आज हमारे भारत के उस महान सपूत का जन्मदिन है जिसने भारत देश में फैल रही सामाजिक असमानता को मिटाने के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया जिस समय महानायक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जन्म लिया उस वक्त भारत में गोर असमानता का युग था एसे तो भारत देश के अंदर वेदों के अनुसार कर्म के आधार पर जातियों का बनने की परंपरा थी

लेकिन सत्ता में बैठे उन प्रभावशाली निर्धारित करने वाले कर्ताओं ने अपने स्वार्थ के कारण जातियों का निर्माण जन्म से ही प्रारंभ कर दिया जो आगे चलकर जातियों में असमानता ऐसा दौर लाया जो भारतीय इतिहास को कलंकित किए हुए हैं अपने को श्रेष्ठ बताने वाली जातियों ने भारत की परंपरागत बहुसंख्यक समाज को शूद्र कहकर उनको संबोधित किया तथा उनके लिए घृणित कार्य करने के लिए उन्हें बाध्य किया गया उनके लिए रहने की जगह गांव के बाहर निर्धारित की गई उन्हें जानवर से भी खराब जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया गया उसे गुलामी करवाए जाने लगी बंधुआ मजदूर बना के रखा गया उन्हें शिक्षा से दूर रखा गया उन्हें जानवरों के गोबर में से अनाज खाने को मजबूर किया गया वह धर्मो उपदेश नहीं सुन सकते मनुस्मृति बाल्मीकि रामायण शंबूक वध महाभारत में एकलव्य तथा शुद्र पुत्र कर्ण जैसे पात्रों के साथ अन्याय किया गया था

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उन्हें अछूत कहकर यातनाएं दी जाने लगी ऐसे समय में 14 ्रश्चह्म्द्बद्य 1891 को पिता रामजी मालो जी सतपाल मां भीमा भाई जाति महार के घर मध्य प्रदेश इंदौर के पास महू गांव में 14 वी संतान के रूप में अवतरण हुआ जिस वक्त बालक भीमराव का जन्म हुआ उस वक्त उनके पिता इंडियन आर्मी ईस्ट इंडिया कंपनी में सूबेदार के पद पर कार्य करते थे 1894 में अपने पिता की सेवा मुक्ति के बाद भीमराव अपने पिता के साथ है महाराष्ट्र के सतारा में रहने लगे भीम राव जी का मूल गांव का नाम अंबावडे था 7 नवंबर उन्नीस सौ को उन्होंने काफी संघर्ष के बाद सतारा शहर की गवर्नमेंट हाई स्कूल मैं प्रवेश लिया जहां के शिक्षक कृष्णा कुकर महादेव ने उनका उपनाम अंबा वाले की जगह अंबेडकर कर दिया वह अब भीमराव अंबेडकर के नाम से उन्हें पहचान मिली अंबेडकर प्रतिभा संपन्न थे पढऩे में उनकी बहुत रुचि थी डॉ भीमराव अंबेडकर 15 वर्ष की आयु में 9 वर्ष की रमाबाई से शादी करवा दी गई थी

उन्नीस सौ आठ में अंग्रेजी मित्र द्गद्यश्चद्धद्बह्यह्लशठ्ठ के कहने पर उन्हें मुंबई मुंबई विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज में प्रवेश मिला जहां पर कृष्ण जी अर्जुन केलकर ने स्वयं द्वारा लिखित महात्मा बुद्ध की एक किताब भेट की अंबेडकर जी की प्रतिभाओं को देख कर बड़ौदा के नरेश सदाजी राव गायकवाड ने तोलमोल करने के बाद की विदेशी पढ़ाई करके आने के बाद वह महाराजा के पास ही नौकरी करेंगे उन्हें पढ़ाई के लिए अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में भेज दिया बाद में उन्होंने लंदन से भी शिक्षा प्राप्त की राजनीति शास्त्र अर्थशास्त्र पारसी भूगोल और कहीं विषय में घोर अध्ययन किया तथा एचडी प्राप्त की जिस समय अंबेडकर भारत में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे

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उस वक्त शूद्र जाति के लोग संस्कृत में शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने संस्कृत की जगह फारसी भाषा मैं अध्ययन किया उन्होंने जातियों में असमानता को दूर करने के लिए कहीं आंदोलन किए तथा मंदिरों में शूद्रों को प्रवेश दिलाने के लिए उन्हें संघर्ष किया उन्होंने तालाबों में पानी पीने के लिए आंदोलन किए भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान सभा में भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया उन्होंने कहीं देशों के संविधान का अध्ययन करने के बाद में भारतीय संविधान सभा में 26 नवंबर 1949 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को सविधान का मसौदा प्रस्तुत किया डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया भीमराव अंबेडकर जी ने कहा है धर्म आदमी के लिए है आदमी धर्म के लिए नहीं उन्होंने जो मानवता को मानवता से दूर करें तथा रूढि़वादिता के नाम पर एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ असमानता और कुरता पूर्ण व्यवहार करें ऐसे किसी भी धर्म शास्त्र का विरोध किया

21 वर्षों तक विभिन्न धर्मों के अध्ययन करने के बाद में अंत में बौद्ध धर्म अपनाकर अपने आप को मानव धर्म के लिए अर्पित कर दिया आज राजनीतिक पार्टियां उनके नाम का उपयोग करके अपना वोट बैंक बनाना चाहती है लेकिन अंबेडकर जी की वास्तविक शिक्षा के बारे में कोई नहीं सोचना चाहता उन्होंने समाज में फैल रही बुराइयों तथा राजनीतिक में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उसी समय सिद्धांत निर्धारित किए थे लेकिन वास्तविकता यह है कि हम अंबेडकर जी को केवल वोट लेने की वजह से याद कर रहे हैं वास्तव मै शिक्षा व उनके द्वारा बताए गए सिद्धांतों से किसी राजनीतिक पार्टी का कोई लेना देना नहीं है आओ हम सब मिलकर ही एसे मानवतावादी द्वारा बताए गए सिद्धांतों को अपनाकरश्रेष्ठ भारत एक भारत का निर्माण करें महान सपूत अंबेडकर जी को कोटि-कोटि नमन सामाजिक कार्यकर्ता अनीस भारतीय।

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