पूरी दुनिया के लोग जिस अंदाज में अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा लगने लगा है कि इंटरनेट पर बढ़ता बोझ सारे तकनीकी ढांचे को ही कहीं ध्वस्त न कर दे |
सारी प्रणालियाँ इंटरनेट बढ़ती मांग को पूरा करने में नाकाम हो जाये ४ जी तथा ब्रॉडबैंड कनेक्शनों की बैंडविड्थ इतनी ज्यादा खर्च हो जाये कि तब हमारे पास वीडियो देखने और चैट करने के लिए तो छोड़िये, बेहद जरूरी कामों और इलाज के लिए भी गुंजाइश न रहे |
भारत के सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ने दूरसंचार मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि वीडियो स्ट्रीमिंग तथा ओवर द टॉप एप्स का संचालन करनेवाली कंपनियों को यह निर्देश दिया जाये कि वे अपनी स्ट्रीमिंग का रिजोल्यूशन कम करें ताकि दबाव कम हो सके| देश भर के लोग अगर कम रिजोल्यूशन पर वीडियो या फिल्में भी देखें, तो उसके जल्दी और सटीक परिणाम नहीं मिलेंगे, परंतु अगर चंद कंपनियां, जो इस बाजार को कंट्रोल करती हैं, वे अपने स्तर पर फैसला कर लें, तो बैंडविड्थ की खपत कम हो सकती है|
आम तौर पर पहले इंटरनेट पर जितना डेटा डाउनलोड होता था| अब डेटा डाउनलोड कम से कम डेढ़ गुना बढ़ गया हैं| इंटरनेट के मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर की एक सीमा है| हम लगभग उस सीमा के करीब पहुंच गये हैं | कभी भी हम उस सीमा को लांघ सकते हैं? और तब इंटरनेट का सारा ढांचा भरभराकर गिर सकता है और हमारी दुनिया कोरोना वायरस के साथ-साथ संचार और सूचना के एक बहुत बड़े संकट में जा सकती है|
आप अपने टेलीफोन कॉल्स के ड्रॉप होने की फजीहत से परिचित हैं, इस समस्या का निदान सरकार की ओर से दूरसंचार कंपनियों को दी गयीं तमाम चेतावनियों के बावजूद भी नहीं निकला|अब यही हालत इंटरनेट सेवाओं के साथ हो सकती है| इस आशंका के समुचित समाधान के लिए पहलकदमी तुरंत जरूरी है |वरन घर में बंद रहते हुए, अपनों की खैर-खबर, रोजमर्रा के काम घर से दफ्तर का काम और संक्रमण की रोकथाम पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा| जैसे आपने कभी पानी बचाने की पहल की थी, डेटा आपको प्राणवायु यही से मिलेगी | शुरुआत अपने से करें, और सरकार से अपील इस पर विचार कीजिये, अगर यह खिड़की बंद हो गई तो मुश्किल होगी |