पटना। बिहार विधानसभा में विश्वास मत का सामना करने से पहले ही मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार की सुबह इस्तीफा दे दिया। मांझी ने कहा कि उनके समर्थक विधायकों को जान से मारने की धमकियां दी गईं। विधानसभा अध्यक्ष से भी उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं थी। मांझी विधानसभा में शुक्रवार को ही विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करने वाले थे। मुख्यमंत्री के इस्तीफे से उत्पन्न स्थिति के बाद विधानमंडल के दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यपाल ने इस बीच नीतीश कुमार को 22 फरवरी की शाम शपथ लेने को कहा है।
राज्यपाल ने मांझी के इस्तीफे को स्वीकार करते हुए उन्हें नई सरकार के गठन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है। शाम पांच बजे उन्होंने नीतीश कुमार को राजभवन आमंत्रित किया। राज्यपाल से मिलने गए नीतीश कुमार के साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, विधानसभा में जदयू विधायक दल के नेता विजय कुमार चौधरी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, राजद के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पूर्वे, राजद विधायक विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी एवं भाकपा विधायक अवधेश कुमार राय और केदार पांडेय भी थे। राजभवन से बाहर आने पर नीतीश कुमार ने बताया कि वह 22 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण राजभवन में होगा। राज्यपाल ने तीन सप्ताह के अंदर यानी 16 मार्च तक सदन में बहुमत सिद्ध करने कहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या सहयोगी दल भी सरकार में शामिल होंगे, नीतीश कुमार ने कहा कि यह आपको जल्द ही मालूम हो जाएगा।
इससे पहले मांझी इस्तीफे की खबर आते ही नीतीश कुमार समर्थक विधायक सात सर्कुलर रोड पर पहुंचे। वहां इन विधायकों की बैठक हुई।
मांझी के इस्तीफे की खबर आने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा, यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की पूरी कोशिश की गई। इसमें सफलता न मिलने पर मुख्यमंत्री ने इस्तीफा देने का फैसला किया। भाजपा का गेम प्लान एक्सपोज हो गया।
मांझी के इस्तीफे के बाद बैकफुट पर आई भाजपा ने कहा कि वे एक दलित के बेटे का समर्थन कर रहे थे। आगे भी साथ रहेंगे। नंदकिशोर यादव ने कहा कि कौरवों (नीतीश की टीम) ने अभिमन्यु (मांझी) का वध कर दिया।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद विधानसभा में अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई। राज्यपाल को अभिभाषण देना था, लेकिन उन्होंने पत्र भेजकर विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया कि बदली परिस्थितियों में वे नहीं आ पा रहे। सदन में जदयू के नेता विजय चौधरी कुछ कहना चाहते थे, लेकिन भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद विधानसभा के सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब नए सिरे से बजट सत्र बुलाया जाएगा।
बीते साल लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनकी सरकार में मंत्री रहे जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन कुछ दिनों पहले जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए मांझी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद से ही राज्य में सरकार बनाने और गिराने की लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक चल रही थी।