“मां तूं महान है” कार्यक्रम में मैरी कुट्टी और डॉ.मुरारी शर्मा का सम्मान 

बीकानेर । सद्भावना संगीत कला केन्द्र की 111 वीं कडी में ‘मां तूं महान है’ कार्यक्रम स्व.असीना कोहरी की दुसरी पुण्यतिथि पर टाउन हॉल में आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व महापौर भवानीशंकर शर्मा ने कहा मां-बाप की सेवा करना अपना फर्ज है मां ने कितने कष्ट सहते हुए अपने को दुनिया दिखाई है । उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए जिससे वृद्धाश्रम की आवश्यकता ही न पडे । विशिष्ठ अतिथि शिक्षाविद कैलाश रतन सोनी ने मां की महिमा का विस्तृत वर्णन करते हुए काव्य पंक्तियों से सभी को भाव विभोर कर दिया । विशिष्ठ अतिथि चैन्नई निवासी पंडित जमुनादास सेवग ने कहा कि आज की पीढी को संस्कारित होना जरुरी है । अच्छे संस्कार मिलेंगे तो घर-परिवार समृद्ध होंगे जिससे आपसी वैमंस्य समाप्त होगा और हम अपने मां-बाप की निस्वार्थ सेवा करते रहेंगे । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ चित्रकार मुरलीमनोहर के. माथुर ने कहा कि मनुष्य जीवन अनमोल है जिसमें मां का स्वरुप सबसे अलग है, मां के बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं है । ऐसी जन्म देने वाली मां के कर्ज से कभी उऋण नहीं हो सकते । पूर्व महापौर हाजी मकसुद अहमद ने कहा कि हमें मां-बाप की सेवा करने से सुकुन मिलता है । जिस मां ने हमें जन्म दिया उसका ऋण हम कभी चुका नहीं सकते ।

कार्यक्रम में वरिष्ठ संगीतज्ञ डॉ.मुरारी शर्मा और देश के लिए शहीद हुए मेजर जेम्स थोमस की माताश्री श्रीमती मैरी कुट्टी का सम्मान पुष्प मालाएं, शॉल, सम्मान-पत्र एवं श्रीफल प्रदान कर मंच द्वारा किया गया । स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम समन्वयक राजाराम स्वर्णकार ने संस्था की गतिविधियों के बारे में बताते हुए मां के बारे में कहा- अवध मदीना क्या रखा, क्या काबा हरिद्वार । पान किया जिस दूध का, वह पावन गंगा धार ॥ अपने मन को मारती, रोज हारती प्राण । खुद की चिंता त्यागती, रखती तेरा ध्यान ॥ तब कहते हैं मां है महान । सह संयोजक युवा हास्य-व्यंग्य कवि बाबुलाल छंगाणी ने अपनी रचना ‘म्हारी मां जिसी मैं मां देखी कोनी’ सुनाकर तालियां बटोरी । कथाकार अशफाक कादरी ने मां की महिमा विस्तार से बताई । डॉ.जगदीश बीठ्ठू, मरु व्यवसाय चक्र के सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने भी अपने विचार रखे । कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए युवा कवि, कथाकार संजय आचार्य ‘वरुण’ ने मां पर अपनी रचना- उलझे-उलझी बालों वाली मां तुम कैसी सुलझी सुलझी बातें कर लेती हो सुनाकर कार्यक्रम को कविताओं, गीतों की तरफ ले जाकर उंचाईयां प्रदान की । इकरामुदीन कोहरी ने सभी का आभार जताते हुए एक गीत ‘मां तूं कितनी भोली है, कितनी अच्छी है, प्यारी-प्यारी है ओ मां’ सुनाया ।  आयोजक मंडल के मास्टर मईनुद्दीन कोहरी, महेशसिंह बडगुजर, शैलेन्द्र चौहान, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन, एम.रफीक कादरी,  इमदाद कोहरी, राजा इरफान कोहरी, उमरदराज कोहरी, मो.इस्लाम कोहरी, विजयसिंह शेखावत, आदि ने मां पर अपने गीत, कविताएं आदि सुनाकर खूब दाद लूंटी । कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश भारद्धाज, युवा शायर कासिम बीकानेरी, लेखक राजकुमार आसवानी, श्रीमती ललिता सेवग, पी. डी. सेवग, अमानत, साबिया कोहरी  आदि साक्षी बनें ।