बीकानेर। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के शोध अध्ययेता इटली विद्वान डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की 131 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम दिन सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा अवार्ड अपर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया । शुक्रवार को वरिष्ठ नागरिक समिति, बीकानेर लेबोरेट्री, अम्बेडकर सर्किल के सभागार में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.भागीरथ सिंह बिजारणीयां को तैस्सितोरी अवार्ड से सम्मानित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता चिंतक, कवि एवं आलोचक डॉ0 नन्द किशोर आचार्य ने की तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रारंभिक शिक्षा, राजस्थान,बीकानेर के निदेशक श्री श्यामसिंह राजपुरोहित थे ।
माथुर को ‘कला पुरोधा’ सम्मान से सम्मानित किया
शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की तरफ से अग्रवाल क्वार्टर में वरिष्ठ चित्रकार मुरलीमनोहर के. माथुर को ‘कला पुरोधाÓ सम्मान से सम्मानित किया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोदÓ ने कहा यह बात दीगर है कि माथुर बीकानेर छोड कर अजमेर अपने पुत्र के पास जा रहे हैं ।
देखा जाए तो माथुर ने बीकानेर को बहुत कुछ दिया है चाहे वह चित्रकला हो या हैंड राईटिंग इम्प्रूवमेंट की क्लासेज हो या कपडों पर फेबिक्स कलर सिखाना। माथुर ने निस्वार्थ भाव से सभी बच्चों व बच्चियों को निशुल्क ज्ञान कराया यह बडी बात है । मुख्य अतिथि डीआरएम अनिल दुबे ने कहा कि माथुर रेल्वे से सेवानिवृत अच्छे कलाकार है जिनके द्वारा बनाए चित्रों की प्रदर्शनियां भारत के अनेक हिस्सों में लगी । जनता ने इनके द्वारा बनाए चित्रों को खूब सराहा है । राजस्थानी की प्रथम उपन्यासकार आनन्दकौर व्यास ने माथुर के किए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस अर्थप्रधान समय में निस्वार्थ भाव से निशुल्क बच्चों को प्रशिक्षित करना दुष्कर कार्य है । जिसमें माथुर सफल रहे हैं ।
शब्दरंग के सचिव कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने माथुर के 1956 से अबतक किए रचनात्मक कार्यों को विस्तृत रुप से बताया । संयोजक अशफाक कादरी ने माथुर के चित्रों पर लिखे आलेखों को सुनाते हुए कहा कि माथुर स्वयं सकारात्मकता से ओत-प्रोत विभूति है । श्री संगीत भारती के निदेशक डॉ.मुरारी शर्मा, सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा, चन्द्रशेखर जोशी, डॉ.सीताराम गोठवाल, चित्रकार श्रीमती सुलोचना गोठवाल, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन, संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र जोशी, इंजीनियर गोवर्धनलाल चौमाल, क्वयित्री आशा शर्मा, फिल्मकार मंजूर अली चन्दवानी, रोहित माथुर, शायर वली गौरी, एड.इसरारहसन कादरी ने अपने संस्मरण साझा किए ।
संस्था की तरफ से अतिथियों ने माथुर को पुष्प मालाएं, शॉल, सम्मान-पत्र, सम्मान पट्टिका और श्रीफल भेंट कर बीकानेर में उनकी कला का मान बढाया । माथुर ने अपने उद्बोधन में बीकानेर के प्रति लगाव को दर्शाते हुए कहा बहुत दुख हो रहा है बीकानेर छोडते हुए, मेरा परिवार तो यहां है लेकिन उम्र के इस पडाव में बच्चों के साथ रहना भी जरुरी है । बीकानेर ने मुझे एक नई पहचान दी, मेरा मान-सम्मान यहां की बहुत सारी संस्थाओं ने समय-समय पर किया जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता । सभी आगंतुकों के प्रति आभार समाज सेविका श्रीमती कलावती माथुर ने माना ।(PB)