-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। अफीम और डोडा पोस्त की लगातार बढती डिमांड और मुंहमागी किमत मिलने के कारण बीकानेर में खेतों में भी अब अफीम की गैर कानूनी बुवाई का चलन लगातार बढता जा रहा है। पुलिस आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले में बीते दो माह के अंतराल में अलग अलग थाना इलाकों में चार खेतों में अफीम की फसल जब्त कर नष्ट की जा चुकी है। जिले में सबसे पहले पांचू पुलिस ने जांगलू में एक खेत में अफीम की खेती पकड़ी है। पुलिस ने खेत से 770 अफीम के पौधे जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई जिले की देशनोक, पांचू थाना पुलिस और जिला स्पेशल टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुुए अफीम की खेती पकड़ी है।

इसके बाद बज्जू पुलिस ने भी मुखबिर की इत्तला पर इलाके में बागड़सार के चक 2 बीजेएम में सरसों की फसल के बीच अफीम की खेती का पर्दाफाश कर मौके पर 500 पौधों से 191 किलों अफीम के पौधे जब्त कर खेत मालिक अल्लू खां पुत्र युसूफ को गिरफ्त में लिया। पुलिस के मुताबिक अल्लु खां ने अपने खेत में मकान से काफी दूरी पर सरसों की फसल के मध्य 500 पौधें अफीम के लगा दिए और इन पौधों पर डोडे भी लग चुके थे और कुछ समय बाद अफीम इन डोडों में चीरा लगाकर निकालने की तैयारी थी। इसी तरह अभी पिछले माह सेरूणा थाना पुलिस ने भी इलाके मुखबिर की सूचना पर गेंहू के एक खेत में अफीम की खेती का पर्दाफाश कर मौके पर खड़ी अफीम की फसल को नष्ट कर खेत संचालक को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया। मंगलवार को दंतौर पुलिस ने भी चक 17 बीएलडी के काश्तकार गोरासिंह अपने खेत में दबिश देकर मौके पर गेहूं की फसल के बीच अवैध रूप से अफीम की फसल का पर्दाफाश कर मौके पर 640 जब्त कर आरोपी काश्तकार को एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर लिया है। पता चला है कि खेतों में अफीम की फसल के यह सारे मामले पुलिस ने मुखबिर की इतला पर उजागर किये जबकि बीकानेर जिले नहरी और ट्यूबवैल से खेती वाले इलाकों समेत शहर के आस पास गांवों में प्रभावशाली के लोगों फार्म हाउसों में चोरी छूपे अफीम की खेती हो रही है।

जानकारी के अनुसार शातिर दिमागी काश्तकार अफीम की खेती कर अधिक मुनाफा कमाने के लालच में तस्कर जोखिम ज्यादा उठा रहे हैं। पता चला है कि अफीम की खेती में लागत कम आती है। फसल पूरी तैयार होने के बाद बेचने पर मुनाफा अधिक मिलता है। जानकारी के मुताबिक अफीम के एक पौधे से करीब 15-20 ग्राम दूध प्राप्त होता है। अफीम के पौधों से अफीम, अफीम का दूध और तने व पत्तों से डोडा-पोस्त बनता है। यह बाजार में बेहद महंगे दामों पर बिकता है। इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती लेकिन जोखिम ज्यादा होता है। इसकी खेती प्रतिबंधित है। खेती करने के लिए लाइसेंस लेने के लिये लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।