Rajasthan University Convocation
Rajasthan University Convocation
राजस्थान यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक दीक्षांत समारोह आयोजित

जयपुर । नकल के माध्यम से हासिल की गई डिग्री को जहरीली और मिलावटी है। युवा पीढ़ी को ऐसी उपाधियों से बचना होगा। यह संबोधन  राजस्थान यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति और राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहे । उन्होंने कहा कि जिस तरह जहरीले एवं मिलावटी खाद्य पद्वार्थ से लोग रोगग्रस्त हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार नकल से हासिल डिग्रियों से देश की भावी पीढ़ी बौद्धिक विकलांगता का शिकार हो सकती है। राज्यपाल ने मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में उद्बोधन में राष्ट्रगान जन गण मन के एक शब्द पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अधिनायक शब्द अंग्रेजों के सम्मान के लिए लिखा गया था। इसे बदलकर मंगलदायक शब्द किया जाना चाहिए। देश को आजाद हुए सालों हो गए लेकिन दुर्भाग्य है कि आपत्तिजनक शब्दों को हम आज तक नहीं हटा पा रहे हैं। सिंह ने समारोह में डिग्रियां और मेडल वितरण के साथ ही कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित कन्वोकेशन सेन्टर का उद्घाटन भी किया। समारोह में कनाड़ा, बैंगलूरू, दिल्ली, जबलपुर सहित विभिन्न स्थानों से आये छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

राजस्थान यूनिवर्सिटी में 25 साल बाद मंगलवार को आयोजित ऐतिहासिक दीक्षांत समारोह ने कई रिकॉर्ड बनाए, लेकिन ये रिकॉर्ड किसी दस्तावेजों में नहीं, बल्कि यहां मौजूद लोगों के मानस पटल पर जरूर दर्ज करा गए। बरसों पुरानी डिग्री मिलने से लोगों के चेहरे खिल उठे।  समारोह की खासियत ये रही कि डिग्री लेने वालों में 25 साल से लेकर 86 साल की उम्र तक के लोग आए। इनमें कई ऐसे भी थे जो वर्तमान में बड़े-बड़े ओहदों पर हैं तो कई उम्र के एक पड़ाव पर आ पहुंचे हैं। वहीं कई गुरु शिष्यों की पीढीयां दिखीं तो सालों पुराने मित्रों का मिलन यहां देखने को मिला। यानी 86 साल के नारायणलाल से लेकर पुलिस कमिश्नर जंगा श्रीनिवास राव भी डिग्री लेकर ऐसे खुश दिखे जैसे पहली बार रिजल्ट आया हो। इस मौके पर कुल 120 गोल्ड मेडल अनाउंस हुए, जिसमें 72 लोगों ने मेडल प्राप्त किया। इसके अलावा 5 लोगों को डी.लिट की उपाधि दी गई। वहीं मंगलवार को नोडल सेंटर्स पर सुबह 7 बजे से ही डिग्रियां मिलने शुरू हो गई थीं। सालों से नहीं मिली डिग्रियों को लेने के लिए अभ्यर्थियों का तांता लगा रहा।

विरोध करने पर छात्रसंघ अध्यक्ष समेत कई हिरासत में

विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह में उस वक्त माहौल गरमा गया, जब छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल चोपड़ा अपनी पूरी टीम के साथ हाथों में काले झंडे लिए विरोध करने चल पड़े। जानकारी मिलते ही आयोजकों की सांसें फूल गईं। उनके इशारे पर पुलिस हरकत में आई और छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल चौपड़ा को यूनिवर्सिटी के गेट पर ही हिरासत में ले लिया। कुछ समर्थकों को कनोडिया कॉलेज से गिरफ्तार कर लिया गया। इन्हें गांधीनगर थाने ले जाया गया है। समारोह में आमंत्रण न मिलने से छात्रसंघ अध्यक्ष ने सोमवार को नाराजगी जताते हुए समारोह का विरोध करने की चेतावनी दी थी।

गुरु शिष्य की तीन पीढिय़ों ने एकसाथ ली डिग्री 

दीक्षांत समारोह तब रोचक बन गया जब 86 साल के डॉ.नारायणलाल शर्मा कांकर ने डिलिट की उपाधि ली। हर कोई उन्हें देखने के लिए बेताब था। वहीं समारोह में एक और चर्चा लोगों की जुबान पर थी। दरअसल नारायणलाल के साथ उनके शिष्य डॉ. बाबूलाल सेठी और जयश्री ने भी एमफिल की उपाधि ली। दरअसल इनकी डिलिट कोई ज्यादा पुरानी भी नहीं थी बल्कि यह वर्ष 2011 में ही पूरी हुई थी।

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में संस्कृताचार्य रह चुके शर्मा वर्ष 1990 में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नारायणलाल ने बताया कि पठन-पाठन और साहित्य से लगाव के चलते उन्हें सेवानिवृत्त होकर खाली बैठना नागवार गुजर रहा था। जगपुरा निवासी नारायणलाल ने अपने खालीपन को दूर करने के साथ ही व्यक्तित्व के विकास के लिए वर्ष 2008 में राजस्थान विश्वविद्यालय में डिलिट के लिए एनरोल्ड हो गए। इस मौके पर बाबूलाल सेठी के निर्देशन में रिसर्च कर चुके शोधार्थियों को भी पीएचडी और डिलिट की उपाधि से नवाजा गया। इस तरह एक ही मंच पर गुरु शिष्य की तीन पीढिय़ां उपाधि से नवाजी गई।

इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री कासीलचरण सराफ और स्कूली शिक्षा मंत्री प्रो.वासुदेव देवनानी ने भी अपने वक्तव्य रखे। वहीं सराफ ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए प्रत्येक वर्ष अपने विधायक कोष से 10 लाख रुपए देने की घोषणा की। प्रो.गोपाल कृष्ण शर्मा ने विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर ग्लिम्पसेज की प्रथम प्रति राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह को भेंट की।

राज्यपाल बोले, लुटेरों को कब तक महान बताते रहेंगे

राज्यपाल ने कहा कि आज यहां अकबर महान पढ़ाया जा रहा है। यहां तो कम से कम महाराणा प्रताप महान पढ़ाया जाना चाहिए। छात्रों को ये पढ़ाया गया कि अकबर औरंगजेब आदि मुगल महान थे, जबकि हकीकत में महान महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई महान थे। लुटेरों को महान बताकर रक्षकों का अपमान करने के साथ छात्रों को गलत सीख दी रही है।