बीकानेर। सुकमा,छत्तीसगढ़ में 11 मार्च की उस डरावनी सुबह को कोई भूल नहीं सकेगा, जब सीआरपीएफ के 12 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। शहीद होने वालों में एक नाम नोखा तहसील के जगदीश बिश्नोई का भी था।
जिसकी वीरता की कहानियां अब गांव का बच्चा-बच्चा जानेगा। इसके लिए कोई किताब नहीं लिखी जा रही। बल्कि शहीद की पत्नी वीर नारी रचना बिश्नोई ने यह ठानी है कि वह गांव के बच्चों को पति की वीरता के किस्से सुनाएंगी। ताकि वह युवाओं के लिए प्रेरणा बनें। इसके लिए उन्होंने सरकारी स्कूल में अध्यापिका की नौकरी करने का फैसला किया है।
रचना बीए, बीएड हैं। सरकार शहीद के आश्रित को नौकरी देती है। रचना की इच्छा है कि उसे उसी स्कूल में पोस्टिंग दी जाए, जिसका नामकरण जगदीश बिश्नोई के नाम पर हो। हालांकि जगदीश के अचानक यूं चले के गम से रचना अभी उबर नहीं पाई है। लेकिन शहीद के पैकेज के लिए चल रही सरकारी औपचारिकताओं के दौरान रचना ने टीचर बनने पर सहमति दे दी है। जिला कलेक्टर ने भी शीघ्र नियुक्ति देने का आश्वासन दिया है।