Supreme Court India

OmExpress News / New Delhi / लॉकडाउन के बाद देश के बड़े शहरों से भारी परेशानियों का सामना करते हुए गांवों को लौटने पर मजबूर मजदूरों की मसले पर को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम उन मजदूरों की कठिनाइयों को लेकर चिंतित हैं जो अपने मूल स्थान पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। (Migrant Worker Hearing)

हम देख रहे हैं कि जो इंतजाम सरकारों की ओर से किए गए हैं, उनमें कई खामियां हैं। रजिस्ट्रेशन, ट्रांसपोर्ट से लेकर भोजन और पानी की व्यवस्था तक हर जगह कमिया हैं। मामले की अलगी सुनवाई 5 जून को होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मजदूरों से बस, ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें मजदूरों का किराया देंगी। साथ ही अदालत ने कहा कि जो मजदूर पैदल चल रहे हैं, उनके लिए तुरंत शेल्टर की व्यवस्था की जाए और उनके खाने पीने का भी इंतजाम किया जाए।

तुषार मेहता व कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस देखने को मिली

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत में कहा कि ये एक अभूतपूर्व संकट है और इससे निपटने के लिए सरकार अभूतपूर्व उपाय कर रही है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कुल प्रवासियों का 80 प्रतिशत उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। अब तक 91 लाख प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाया गया है।

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता और एक संगठन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस देखने को मिली। सिब्बल ने सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल किया तो मेहत ने उनसे ही पूछ लिया कि उन्होंने क्या किया है।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल बोलने के लिए खड़े हुए तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जगह को राजनीतिक फोरम ना बनने दें। इस पर सिब्बल ने कहा कि ये तो एक मानवीय त्रासदी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल नेआपने इस त्रासदी में क्या सहयोग किया? सिब्बल ने जवाब दिया कि चार करोड़ का सहयोग किया है।

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कपिल सिब्बल ने कहा कि 1991 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 3 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं. अब ये संख्या बढ़कर 4 करोड़ के आसपास होगा लेकिन सरकार कह रही है सिर्फ 91 लाख को घर पहुंचाया है, बाकी लोगों का क्या हुआ।सरकार ने 27 दिन में 91 लाख भेजे हैं। इस तरह तो चार करोड़ को भेजने में तीन महीने और लगेंगे। सिब्बल ने कहा कि सरकार ने अपने हलफनामे में किसी राष्ट्रीय या राज्य स्तर के प्लान का जिक्र न कैसे?हीं किया है। मेरा कहना है कि ज्यादा ट्रेनें चलनी चाहिए।