दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले के आठवे दिन राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) के लिए चयनित कृतियों के नामों की घोषणा की गयी। मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के नैनो फिक्शन के सचित्र चयन ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया गया।
ध्यान रहे कि यह पुरस्कार अब तक किसी एक कृति को ही दिया जाता रहा है लेकिन इस बार डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने दो कृतियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया। निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्य थे- वरिष्ठ कथाकार विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मैत्यी पुष्पा। इससे पहले यह पुरस्कार क्रमशः ‘चूड़ी बाजार में में लड़की’ (कृष्ण कुमार), ‘ गांधीः एक असंभव संभावना’ (सुधीर चन्द्र), ’व्योमकेश दरवेश’ (विश्वनाथ त्रिपाठी)’को दिया जा चुका है। पुरस्कारस्वरूप पुरस्कृत लेखक को श्रीमती शांति कुमारी वाजपेयी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और राजकमल प्रकाशन द्वारा सम्मान पत्र भेंट किया जाता है।
आज मेले में सायं साढे चार बजे राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर पाठकों की ठसाठस भरी भीड़ के बीच विख्यात आलोचक नामवर सिंह, पाठकप्रिय कथाकार मैत्रेयी पुष्पा और मशहूर शायर-गीतकार जावेद अख्तर की उपस्थिति में इस पुरस्कार से पुरस्कृत कृतियों व लेखकों के नाम की घोषणा की गयी। स्टॉल में उपस्थित पाठक समुदाय ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस घोषणा का स्वागत किया। उस समय स्टॉल में इश्क़ के शहर होना के लेखक रवीश कुमार भी उपस्थित थे। उनको बधाई देते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि मैं आपकीव किताब की बहुत अधिक तारीफ व चर्चा उन लोगों से सुन चुका हूं जिनलोगों ने इसे पढ़ा है। मैं इस किताब को अब पढ़ रहा हूं आप तैयार रहिए आपको किसी भी दिन मेरी तरफ से फोन आ सकता है की आपकी इन कहानियों पर मैं फिल्म बनाने जा रहा हूं।
वहीं दूसरी तरफ लेखक मंच पर आलोक श्रीवास्तव के ग़जल संग्रह ‘आमीन’ का चौथे संस्करण का लोकार्पण नामवर सिंह, जावेद अख्तर व राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस मौके पर जावेद अख्तर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, हिन्दी कविता की किताबे जहां बहुमुश्किल बिकती हैं, आलोक श्रीवास्तव की इस पुस्तक का चौथा संस्करण आना खुशी की बात है। दूसरी तरफ राजकमल के स्टॉल पर समीर वरण नंदी काव्य पुस्तक ‘पृथ्वी मेरे पूर्वजों का टीला’ का लोकार्पण हृषिकेश सुलभ, पुरूषोत्तम अग्रवाल व सुमन केशरी जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।