प्रो. विजय शंकर व्यास के निधन पर नालन्दा स्कूल में शोकसभा आयोजित

बीकानेर। पद्मभूषण अर्थशास्त्री व प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार प्रो. विजय शंकर व्यास सिर्फ बीकानेर के ही गौरव नहीं वरन् पूरे भारत वर्ष के गौरव थे। वे लोगों को शिक्षा के प्रति जाग्रत करते रहे तथा मोबाइल वाचनालय (तागो) के द्वारा लोगों के घरों तक पढ़ाने के लिए पुस्तकें पहुंचाने की व्यवस्था में लगे रहे ताकि पढऩे का जुनून कम न हो। ऐसा महान् व्यक्तित्व आज स्वयं चिरनिद्रा में सो गया। उन्हें सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में ही महारत हासिल नहीं था वरन् साहित्यिक क्षेत्रों में भी लोगों को प्रोत्साहन देते थे। ऐसे व्यक्तित्व का जाना ना केवल मेरे लिए वरण पूरे समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। ये सम्बोधन आज नालन्दा पब्लिक सी.सै. स्कूल में वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा ने प्रो. व्यास के असामयिक निधन पर आयोजित शोक सभा में व्यक्त किए।

प्रज्ञालय संस्थान के श्री कमल रंगा ने प्रो. व्यास के व्यक्तित्व व उनके बीकानेर से जुड़ाव के बारे में बताया। कमल रंगा ने कहा कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर में हुई और अजित फाउंडेशन उन्हीं की देन है। उन्होंने बीकानेर की भौतिक व आर्थिक स्थिति को देखकर ही इस नेक कार्य को करने का संकल्प लिया।
शाला प्राचार्य राजेश रंगा ने कहा कि प्रो. व्यास ने अपने जीवनकाल में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। भारतीय प्रबन्ध संस्थान के उपरांत उनकी सेवाएं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने लगी। प्रो. व्यास का राजस्थान के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। कृषि, पशुपालन एवं जल संसाधनों के विकास में उनका चिंतन स्पष्ट एवं व्यवहारिकता से जुड़ा है। वर्तमान हिन्दी को स्वीकार करते हुए सीधा एवं सरल जवाब देना उनका स्वभाव था।

शाला के हिन्दी विभागाध्यक्ष श्री मदनमोहन व्यास (एस.पी.) ने उन्हें बीकानेर के भीष्म पितामह बताते हुए कहा कि वे पद्मभूषण से सम्मानित होने वाले बीकानेर के गौरव थे। विश्व बैंक में अपना लोहा मनवाने वाले प्रो. व्यास ने बीकानेर का नाम अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा किया। शाला के करूणा क्लब प्रभारी हरिनारायण आचार्य ने कहा कि मेरा प्रो. व्यास से उनके बीकानेर प्रवास के दौरान अवश्य होता था, अभी जनवरी में ही उनसे मिलना हुआ। आचार्य ने बताया कि प्रो. व्यास ने वर्षों तक विश्व बैंक में कृषि व ग्रामीण विकास विभाग में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में सेवाएं दी। इसी दौरान उन्हें विश्व के अनेक देशों की ग्रामीण व्यवस्था एवं कृषि की स्थिति को समझने का अनुभव मिला और इस अवसर पर उपयोग करके उन्होंने सलाहकार के रूप में लिया। प्रो. व्यास के निधन पर आयोजित इस शोक सभा में अशोक शर्मा, महावीर प्रसाद स्वामी, उमेश सिंह चौहान, विजय गोपाल पुरोहित आदि ने अपने विचार रखे। सभा में स्कूल के समस्त छात्र-छात्राएं व शाला स्टाफ ने प्रो. व्यास के निधन पर एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।(PB)