OmExpress News / Ayodhya / रामनगरी अयोध्या में यह रामकथा का नया अध्याय है, 492 वर्ष तक चली संघर्ष-कथा का अपना ‘उत्तरकांड’ है। अपनी माटी, अपने ही आंगन में ठीहा पाने को रामलला पांच सदी तक प्रतीक्षा करते रहे तो रामभक्तों की ‘अग्निपरीक्षा’ भी अब पूरी हुई है। (Foundation Stone of Ayodhya Ram Temple)
साकेत महाविद्यालय के हेलीपैड पर पहुंचे पीएम मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया स्वागत
अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन को लेकर सरयू घाट को भव्य तरीके से सजाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले दिल्ली से लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पहुंचे और फिर वहां से हेलिकॉप्टर से अयोध्या रवाना हुए। पीएम मोदी रामनगरी के साकेत महाविद्यालय के हेलीपैड पर पहुंचे। वहां उनका स्वागत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रभु राम के भक्त हनुमान और रामलला का पूजन और दर्शन किया। अब अभिजित मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया।
अभिजीत मुहूर्त में भूमि पूजन अनुष्ठान संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक क्षण के सभी सक्षी बने। इस दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री और संघ प्रमुख भी रहे शामिल। कांची के शंकराचार्य की ओर से भेजी गई नवरत्न जड़ित सामग्रियों को पूजन में समर्पित किया गया। अयोध्या वासियों ने राम मंदिर के लिए भूमि भूमि पूजन पर पटाखे फोड़ कर अपनी खुशी का इजहार किया।
अभिजीत मुहूर्त के अंदर ही संपूर्ण भूमि पूजन प्रक्रिया संपादित
प्रधान शिला के पूजन के पश्चात अष्ट उप शिला का पूजन किया गया। इसके पश्चात प्रभु श्रीराम की कुलदेवी के पूजन के साथ ही सभी देवियों का पूजन किया गया। जिस स्थल पर रामलला विराजमान थे उसी स्थल पर शिलाओं का पूजन किया गया। 12 बजकर 40 मिनट 08 सेकेंड तक अभिजीत मुहूर्त के अंदर ही संपूर्ण भूमि पूजन प्रक्रिया को संपादित किया गया। बाबा भैरवनाथ का स्मरण कर भूमि पूजन की ली गई अनुमति। इसी के साथ नौ शिलाओं का पूजन प्रारंभ हुआ।
यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को संकल्प दिलाया गया। वैदिक आचार्य ने भूमि पूजन प्रारंभ कर दिया गया। प्रधानमंत्री पूर्व की दिशा में मुख कर पूजन में शामिल हुए। भगवान श्री गणेश की स्तुति के साथ प्रधानमंत्री ने आचमन किया। इस दौरान सभी देवताओं का ध्यान किया गया। पांच सौ वर्षों बाद इस शुभ घड़ी के लिए धन्यवाद किया गया।