अयोध्या। राममंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि परिसर में विगत 11 सितंबर से ही टेस्ट पाइलिंग का काम चल रहा है। ट्रस्ट सूत्रों के मुताबिक 15 अक्तूबर के आसपास राम मंदिर की बुनियाद के लिए 1200 पिलरों के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।
अभी तीन-तीन पिलरों के चार सेट तैयार किए जा रहे हैं। कुल 12 टेस्ट पिलर बनाए जाएंगे जिनमें से अब तक आठ टेस्ट पिलर का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। 12 सौ पिलर के निर्माण के बाद राफ्ट का प्लेटफार्म बनेगा और फिर प्लेटफार्म पर 6 फीट ऊंचा ढांचा होगा, जिस पर मंदिर का निर्माण होगा। वहीं फाउंडेशन के लिए गलाए जाने वाले 1200 पिलरों के चारों तरफ सिक्योरिटी वॉल भी बनाई जाएगी।
मौजूदा समय में जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण होना है, वहां पर टेस्ट पिलर का काम चल रहा है। इसके लिए तीन-तीन पिलरों के चार सेट तैयार किए जाएंगे, जिसमें कुल 12 पिलर गलाए जाने हैं। जिसकी टेस्टिंग का कार्य पूरा होने के बाद 15 अक्तूबर से अन्य पिलर्स निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। पिलर टेस्टिंग का कार्य आईआईटी रुड़की और आईआईटी चेन्नई की देखरेख में किया जा रहा है।

विशेषज्ञ भूमि की मजबूती और भार सहने की क्षमता का भी आकलन करने में जुटे हैं। ट्रस्ट की मानें तो एक बार टेस्टिंग का कार्य पूरा होने के बाद राम मंदिर निर्माण कार्य में तेजी आएगी और जून 2021 तक मंदिर के लिए आवश्यक 1200 पिलर्स का निर्माण कर लिया जाएगा।
इसके बाद बुनियाद का फाउंडेशन तैयार करके मंदिर का ऊपरी हिस्सा तैयार करने का कार्य शुरू हो जाएगा। पाइलिंग टेस्टिंग के बाद विशेषज्ञ यह तय करेंगे कि 1200 पिलरों के निर्माण किस तरह से किया जाएगा। विशेषज्ञ अभी जमीन की भार क्षमता सहित भूकंप रोधी क्षमता का आकलन करने में जुटे हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि 2022 में राम जन्मभूमि मंदिर के एक तल का कार्य पूरा हो जाएगा जिसके बाद दूसरे तल का निर्माण शुरू होगा।

राममंदिर निर्माण के लिए जमीन के 100 फीट नीचे 1200 खंभे गलाए जाएंगे। इन खंभों के ऊपर 6 फीट का ढांचा होगा और उस पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर के फाउंडेशन के लिए बनाए गए पिलर के चारों तरफ सिक्योरिटी वॉल का भी निर्माण किया जाएगा। मंदिर एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रहे, इसके लिए आईआईटी रुड़की और चेन्नई के शोध के अनुसार पिलर का निर्माण कार्य हो रहा है।