बीकानेर । व्यक्ति हर पल हर क्षण अपने जीवन में साधक का भाव रखें, यह बात मुनि श्री पीयूष कुमार जी ने भगवान महावीर के 2614 वीं जन्म कल्याणक के मुख्य महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कही। यह समारोह जैन महासभा द्वारा गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में आयोजित किया गया। समारोह में समग्र जैन समाज के श्रद्धालुगण उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि जीवन और विचार एक ही सिक्के के दो पहलू है। हम अगर कोई भी सिक्का उठाते है तो एक तरफ हार होती है और एक तरफ जीत। लेकिन हम भगवान महावीर के जीवन के दोनो पहलूओं को देखें तो विजयी ही होगें उनके आदर्शों को अपनाते है तो हमें यह आभास होगा कि हमारी दोनो तरफ ही जीत ही होगी। मुनिश्री पीयूष कुमार जी ने कहा कि हम भगवान महावीर के संदेशो को महावीर जयंती पर ही नहीं अपितु प्रतिदिन सुनते है अतः उनके जीवन से परिचित है। हमें उनके जीवन व विचारों से संपर्क जोड़ना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि मैं एक साधक हूँ, श्रावक हूँ। मुनि श्री ने कहा कि हमें खाते समय, चलते समय, सोते समय, नहाते समय, यही सोचना चाहिए कि मैं एक साधक हूँ, इस सोच से हम पाप मुक्त रह सकते हैं तथा इस जन्म में ही नहीं बल्कि अगले जन्मों जन्मों तक साधक रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने चार संज्ञाओ पर बल दिया आहार संज्ञा, अपरिग्रह संज्ञा, भाव संज्ञा, मैथून संज्ञा। हमें इन चारों संज्ञाओं को समझना चाहिए।
महोत्सव के मुख्य वक्ता जयपुर से समागत डॉ. सुषमा सिंघवी ने कहा की चेतन का विकास किया जाये जड़ का विकास ठीक नहीं है। चेतना को जिससे संरक्षण हो उन जीवों का संरक्षण करना चाहिए। सिंघवी ने कहा मैत्री स्वभाव से हो, मैत्री समन्वय से हो। उन्होंने कहा जन्म कल्याणक अवसर पर तीर्थंकर को ही नमन नहीं करते हम चतुर्विध धर्म संघ को भी नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें समय की सूक्ष्म से सुक्ष्म इकाई का उपयोग करना चाहिए। हमें समय की किसी भी इकाई को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। सिंघवी ने कहा भगवान महावीर ने अपने जीवन के एक एक पल को गहन चिन्तन व अपने सिद्धान्तों से सिंचित किया। सुषमा जी ने कहा कि हम केवल दर्शन करके या उनके सिद्धान्त सुनकर ही जीवन में अपना नहीं सकते अपितु उन पर गहन चिन्तन करके अपना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मृत्यु तय है, हमारे जीवन के घंटे-मिनट तय है फिर भी हम अपना समय उसमें खपा रहे हैं जो तय नहीं है। हमें जो भी करना है इसी जन्म में करना है, अतः व्यर्थ में समय व्यतीत नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापुरूषों का अवतरण उस समय हुआ जब कर्मकाण्ड, और अनेक तरह के विध्न विद्धमान थे। भगवान महावीर ने एक पैर के अंगूठे से पहाड़ को हिला दिया। कैसा भी पत्थर दिल इंसान हो अगर उसको बच्चे का एक अंगुठा भी लग जाये तो वह गद् गद् हो उठता है वैसी ही भगवान महावीर ने पहाड़ को अंगूठे से हिला कर उसके दिल को गद गद कर दिया। सुषमा सिंघवी ने कहा कि हमें जिस पर आत्म विश्वास हो उसी से मैत्री करनी चाहिए। उन्होंने काव्य रूप में कहा “जो उठते हैं, चलते हैं, अप्रमत हैं सदा! वो जन कहीं हो विश्व में जैनी कहलाते हैं। समारोह में डॉ. सुषमा जी सिंघवी का नयनतारा जी छलाणी ने माल्यार्पण व शॉल ओढा कर तथा अध्यक्ष इन्द्रमल जी सुराणा ने प्रतीक चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया।
समारोह को मुनि श्री मलयज कुमार जी ने कहा की महावीर अजय थे, अपराजेय थे इसलिए भगवान महावीर थे। मुनि श्री ने कहा आपके प्रयास असफल हो जायेंगे परन्तु भगवान महावीर के प्रयास कभी असफल नहीं हुए क्योंकि उन्होंने कभी किसी को भी अपना खतरा नहीं माना। मुनिश्री ने संगमदेव का वर्तान्त सुनाया और कहा की आप किसको हराओगे जिससे आपको खतरा होगा लेकिन भगवान महावीर को किसी से भी खतरा नहीं था और भगवान महावीर स्वयं भी किसी के लिये खतरा नहीं थे। चीनी संत लावोत्से के एक सिद्धान्त के बारे में बताया कि हमें प्रतिपक्षी के साथ भी कभी बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए अच्छा व्यवहार करना चाहिए। मुनिश्री ने कहा की भगवान महावीर का अवतरण भारतीय वसुन्धरा के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए सौभाग्य की बात है हमें उनके गुणों को गुणगान करना चाहिए और उनको अपनाना चाहिए।
