भारत जोड़ों यात्रा पर निकले राहुल गांधी की राजनीतिक छवि में आये बदलाव का असर अब कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दलों पर भी दिखाई देने लगा है। इस यात्रा से पहले टीएमसी ने विपक्षी दलों की बैठक कर ममता दीदी को पीएम कैंडिडेट बनाने की कोशिश की थी। वो बात सिरे चढ़ती उससे पहले बिहार की राजनीति ने करवट ली।
नीतीश ने भाजपा के सहयोग से बनी अपनी सरकार छोड़ी और भाजपा को अलग कर आरजेडी व अन्य दलों के साथ सरकार बनाई। तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनाकर खुद को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करने के संकेत दिये। इसके लिए उन्होंने अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी की। तब उनको भी अगले आम चुनाव में पीएम कैंडिडेट पोज किया जाने लगा। तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर भी इसी तरह के प्रयास आरम्भ किये।
कांग्रेस ने इन प्रयासों को लेकर किसी भी तरह की उस समय प्रतिक्रिया नहीं दी, ये पार्टी की रणनीति थी। क्योंकि सभी ये तो मान ही रहे थे कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की एकता असंभव है। क्योंकि देश में भाजपा के बाद सर्वाधिक सांसद व विधायक कांग्रेस के ही है। अपने पर परिवारवाद के लग रहे आरोपों से भी कांग्रेस ने मुक्त होने की रणनीति बना ली थी। सोनिया, राहुल व प्रियंका ने भारत जोड़ो यात्रा से पहले घोषणा कर दी कि उनके परिवार से कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेगा। ये कहने के बाद ही राहुल भारत जोड़ो यात्रा पर निकले। दूसरी तरफ बड़ा निर्णय करते हुए कांग्रेस ने संगठन चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया। तब तक भी विपक्ष राहुल के ही अध्यक्ष बनने का राग अलापता रहा।
कयासों से उलट राहुल यात्रा में रहे और कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस पद पर दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे निर्वाचित हुए। ये निर्णय गैर कांग्रेसी दलों के लिये चोंकाने वाला था। खड़गे एक्शन में भी आ गये। राहुल सहित गांधी परिवार खड़गे को ही पार्टी मुखिया साबित करने में लग गया। कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप को भी इससे शिकस्त मिलनी शुरू हो गई। हिमाचल का चुनाव जीत कांग्रेस अपनी इस रणनीति से उत्साहित थी।
इधर राहुल ने नये साल से पहले अवकाश घोषित किया तो उधर विपक्ष ने राहुल पर विदेश यात्रा पर जाने और मौज मस्ती करने की तैयारी का आरोप सोशल मीडिया पर लगाना आरम्भ कर दिया। कांग्रेस रणनीतिक रूप से यहां भी चुप रही। राहुल ने अवकाश के मध्य सभी दिवंगत प्रधानमंत्रियों की समाधि पर पुष्प अर्पित कर विपक्ष को जवाब दिया। दिवंगत कांग्रेस पीएम की समाधियों पर ही नहीं अपितु राहुल अटल समाधि, चरणसिंह समाधि, जगजीवन राम समाधि पर जाकर भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये। ये उनके विदेश जाने के आरोप का जवाब था।
दो दिन पहले मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेता कमलनाथ ने राहुल के अगले आम चुनाव में पीएम कैंडिडेट होने की बात कहकर नई राजनीतिक बहस शुरू कर दी। ये भाजपा व अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों को भी एक जवाब था। जिस पर प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था। सभी राजनीतिक दल ये तो मानने लग गये हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल की छवि में बड़ा बदलाव हुआ है। कांग्रेस के लिए ये राहत की बात थी।
कमलनाथ के बयान पर सबसे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पंवार ने शुरुआत की। पंवार ने इस बात को माना कि राहुल अगले विपक्ष के पीएम कैंडिडेट हो सकते हैं। उसके बाद नीतीश ने भी पंवार की तर्ज पर बयान दिया। दोनों नेता भाजपा पर हमलावर रहे और कमलनाथ की बात को स्वीकारा। कल शिव सेना उद्धव के अखबार सामना ने भी माना कि राहुल अगले पीएम कैंडिडेट हो सकते हैं। अब बाकी विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आनी बाकी है। मगर कांग्रेस अपनी रणनीति में सफल रही है, ये तो स्वीकारना ही पड़ेगा। भाजपा को भी नई स्थिति में अपना प्लान बदलना पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक भी अब मानने लगे गये हैं कि अगले आम चुनाव में राहुल ही विपक्ष के पीएम कैंडिडेट होंगे।
- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार