– हेम शर्मा –

मंत्री अपने आवासों पर औऱ सर्किट हाउस में पिछले कई दिनों से अभाव अभियोग सुन रहे हैं। बताने वालों की भीड़ रहती ही है। जितनी बार आते हैं उतनी बार ही लोग उतने के उतने ही अभाव अभियोग लेकर आ जाते हैं। जिला स्तर पर अभाव अभियोग निराकरण समिति बनी है। संभाग स्तर पर भी। क्या ये समितियां काम नहीं करती ? अगर करती है तो लोग जन समस्याओं की शिकायतें लेकर मन्त्रियों तक क्यों पहुंच रहे हैं। अफसरों की तो स्थिति अजीब हैं। जन समस्याओं को तो वे टाल मटोल का खेल समझते हैं।

अभाव अभियोगों की सूची देखें तो कई तो वर्षों पुरानी है। काफी सारी बजट के अभाव में रुकी पड़ी है। जिला कलेक्टर क्या कर सकते हैं। समीक्षा बैठके। यह भी जिम्मेदारी है। जन अभाव अभियोग, मन्त्रियों औऱ प्रशासन को मिली जन समस्याओं की सूची जारी की जाए तो प्रशासन, मन्त्रियों और सरकार की असली तस्वीरे सामने आएगी। जनता को भरमाए रखना मन्त्रियों औऱ प्रशासन की कार्य कुशलता मानी जा सकती है। इस सप्ताह में मन्त्रियों के माध्यम से सैकड़ों जन समस्याएं रखी गई है इनमें बहुत सारी सार्वजनिक हित की तथा सबके सामने है। देखते हैं इनका क्या हश्र होता है।