जयमल जी महाराज साहब की अनुवृतनी साध्वी श्री शशिप्रभा जी की सहवर्ती साध्वियों ने कहा की तीर्थंकरोें की जन्म जयंती नहीं होती जन्म कल्याणक होता है। माँ त्रिशला को 14 स्वप्न आने का कारण था कि मां को पता चल गया की उसकी कोख में पल रहा जीव साता पहुंचाने वाला है। भगवान महावीर के सिद्धान्तों से एक आत्मा, परमात्मा बन सकती है। साध्वीवृन्दों ने भगवान महावीर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए एक गीतिका प्रस्तुत की।
साध्वी श्री लाभवती जी ने “त्रिशला के लाल प्यारे सिद्धार्थ कुल उजियारे“ गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी डॉ. निर्मल यशा जी ने अभय कुमार और सूल का वृतान्त सुनाया। साध्वी श्री कल्पमाला जी ने “जन जन को अमृत बांटा” कविता प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि महापौर नारायण चौपड़ा ने महावीर जयंती पर निकली 50 शोभा यात्राओं की झांकियो के लिए भूरि भूरि प्रसंशा की। महापौर जी के कर कमलों से झांकियों के लिए प्रोत्साहन राशि जैन महासभा ने भेंट करवाई। मुख्य अतिथि नारायाण जी चौपड़ का अभिनन्दन बंसन्त जी नौलखा, चम्पकमल सुराणा व सूरजराज जैन ने माल्यार्पण,शॉल ओढा कर व प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की मंगल शुरूआत मुनिश्री शांति कुमार जी ने नवकार मंत्र सुनाकर की तथा मंगलाचरण बीकानेर तेरापंथ महिला मंडला व कन्या मंडल ने 14 स्वप्नों की जीवन्त गीतिका प्रस्तुत करके किया। मंगलाचरण में भगवान महावीर के जन्म को दिखाया गया।
अध्यक्ष इन्द्रमल जी सुराणा ने अपने स्वागत भाषण में 21 व्यंजनो को अपनाने पर जोर दिया तथा पधारे हुए सभी धर्म संघ के साधु साध्वियों का तथा पूरे समाज का अभिनन्दन किया तथा सभी झांकियों की सराहना की। पूर्व अध्यक्ष विजय जी कोचर ने महासभा द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा शिक्षा की और सभी का ध्यान दिलाते हुए पूरे जैन समाज से आग्रह किया कि जो जैनी बच्चा स्कूल की फीस नहीं भर सकता उसके लिए समाज के सभी भामाशाहों को आगे आना चाहिए तथा उन बच्चों के भविष्य को सवांरना चाहिए।
गौड़ी पार्श्वनाथ परिसर में खचाखच भरे पण्डाल में कार्यक्रम को संचालन करते हुए महामंत्री जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के सत्य, अहिंसा व अपरिग्रह के सिद्धान्त सास्वत है। वे आज भी प्रासांगिक है व सदा रहेंगे। उन्होने समाज को जागरूक व एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जैन महासभा द्वारा जारी 21 व्यंजन सीमा अभियान से समाज में समरसता बढ़ेगी व प्रदर्शन, अभिमान, अपव्यय व हीनता की हिंसा से बचा जा सकेगा। छाजेड़ ने कहा कि भगवान महावीर ने किसी के दिल को दुःखाना भी हिंसा माना है।
गौड़ी पार्श्वनाथ प्रांगण में मुख्य समारोह से पूर्व महावीर जयन्ती के अवसर पर दिगम्बर नसियां जी, जेल रोड़, बीकानेर एवं जैन जवाहर विद्यापीठ भीनासर से होते हुए गंगाशहर के अलग अलग दो शोभा यात्राआंे का शहर के मुख्य मौहल्लों से होते हुए बड़ा बाजार चौराहे पर संगम हुआ वहां से सम्मिलित शोभायात्रा गोगागेट होते हुए गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर पंहुची। भीनासर से रवाना हुई शोभायात्रा में तेरापंथ ज्ञानशाला के छोटे छोटे बच्चों ने तीन झांकियों से भगवान महावीर के सन्देश का दृश्य जीवन्त कर दिया। समता बहु मंडल, साधु मार्गी जैन महिला समिति, समता युवक मंडल, तेरापंथी सभा भीनासर, गंगाशहर, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ किशोर मण्डल गंगाशहर, भीनासर ज्ञानशाला व कन्या मण्डल की झांकी में भगवान महावीर का द्वारा चण्डकौशिक सांप व चन्दबाला के उद्धार व महावीर के नामकरण का दृश्य प्रस्तुत किया गया। गिरिराज खैरिवाल, मनोज राजपुरोहित, घनश्याम स्वामी एवं राण जी राजपुरोहित के निर्देशन में गोपेश्वर विद्यापीठ, डिसेन्ट किड्स, सेन्ट खेतेश्वर एजूकेशन सोशायटी, संन्ट एस.के. इंग्लिश स्कूल, दिशा कोचिंग, प्रभात बाल मन्दिर की तीन एवं हीरालाल सौभागमल रामपूरिया विद्यालय, आदर्श विद्या मंदिर, आदर्श शिक्षानिकेतन सुजानदेसर, अर्हम इंग्लिश अकेडमी के विद्यार्थियों ने भी भगवान महावीर व अहिंसा एवं समता धर्म के संदेशों को प्रदर्शित किया। इसके साथ ही बीकानेर दिगम्बर नसियां जी से प्रारम्भ हुई शोभा यात्रा में जैन एकता ग्रुप, तेरापंथ महिला मंडल, तेरपंथ कन्या मंडल बीकानेर, दिगम्बर प्रबंध समिति तथा जैन पब्लिक स्कूल की दो झांकियां श्रीमती रूप श्री सिपानी के निर्देशन ने भगवान महावीर के जीवन व सिद्धान्तों से सम्बन्धित विभिन्न दृश्यों के साथ भव्य प्रस्तुति देते हुए में सम्मिलित हुई। शोभयात्रा में शामिल सभी कुल 50 झांकियों को जैन महासभा द्वारा 2100/ नगद पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया गया। आभार ज्ञापन पूर्व महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने किया। कार्यक्रम का संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।