जयपुर। लंदन के नागरेचा हॉल में हुए प्रवासी राजस्थानी-सांस्कृतिक पुनर्जागरण कार्यक्रम वीणा समूह के निदेशक केसी मालू ने कहा कि बदलते वक्त के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि हमारी युवा पीढ़ी को मायड़ बोली सिखाएं। राजस्थानी भाषा की मान्यता की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को दुनिया के किसी भी भाषा का ज्ञान कराएं, लेकिन भोजन करते वक्त उनसे मायड़ भाषा में ही बात करें। ऐसा नहीं होने पर हमारे बच्चे राजस्थानी नहीं कहलाएंगे। 1 जुलाई, रविवार को हुए कार्यक्रम में मालू ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता को संवैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में लंदन में प्रवासी राजस्थानियों से आग्रह है कि वे राजस्थानी एसोसिएशन के बैनर पर भारत सरकार को एक पत्र लिखें ताकि राजस्थानी भाषा की मान्यता की राह आसान हो।


सिर्फ लिबास पहनने से राजस्थानी नहीं कहलाएंगे
मालू ने कहा कि आज हम विदेशी धरती लंदन में बैठे हैं आप लोग सब राजस्थानी बोली बोल रहे हैं, लेकिन अपनी संस्कृति व सभ्यता सर्वोपरि है। इसलिए सिर्फ लिबास पहनने से हम राजस्थानी नहीं कहलाएंगे। मालू ने कहा कि यदि वक्त रहते अपने बच्चों को मायड़ भाषा का सबक नहीं दिया तो वे गोरा-बादल, पन्नाधाय सबको को भूल जाएंगे। उन्होंने चिंता जताई कि 50 साल बाद यह बात सिर्फ कल्पना बन कर रह जाएगी। मालू ने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण मिशन के तहत प्रवासी राजस्थानियों को राजस्थान के गौरवशाली इतिहास एवं परम्पराओं का ज्ञान देने की जरूरत है। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं होने से उसके संरक्षण एवं विकास पर विपरीत असर पड़ा है। राजस्थानी भाषा का कोई चैनल नहीं है।
मालू को आउटस्टैंडिंग अचीवर अवॉर्ड -इससे पहले केसी मालू का साफा पहनाकर स्वागत करने के बाद प्रसिद्ध व्यवसायी विजय मेहता ने आउटस्टैंडिंग अचीवर अवॉर्ड से सम्मानित किया।