OmExpress News / नई दिल्ली / तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए ट्रिपल तलाक विधेयक को लोकसभा में बहुमत के साथ पारित हो गया। संसद के शीतकालीन सत्र का 10वें दिन लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा हुई। जिसके बाद लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 पेश किया। सदन में विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े। इसके साथ ही लोकसभा से तीन तलाक बिल पारित हो गया है। Triple Talaq Bill
कांग्रेस, AIADMK ने किया वॉकआउट लोकसभा में कांग्रेस, एआईएडीएमके समेत कई विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल के खिलाफ सदन से वॉकआउट किया। हालांकि कुछ दल बिल पर डिवीजन की मांग कर रहे थे। स्पीकर के कहने पर लॉबी क्लियर कर दी गई हैं और अब तीन तलाक बिल पर डिवीजन हो गया। लोकसभा से पास होने के बाद अब तीन तलाक के बिल को राज्यसभा में भेजा जाएगा। राज्यसभा में बिल पास होने बाद कानून बन जाएगा।
ओवैसी के चार संशोधन प्रस्ताव हुए खारिज – Triple Talaq Bill
इससे पहले तीन तलाक बिल सांसद प्रेमचंद्रन का संशोधन प्रस्ताव सदन में गिर गया। उसके बाद ओवैसी की ओर से लाए गए प्रस्ताव को भी सदन से मंजूरी नहीं मिल सकी। वोटिंग में ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 वोट पड़े जबकि 236 सांसदों ने प्रस्ताव का विरोध किया। इसके साथ ही ओवैसी की ओर से लाए गए 4 संशोधनों के प्रस्ताव को सदन की ओर से खारिज कर दिया गया। बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब की ओर से लाया गया संशोधन प्रस्ताव भी खारिज हो गया है, इसके पक्ष में 10 और विरोध में 245 वोट पड़े।
अध्यादेश लाने से जुड़े सवालों पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर बिल पारित नहीं हो रहा है तो क्या हम महिलाओं को तीन तलाक के नाम पर तंग होने दें। इसी वजह से हम अध्यादेश लेकर आए थे क्योंकि राजनीतिक वजहों से बिल का विरोध हो रहा था। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी जरूर आई है लेकिन अब भी यह कुरीति जारी है। Triple Talaq Bill
वहीं नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महिलाओं के नाम पर लाया गया यह बिल समाज को जोड़ने का नहीं समाज को तोड़ने का बिल है। उन्होंने कहा कि यह समानता के अधिकार के भी खिलाफ है। खड़गे ने कहा कि धर्म के नाम पर यह बिल भेदभाव करता है और धार्मिक आजादी के खिलाफ है।