बीकानेर । केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफेयर्स राज्यमंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी, इसमें नई शिक्षा नीति की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहेगी।
श्री मेघवाल सोमवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन (द्वितीय) में ‘शिक्षा नीति -2016: मुद्दे, चुनौतियां और सुझाव’ विषयक सेमिनार के उद्घाटन सत्रा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति का ड्राफ्ट मानवता के इर्द-गिर्द घूमता है। विद्यार्थी चरित्रावान, संस्कारवान, योग्य एवं सक्षम कैसे बने, नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है। यह नीति देश का भविष्य तय करने वाली होगी। इसमें भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रसंग भी सम्मिलित किए जाएंगे।
केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री ने तात्कालीन महाराजा गंगासिंह को दूरदृष्टा और विकास पुरूष बताया तथा कहा कि उनके प्रयासों से ही पश्चिमी राजस्थान में गंगनहर आ सकी। महामना मदनमोहन मालवीय, उनके व्यक्तित्व से बेहद प्रभावित थे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में भी उनकी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री से बीकानेर में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना करने तथा महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में नए संकाय खोलने की मांग की।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे ने कहा कि पूरे देश को छह जोन में विभक्त करके, शिक्षा नीति के संबंध में तथ्य एकत्रित किए गए हैं। मूल्य आधारित शिक्षा, मुहैया करवाना इसका मूल उद््देश्य है। इसे समय की मांग एवं समाज की जरूरतों के आधार पर तैयार किया गया है। देश की हजारों वर्षों की परम्पराओं एवं ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित प्रतिमानों को भी सम्मिलित किया गया है, जिससे देश में प्राच्य संस्कृति की अवधारणा के साथ शोध के क्षेत्रा मे भी नए आयाम स्थापित हों।
डॉ. पांडे ने कहा कि महाराजा गंगासिंह, शिक्षा के प्रति समर्पित थे। वे पांच बार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति चुने गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में महाराजा गंगासिंह की ‘चेयर’ पुनर्स्थापित करवाने का भरोसा दिलाया। साथ ही बीकानेर में केन्द्रीय विद्यालय स्थापित करने तथा विश्वविद्यालय में नए संकाय स्थापित करने का विश्वास दिलाया। उन्होंने बीकानेर सांसद द्वारा स्थापित सांसद सेवा केन्द्र को आमजन की सेवा का अभिनव प्रयोग बताया।
स्कूल ऑफ ट्रांसलेशन स्ट्डीज एण्ड ट्रेनिंग, इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के निदेशक प्रो. अवधेश कुमार सिंह ने मुख्यवक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि बीसवीं सदी में शैक्षणिक उन्नयन में डॉ. राधा कृष्णन और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज एक ऐसी नीति की जरूरत है, जो युवाओं को नई दिशा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सरकार के साथ, अध्यापकों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण रहेगी।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. चंद्रकला पाडिया ने कहा कि सामाजिक समानता स्थापित करने में शिक्षा की भूमिका अत्यंत प्रभावी होती है। नई शिक्षा नीति में उद्यमिता एवं कौशल प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने आगंतुकों का आभार जताया। इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर सेमिनार का विधिवत शुभारम्भ किया। इस अवसर पर याद करो कुर्बानी सहित विभिन्न पुस्तकों का विमोचन किया गया।
सेमिनार में महापौर नारायण चौपड़ा, प्रधान राधा देवी सियाग, नंद किशोर सोलंकी, डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य, सहीराम दुसाद, कुलसचिव यशवंत भाकर,डीआरडीओ के पूर्व निदेशक डॉ. एच. पी. व्यास, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष विमल प्रसाद अग्रवाल, सहायक निदेशक (कॉलेज शिक्षा) दिग्विजय सिंह, उप कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, छात्रा संघ अध्यक्ष विक्रम सिंह राठौड़, महासचिव हितेश ओझा, संयुक्त सचिव भावना सहित विश्वविद्यालय स्टाफ, विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतिनिधि, विद्यार्थी एंव गणमान्य नागरिक मौजूद थे।