जयपुर। सीतापुरा स्थित जेईसीआरसी विश्वविद्यालय में दो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक साहिल मकबूल और प्रो. आर. राज राव ने ’वंडर ऑफ वर्ड्स-2016‘ के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार एवं जीवन के अनुभव विद्यार्थियों के साथ बांटे। साहिल मकबूल की चार पुस्तकें ‘शब्दिस्तां-ए-वजूद’, ‘खामोश तालातुम’, तनाजा-ए-कश्मीर’ और ‘कदम कदम ताज़ीर’ प्रकाशित हो चुकी है। प्रो. आर. राज राव के प्रसिद्ध उपन्यास ‘द ब्यॉफै्रण्ड’, ‘स्लाइडशॉं’, ‘इमेज ऑफ इंडिया इन द इंडियन नॉवल इन इंग्लिश’, ‘निस्सिम इज़ेकील’, ‘द विसेस्ट फूल ऑन अर्थ एंड अदर प्लेज’, ‘विस्लिंग इन डार्क’, हॉस्टल रूम 131’, ‘10 इंडियन ऑथर्स इन इंटरव्यू’ प्रकाशित हो चुके हैं।
साहिल मकबूल ने बताया कि उन्हें कहानियों को इकट्ठा करना पसंद है, खासकर जिसमें खोजबीन और चुनौतियॉं हों। प्रो. राजराव ने कहा कि उनके जीवन का उद्देश्य धार्मिक वर्चस्व पर प्रहार करना है। साहिल मकबूल ने इतिहास की महत्ता पर कहा कि ये मनुष्य की याददाश्त जितनी ही महत्वपूर्ण है। ये इंसान की याददाश्त जैसी है जो उसे उसके घर पहुॅंचाती है। वही प्रो. राव ने कहा कि उन्हें लगता है कि इतिहास नियंत्रित है चाहे वह सामाजिक नियंत्रण हो या व्यक्तिगत नियंत्रण। उन्होंने कहा कि उनका काम इतिहास के उसी नियंत्रित व उपेक्षित भाग को सामने लाना है। साहिल मकबूल ने कहा कि जेल में बिता उनका समय सबसे महत्वपूर्ण था और उसके बारे में उन्हें कोई शिकायत नहीं क्योंकि उसी समय ने उन्हें रिपोर्टर से लेखक बनाया और 7 किताबे उन्होंने उसी दौरान लिखी। उन्होंने कहा कष्मीर एक सुंदर पेेंटिंग की तरह है जिसे थोड़ा दूर से ही देखना चाहिए नहीं तो इस पे लगे घाव दिखने लगते है। प्रो. राव ने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें सामाजिक नियमों का ऑंख बंद करके पालन ना करे। उनके अनुसार समाज बदल रहा है और उसकी जिम्मेदारी युवा पीढी पर है। उद्घाटन के दौरान जेईसीआरसी फाउन्डेशन से उपाध्यक्ष एम.एल. शर्मा, अमित अग्रवाल व अर्पित अग्रवाल उपस्थित थे।