रामचरित मानस आज भी प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण : वृदान्दावन दास महाराज
रामचरित मानस आज भी प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण : वृदान्दावन दास महाराज
रामचरित मानस आज भी प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण : वृदान्दावन दास महाराज

बीकानेर। श्रीगोस्वामी तुलसी दास की जयन्ती पर शनिवार को तुलसी सर्किल स्थित तुलसीदास की मूर्ती पर सुबह पुष्पाजंलि कार्यक्रम के साथ पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर पण्डित काशी वृदान्दावन दास महाराज ने मुख्यवक्ता के रूप में कहा कि तुलसी साहित्य मानव मूल्यों को संरक्षण और मानवतावाद का चिर प्रतीक्षित स्वरूप सजीव करना तुलसी के समन्वय का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि भक्ति आन्दोलन के आकाश में गोस्वामी तुलसीदास को स्थान घ्रुव तारे के समान है। उनकी रचना “रामचरितमानस” हमारी संस्कृति की धरोवर है। यह जीवन क विविध आयामों की विवेचना कर हमें सही मार्ग पर चलने की दिशा प्रदान करती है। वृदान्दावन दास महाराज ने कहा कि रामचरित मानस का लोगों ने धर्मग्रंथ से अधिक पढ़ा और जिया है। भारतीय ही नहीं पूरे विश्व ने नारी पटल की स्थिति पुरूष के साथ सहयोगी भाव की रही है। श्रद्धा-विश्वास की साक्षात प्रतिमूर्ति नारी जीवन के समतल में पीयूष श्रोत सी प्रवाहमान होती है,उसे सुन्दर ढंग से जीने योग्य बना देती है। विप्र फाण्डेशन की जिला अध्यक्ष ने सुनीता गौड़ ने तुलसीदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि तुलसीदास की चेतना विशेष प्रकार के स्त्री चरित्रों,जो स्वस्थ समाज के निर्माण में शिल्पी की भूमिका में हो,उन्हें अपना आदर्श मानती थी। स्त्री को समाज निर्मात्री के पद पर प्रतिष्टित करने,पुरूषों का स्त्रियों के प्रति सामन्ती एंव भोगवादी मनोवृति पर अंकुश लगाने और महिला सशक्तिकरण के लिए ’रामचरित मानस’आज भी प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण है। तुलसी कुटीर के अध्यक्ष श्रीधर शर्मा ने गोस्वामी की रामचरित मानस को मानवीय मूल्यों के मण्डप में अन्त्योदय का अनुष्ठान बताया। उन्होंने कहा कि सौन्दर्य की स्याही से अंकित अपनत्व के अनुच्छेदों में,सर्वोदय का संविधा है। रामचरित मानस यानि वसुधैव कुटुम्बकम् में पूरा विश्ववास । तुलसी की लेखनी में सर्वजनहिताय की धूरी पर घुमती है और आदर्श राम को यानि मानव मूल्यों को चूमती है। उन्होंने कहा कि मध्यकालीन भक्ति आनन्दोलन के प्रर्वतक स्वामी रामानंदचार्या कीे परम्परा के तुलसीदास जाति-पांति से ऊपर भक्ति को मानते है,जो राम राज्य कीे सबसे बड़ी विशेषता है। इसी खासियत को महात्मा गांधी लोकतंत्र में स्थापित करना चाहते थे। तुलसी कुटीर के पण्डित केदारमल ने पूजा अर्चन करवाई तथा अशोक मेहता,पूनमचंद शर्मा,सीताराम,लक्ष्मण सिंह एवं बड़ी संख्या में महिला भक्तजनों ने जयन्ती अवसर पर पुष्पाजंलि अर्पित की।