister Sergei Lavrov at RIC foreign ministers' meeting pic.twitter.com/gwsr5GEwd0
— ANI (@ANI) June 23, 2020
हमें उम्मीद है कि हालात शांतिपूर्ण बने रहेंगे : सेरगी लावरोव
उन्होंने कहा कि ‘नई दिल्ली और बीजिंग ने मामले के शांतिपूर्ण हल निकालने के प्रति वचनबद्धता दिखाई है। उन्होंने रक्षा अधिकारियों, विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठकें शुरू कर दी हैं और दोनों में से किसी तरफ से भी ऐसा बयान नहीं दिया गया है, जिससे ये संकेत मिले कि इनमें से कोई भी पक्ष मामले के गैर-कूटनीतिक समाधान की ओर बढ़ना चाहता है।’
रूस के विदेश मंत्री के मुताबिक ‘हमें उम्मीद है कि हालात शांतिपूर्ण बने रहेंगे और वे विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को लेकर इसी तरह से वचनबद्ध बने रहेंगे।’
विश्व के नेतृत्व की आवाज सबके हित में उठनी चाहिए : एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विश्व के नेतृत्व की आवाज सबके हित में उठनी चाहिए। जयशंकर ने कहा कि इन आवाजों को सबके लिए उदाहरण पेश करना होगा ।इस बैठक में एस जयशंकर ने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अपने सहयोगियों के हितों का खयाल रखने, बहुपक्षीयता को समर्थन देने और सबके हित में लिए गए फैसलों के साथ चलना होगा, ताकि हम एक बेहतर और लंबे समय तक टिकने वाली वैश्विक व्यवस्था बना सकें।
विदेश मंत्री ने कहा कि सबकी भलाई को साथ लेकर चलने से ही एक सतत विश्व का निर्माण किया जा सकता हैं। आरआईसी (रूस-भारत-चीन) की इस आभासी बैठक के लिए रूस और चीन के अपने समकक्षों को संयुक्त रूप से नामित किया, एस जयशंकर ने बिना चीन का नाम लिए रूस को बैठक बुलाने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वह चर्चाओं के लिए तत्पर हैं।
जयशंकर ने कहा कि ये मुलाकात अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में है, चीन का कोई विशेष उल्लेख नहीं है। जयशंकर ने का हक दुनिया की प्रमुख आवाजों को हर तरह से अनुकरणीय होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करना, साझेदारों के वैध हितों को मान्यता देना, बहुपक्षवाद का समर्थन करना और आम अच्छे को बढ़ावा देना एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था के निर्माण का एकमात्र तरीका है।
बता दें आरआईसी की बैठक भारत-चीन सीमा गतिरोध की छाया में हो रही है। स्पष्ट संकेत हैं कि मिलने के बाद एक संयुक्त बयान नहीं हो सकता है। भारत आरआईसी में शामिल होने के लिए उत्सुक नहीं था। हालांकि यह रूस के इशारे पर भारत इस बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हुआ क्योंकि रुस , जो एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और सैन्य हार्डवेयर आपूर्तिकर्ता है।
भारत और रूस दोनों ने संकेत दिया था कि आभासी बैठक एक त्रिपक्षीय मामला है और इसका मतलब यह होगा कि भारत-चीन गतिरोध से संबंधित द्विपक्षीय मुद्दे एजेंडे में नहीं होंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि आरआईसी की बैठक चुनौतियों से निपटने के लिए समूह के भीतर COVID-19 महामारी के पतन और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगी।