OmExpress News / Jaipur / योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए पोस्टर ब्वॉय बनकर उभरे डॉक्टर कफील खान आने वाले दिनों में राजनीतिक करियर चुन सकते हैं। कफील को कुछ विपक्षी पार्टियों से सहानुभूति मिल रही है। उन्होंने हालांकि कांग्रेस के प्रति अपने झुकाव को दिखाया है। (Kafeel Khan Can Join Congress)
उन्होंने कहा, ‘मुश्किल समय में, प्रियंका गांधी वाड्रा ने मेरा समर्थन किया। मथुरा जेल से मेरी रिहाई के बाद उन्होंने फोन करके मुझसे बातचीत की।’ बता दें कि उन्होंने रिहाई के बाद प्रियंका को शुक्रिया भी कहा था।
पूर्व कांग्रेस विधायक प्रदीप माथुर रिहाई के वक्त थे मौजूद
पूर्व कांग्रेस विधायक प्रदीप माथुर कफील खान की जेल से रिहाई के वक्त वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘वरिष्ठ पार्टी नेताओं के दिशा-निर्देश पर, मैं काफिल की रिहाई के लिए औपचारिकताओं को पूरा करने लगातार मथुरा और अलीगढ़ के जिला प्रशासन के संपर्क में था। मैं उन्हें राजस्थान बॉर्डर तक ले गया।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘प्रियंका ने मानवता के लिए उनके समर्थन में और योगी सरकार द्वारा राज्य के निर्दोष लोगों के खिलाफ अत्याचार का विरोध करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। यह कफील पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस के साथ काम करना चाहते हैं या नहीं।’
प्रियंका गांधी के कहने पर जयपुर आए
प्रियंका गांधी के निर्देश पर मथुरा से डॉ. कफ़ील को शाहनवाज़ आलम व अन्य कांग्रेस नेता राजस्थान लेकर आए हैं। गुरुवार को कफील खान ने खुद कहा है कि प्रियंका गांधी ने हमारी बहुत मदद की है। कांग्रेस ने हमारी रिहाई के लिए बहुत संघर्ष किया है. प्रियंका की सलाह पर ही वो राजस्थान गए हैं। इस बात को कफील खान खुद भी स्वीकार कर रहे हैं कि प्रियंका गांधी के कहने पर जयपुर आए हैं। वह कहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए हम यहां सुरक्षित रह सकते हैं।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में हो सकते हैं मुस्लिम चेहरा
डॉक्टर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह बिहार, असम, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के लिए जाएंगे। अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि कफील के पास महत्वपूर्ण 2022 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनने की काबिलियत है, जिसके लिए पार्टी अपनी खोई जमीन वापस करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों में समुदाय के लोगों के बीच बड़ी संख्या में समर्थन हासिल किया है।’
राजनीति में शामिल होने के सिवाय और कोई उपाय नहीं बचा
इस बीच, परिवार के एक सूत्र ने कहा कि कफील ने बीते तीन साल से काफी कुछ झेला है और शायद उसके पास राजनीति में शामिल होने के सिवाय और कोई उपाय नहीं बचा। परिवार के सदस्य ने कहा, ‘कई पार्टियों की ओर से ऑफर है, लेकिन उन्हें फैसला करना है कि वे किसमें शामिल होना चाहते हैं। यह शायद कांग्रेस हो सकता है।’
ऑक्सीजन कांड के बाद चर्चा में आए थे
डॉ. कफील खान को पहली अगस्त 2017 में बार बी.आर.डी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में ऑक्सीजन हादसे के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें तीन दिन के अंदर 70 बच्चे की मौत हो गई थी। विभागीय जांच में उन्हं क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन उन्हें फिर से बहाल नहीं किया गया है।
रासुका के तहत हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत खान की गिरफ्तारी को मंगलवार को अवैध बताया और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए। अदालत के आदेश के बाद खान को मंगलवार देर रात मधुरा की जेल से रिहा किया गया। कफील संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी से जेल में बंद थे।