एलीवेटेड रोड़ निर्माण के विरोध में प्रभावित क्षेत्र रहे बंद

बीकानेर। कोटगेट क्षेत्र को यातायात जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के विरोध में उससे प्रभावित क्षेत्रों के.इ.एम रोड, जैन मार्किट, खजांची मार्किट,  लाभूजी कटला व कोटगेट के अधिकतर प्रतिष्ठान दोपहर 2 बजे तक बंद रहे । बंद के दौरान व्यापर एसोसिएशन के आह्वान पर जुलूस विरोध के नारे लगाते हुए कलेक्टरेट पहुंचे और ज्ञापन दिया।

व्यापारियों ने कहा कि अगर एलीवेटेड रोड़ के निर्णय को वापिस नहीं लिया गया भयंकर आंदोलन छेड़ा जाएगा। व्यापारियों ने कहा कि अगर सरकार दीनदयाल सर्किल से रानी बाजार तक फोर लेन का निर्माण करती है तो वर्तमान डीएलसी दर के आधार पर न्यूनतम मुआवजा भी दिया जाता है तो यह 950 करोड़ रुपए का होगा। सरकार की ओर से किए जा रहे सर्वे से कुछ ऐसे ही तथ्य सामने आ रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि पूरा प्रोजेक्ट 250 करोड़ रुपए का है, जो स्वयं सरकार ने तैयार किया है। यानी जो काम महज 250 करोड़ रुपए में हो सकता है, उसके लिए 950 करोड़ रुपए का खर्च क्यों किया जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार के धन का दुरुपयोग हो रहा है और चहेते ठेकेदारों को मलाई खिलाने का काम हो रहा है। ज्ञात रहे 250 करोड़ में समस्या समाधान का प्रोजेक्ट भी इसी सरकार ने तैयार किया थाए फिर अचानक से यह राशि क्यों बढ़ाई गई।

बीकानेर ब्यापार एसोसिएशन के प्रतिनिधि पूर्व विधायक रामकिशन दास गुप्ता, प्रेम खंडेलवाल, जतिन यादव, सोनू राज असुदानी, श्याम सुन्दर तंवर,  जीतेन्द्र सोलंकी, रवि पुरोहित सहित अनेक ब्यापारी शामिल थे।

671 दुकान मालिक प्रभावित

बीकानेर व्यापार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सोनूराज आसुदानी के अनुसार अगर सरकार फोर लेन का निर्माण करती है तो 671 दुकान मालिकों के प्रतिष्ठानों पर कम या ज्यादा तोडना पड़ सकता है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों के मकान भी है, जिनमें उनके परिवार रहते हैं। राष्ट्र हित में अगर यह काम भी करना पड़े तो किया जाए लेकिन जिस माजिसा मंदिर के पास पहले से 80 फीट रोड है, वहां मकान तोडने को सरकारी समझदारी नहीं कहा जा सकता बल्कि हिटलरशाही व्यवस्था ही बताया जाएगा। अगर एलिवेटेड रोड के कारण तय दुकानों को तोड़ा जाता है तो करीब अस्सी हजार लोग प्रभावित होंगे। यह लोग इन दुकानों, मकानों के मालिक और वहां काम करने वाले मालिक व कर्मचारियों के परिवार है। यह भी सरकार की ओर से करवाए गए सर्वे में स्पष्ट हो रहा है। जो दुकानें तोड़ी जाएगी, वहां भविष्य में न तो दुकान बन सकेगी और न ही मकान। ऐसे में अस्सी हजार लोगों को दरबदर करने का प्रयास हो रहा है। आसुदानी के अनुसार कोई भी मकान, दुकान राष्ट्र की संपत्ति है। अगर फोर लेन के लिए इनको तोड़ा जाता है तो यह राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान भी है। एक अनुमान के मुताबिक अरबों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हो रहा है। जितनी बड़ी समस्या नहीं है, उससे बड़ी परेशानी स्वयं सरकार पैदा करने पर आमादा है।