– जेपीअस्पताल के डाॅक्टर द्वारा नवजात बच्चे का सौदा करने पर बाल आयोग को लिखा पत्र,
– वरिष्ठ अधिकारियों को लिखा पत्र मुकदमा दर्ज कराने की मांग
आगरा। एक तरफ जहां सरकार प्रसव कराने के लिए तमाम प्रयास और दावे कर रही है वहीं डॉक्टर इसमें पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं प्रसव का खर्च ना देने पर डॉक्टरों ने प्रसूता के नवजात शिशु का सौदा कर बेबस मां को अस्पताल से छुट्टी कर इतिश्री कर दी मामला थाना एत्माद्दौला का प्रकाश में आया है जहां यमुना पार स्थित अस्पताल के डाॅक्टर द्वारा शंभुनगर की प्रसूता द्वारा प्रसव की कीमत न चुकाने पर उसके बच्चे को बेचे जाने के मामले में चाइल्ड राइट् एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम, बाल आयोग, सीएमओ, एसएसपी और मानव तस्करी रोकथाम शाखा को पत्र भेजकर जांचकर कार्यवाही की मांग की है।
गर्भधारण के बाद से ही आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा गर्भवती के स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है। उसे पोषक आहार दिया जाता है। एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कराया जाता है। अंत में आशा कार्यकत्री द्वारा 108 एंबुलेंसे से सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर प्रसव कराया जाता है। प्रसव उपरांत प्रसूता को प्रोत्साहन राशि दी जाती है लेकिन यहां ये सरकारी सुविधाएं नहीं मिली। उपरोक्त की लापरवाही रही। परिवार के पास आयुष्मान कार्ड भी नहीं है।
देश भर में किसी भी बच्चे को गोद देने के लिए केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अथारिटी (कारा) ही अधिकृत है। इसके अलावा कोई गोद नहीं दे सकता है। प्रसव की कीमत चुकाने के लिए बच्चे को किसी दूसरे को बेचना अथवा गोद देना अपराध की श्रेणी में आता है। हो सकता है यह अस्पताल अन्य बच्चों की भी इसी तरह खरीद फरोख्त करता हो। यह मानव तस्करी के दायरे में आता है। निष्पक्ष जांच कराई जाए। प्रसूता को उसका बच्चा वापस कराया जाए। बच्चे की खरीद फरोख्त संबंधी आईपीसी की धारा 370 के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाए। साथ ऐसे अन्य अस्तपतालों को भी चिन्हित कर कार्यवाही की जाए जो बच्चों की खरीद फरोख्त करते हैं, कई और अस्पताल भी संलिप्त हो सकते हैं।