नई दिल्ली। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित होने वाले सात दिवसीय राष्ट्रीय साहित्योत्सव के अंतर्गत बुधवार को नई दिल्ली के रवीन्द्र भवन में उत्तर. पूर्व और उत्तरी लेखक सम्मिलिन आयोजित हुआ ।

इस सत्र में ‘मेरी रचना मेरा संसार’  के अन्तर्गत राजस्थानी भाषा के लेखक राजेन्द्र जोशी ने अपने रचना संसार से रूबरू कराया । अकादमी के सचिव के श्रीनिवासन राव ने बताया  कि इस सत्र में ‘मेरी रचना, मेरा संसारÓ कार्यक्रम में पांच भारतीय भाषाओं के रचनाकारों की परिचर्चा में राजस्थानी भाषा के लेखक राजेन्द्र जोशी ने विस्तार से अपनी रचना प्रक्रिया साझा की।

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जोशी ने कहा कि वे अपने परिवेश से सीखते हैं और आसपास के चरित्रों का निर्माण करते हैं। जोशी ने बताया कि उन्होंने  सामाजिक कार्यकर्ता से अपना सफऱ प्रारंभ करते हुए लिखना -पढऩा शुरू किया और वे तीन दशकों से पूरी ईमानदारी और निष्ठा से एक लेखक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने समाज और आम आदमी के प्रति लेखक के दायित्वों को रेखांकित करते हुए पुख्तगी से कहा कि लेखक को एक्टीविस्ट होना चाहिए।  स्वयं को लोक में रहने वाला लेखक बताते हुए राजेन्द्र जोशी ने कहा कि उनकी दादी द्वारा कही जाने वाली लोक कथाओं को सुनते हुए उन्हें साहित्य सृजन की प्रेरणा मिली।

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जोशी ने अपने रचना संसार में समाज की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि राजस्थानी परिवार में सदैव लोक संस्कृति को  तरजीह दिये जाने के कारण राजस्थानी लेखन विश्व की अन्य भाषाओं के लेखन के बराबर दिखायी देता है।
जोशी ने कहा कि लोक के साथ  घरए परिवार और समाज में रहते हुए वहां के विषयों ए घटनाओं और पीड़ा को कविताओं में उठाने का वे प्रयास करते हैं । उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति को जीने वाला लेखक ही राजस्थानी में लिख सकता है।इस सत्र में बोडो के लेखक अदाराम बसुमतारीए हिन्दी के कृष्ण मोहन झाए अंग्रेजी की संगीता मल्ल तथा  ने भी अपने रचना संसार से परिचय कराया ।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ष्आशावादी एष्  डॉ राजेश कुमार  व्यास सहित देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन  सुकृता पाल कुमार ने किया। अकादेमी सचिव राव ने बताया कि इससे पहले पूर्वोत्तरी कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं अकादेमी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर कंबार ने की  । बीज वक्तव्य वरिष्ठ साहित्यकार डॉ  विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने दिया तथा  वरिष्ठ असमिया लेखक ध्रुव ज्योति वोरा  समारोह के विशिष्ट अतिथि थे।

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