– सुखी जीवन का आधार सार्वभौमिक मानवीय मूल्य : कुलपति प्रो. एच डी चारण
–बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय ने नवाचारो के क्रियान्वयन में राज्य स्तर पर पेश की मिसाल
बीकानेर, । अवसाद आज की पीढ़ी का में प्रमुख समस्याओं में से एक हो गई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार ना केवल युवा बल्कि बड़े बुजुर्ग भी इस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में अवसाद का बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर एचडी चारण के मार्गदर्शन में,छात्रों को अवसाद से मुक्त करने के लिए सुखी जीवन आनंद नाम के पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशालों का कार्यक्रम तैयार किया गया है। सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर आधारित इस कार्यक्रम से केवल छात्र ही नहीं बल्कि उनके परिजन भी लाभान्वित हो रहे हैं ।
प्रो एच डी चारण द्वारा बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय स्थापित होने के साथ ही सार्वभौमिक मूल्य के काम की शुरुआत कर दी थी इस काम को ठीक से संचालित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय स्तर पर यूनिवर्सिटी सेंटर सेंटर फॉर हैप्पीनेस आनंदम की स्थापना की गई है जिसके चेयरमैन प्रोचारण द्वारा स्वयं है उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय को भौगोलिक रूप से बांटते हुए सेंटर फॉर हैप्पीनेस आनंदम के नाम से पांच नोडल सेंटर की स्थापना और सेल पर हैप्पीनेस आनंदम के नाम से प्रत्येक महाविद्यालय में वैल्यू सेल की स्थापना की गई है प्राचार्य ने छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी तीन दिवसीय आठ दिवसीय कार्यशाला का आयोजन विभिन्न स्तर पर करवाया जिसमें लगभग 650 शिक्षकों ने सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को समझा और कार्य को करने के लिए अपना मन बनाया है। तथा अभी तक 7000 विध्यार्थियों को यह विषय वस्तु पहुंचाया जा चुका है।
सुखी जीवन आनंद कार्यक्रम के माध्यम से बताया जा रहा है कि सही समझ से संबंध और सुविधा में सामंजस्य के साथ प्रत्येक मानव सुखपूर्वक जीवन जी सकता है। मानव के जीने के चार स्तर है – स्वयं, परिवार, समाज तथा प्रकृति। जब सही समझ के साथ मानव जीता है तो स्वयं,परिवार, समाज तथा प्रकृति सभी को सुखी और समृद्ध बना सकता है। इसी प्रकार परिवार तथा समाज में रहने के कुछ नियम है यदि प्रत्येक व्यक्ति को इन नियमों और भावों का ज्ञान हो जाता है तो वह परिवार में सही भाव तथा स्नेह, वात्सल्य, ममता और कृतज्ञता के साथ तृप्ति पूर्वक जीते हुए परिवार और समाज के लिए जिम्मेदारी पूर्वक अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है। यह पांच दिवसीय ऑनलाइन का कार्यक्रम मुख्यतः संबंधों में सही समझ और सही भाव पर आधारित है। मानव प्रकृति की एक इकाई है तथा मानव का अस्तित्व प्रकृति की हर एक इकाई के साथ सामंजस्य अर्थात सह अस्तित्वके साथ जीने से ही संभव है। इस कार्यशाला में इसी बात का प्रशिक्षण विस्तार पूर्वक दिया जाता है।
विध्यार्थियों ने जब इन विचारों के साथ जीवन जीकर देखा तो उनके सामने कुछ प्रश्न बने और इन प्रश्नों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय ने दो दिवसीय जिज्ञासा समाधान कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। इस कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में माननीय राज्यपाल महोदय श्री कालराज मिश्र जी,माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी, माननीय श्री भँवर सिंह भाटी,उच्चशिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार, माननीय श्री सुभाष गर्ग, तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री,राजस्थान सरकार, प्रो अनिल डी सहस्त्रबुद्धे जीअध्यक्षएआईसीटीई, प्रो एम.पी. पूनिया जी उपाध्यक्ष एआईसीटीई, प्रो डी पी सिंह जीयूजीसी अध्यक्ष, श्री गुलाब कोठारी जी राजस्थान पत्रिका के मुख्य संपादक, श्रीमती सुचि शर्मा जी तकनीकी शिक्षा सचिव राजस्थान,प्रो के के अग्रवाल अध्यक्षएनबीएनई दिल्ली, श्री कुमारपाल गौतम जी बीकानेर कलेक्टर,आदि भी हमारे साथ जुड़े तथा इस सार्थक प्रयास को सराहा।
विश्वविध्यालय मूल्यपरक शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, तथा अपने अभी पाठ्य क्रमों में लागू करने का यही उद्देश्य है। इस कार्य को लेकर दृद संकल्पता के कारण आज विश्वविध्यालयने देश भर में एक विशिष्ट पहचान बनाई है और इस कार्य के लिए विश्वविध्यालय का नाम बेहद सम्मान से लिया जाता है। एआईसीटीई द्वारा भी विभिन्न प्लैटफ़ार्म पर इस कार्य की सराहना की जाती है। – प्रो एच. डी. चारण