बीकानेर । विरासत संवर्द्धन संस्थान के तत्वावधान में सुगम संगीत का कार्यक्रम हंसा गेस्ट हाऊस ऑडिटोरियम, नोखा रोड़़, गंगाशहर में अयोजित किया गया। संस्थान के हेमंत डागा ने बताया कि इस कार्यक्रम में जोधपुर की गजल गायिका नेहा हर्ष जिन्होने संगीत कि शिक्षा अपनी दादी शकुंतला हर्ष, पिता जगदीश हर्ष एवं अनुप पुरोहित से प्राप्त की है। गोल्डन वॉयस ऑफ राजस्थान, जूनियर सीनियर राष्ट्रीय सुगम संगीत में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इनको मारवाड़ की आवाज व जोधपुर ऑयडल टाईटल से भी सम्मानित किया गया है। नेहा हर्ष ने शंकर महादेवन के साथ भी गॉल्डन वॉयस में अन्तिम चार में स्थान प्राप्त किया है इन्होंने राजस्थानी फिल्म माहदेव व लधु फिल्म लक्ष्मण रेखा में प्ले बेक सिंगर के रूप में काम किया है। डागा ने बताया कि नेहा हर्ष ने “करूं न याद मगर किस तरह भुलाऊं उसे” किसी रंजिश को हवा दो कि मैं जिंदा हूँ अभी मुझ को अहसास करा दो” जैसी खूबसूरत गजलों व राम चरित्र मानस की कुछ चौपाईयां व दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्ला जैसे भजन व गाने सुना कर श्रोताओ को मंत्र मुग्द कर दिया। सैकडों की संख्या में मौजूद श्रोताओं ने तालिया की गड़गड़ाहट से पूरा ऑडिटोरियम गूज उठा। संस्थान के महामंत्री भैरव प्रसाद कत्थक ने बताया कि कुचामन सिटी से समागत लक्ष्मी राणा जिन्होंने अपनी संगीत की शिक्षा अपने पिता प्रशिक्षक रामेश्वरलाल राणा व भारतीय संगीत सदन कुचामन सिटी में संगीत निदेशक से विधिवत ग्रहण कर रही है। हॉल ही में सुजानगढ़ में नेशनल लेवल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। लक्ष्मी राणा को शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, भजन व गजलों में महारात हासिल है। लक्ष्मी राणा ने आज के सुगम संगीत कार्यक्रम में “श्याम पिया घर आये बदरा वृज मंडल में छाये” ठूमरी- जाओ छोड़ो ना कलाई” राग देश व मांड – सूनो छै जी म्हारो देश पिया बिन सूनो छः व “नैनों में बदरा छाये”, “छाप तिलक”, जैसे भजन, गजल व गानो की मधुर प्रस्तुती दी इनकी गजलों, भजनों व गानों को सुनकर हर श्रोता के मुंह से वाह वाह की आवाज व तालिया गूंज उठी। कोषाध्यक्ष जतनलाल दूगड़ ने बताया कि संस्थान के अध्यक्ष टोडरमल लालाणी, उपाध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद सहल व सैकड़ो श्रोताओं ने इन दोनों कलाकारों की खूब तारीफ की। दूगड़ ने बताया कि पुखराज शर्मा तथा उनकी पार्टी ने वाद्य यंत्रो पर गायकारों का बखूबी साथ निभाया। श्रोताओं ने विरासत संवर्द्धन संस्थान से आग्रह किया की ऐसी ही समय समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते रहे जिससे पूरा समाज पूरा देश अपने सुगम संगीत से जूड़ा रहे। इस सुगम संगीत कार्यक्रम में हूलासमल लालाणी, कन्हैयालाल फलोदिया, तोलराम जी बोथरा, पारस डागा, सोहन चौधरी व अनेक गणमान्य श्रोतागण उपस्थित थे।