बिहार(सुपौल) प-कोरोना संक्रमण की महामारी को रोकने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा लगातार कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के लिए लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। कोई वॉलिंटियर के रूप में लोगों को राशन पहुंचाने, तो कोई अपने आपको गरीबों का मसीहा बताकर निचली बस्तियों की गलियों में घूम रहा है। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि किसी गरीब को एक किलो चावल देने वाले लोग भी बकायदा फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर अपनी ब्रांडिंग करने में लगे हुए हैं।इस दौरान इस बात को भूल रहे हैं कि जिस व्यक्ति की वह मदद कर रहे हैं, उसका सोशल मीडिया में मजाक भी उड़ा रहे हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया है। इसको लेकर प्रारंभिक तौर पर तो शासन-प्रशासन सख्ती दिखाता रहा। जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे लोग घरों से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने लगे। कुछ तो शातिर किस्म के लोग ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों की मदद करने की ही आड़ में खुलेआम कानून की धज्जिायां उड़ा रहे हैं जिन पर नकेल कसा जाना बेहद ही जरूरी है।
दुकान के बाहर बैठे रहते हैं दुकानदार-
कई दुकानदार ऐसे हैं जो शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर ग्राहकों को सामान देते हैं। वे दुकान के बाहर बैठे रहते हैं और जैसे ही ग्राहक आकर सामान की मांग करता है तो वो तुरंत आधा शटर खोलकर सामान बेचते हैं और फिर दुकान के सामने बैठ जाते हैं। इस तरह की हिमाकत करने वाले ज्यादातर होलसेल व्यापारी हैं जो ग्रामीण क्षेत्र से आए अपने ग्राहकों को दुकान खोलकर थोक भाव में सामान दे रहे हैं। वे इस बात से अनजान तो नहीं हैं कि वे अपने साथ-साथ लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो इन्हें भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
सोशल मीडिया पर न डालें मदद की फोटो-
तमाम सामाजिक संगठनों के साथ-साथ युवा समाजसेवियों ने भी अपील की है कि छोटी-छोटी सामग्री लेकर किसी की मदद कर सोशल मीडिया में फोटो वायरल ना करें ताकि लोग निःसंकोच होकर मदद के लिए गुहार लगा सके। वहीं इस बात को लेकर भी चर्चा है कि यदि कोई संगठन अथवा परिवार किसी की मदद करना चाहे तो वो सीधे परिवार की बजाय जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ किए गए पहल अथवा पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार लोगों के माध्यम से सहायता करें। ताकि देने वालों के साथ साथ लेने वालों के आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचे।