रिपोर्ट अनमोल कुमार
गया। अवस्थित मां मंगला गौरी का मंदिर महा शक्ति पीठ के रूप में प्रख्यात है । आदि शंकर ने इस मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण और मार्कंडेय पुराण में उल्लिखित है ।
तांत्रिक कार्यों के लिए भी इस मंदिर का उपयोग किया जाता है माना जाता है कि यहां शक्ति का वास है जापा साधना पूजा अर्चना से यहां कार्य की सिद्धि प्राप्त होती है ।

श्रावण मास मे सोमवार के बाद दूसरे दिन मंगलवार को मंगला गौरी वर्क प्रारंभ किया जाता है l इस व्रत को मां पार्वती के नाम से जाना जाता है l इस दिन मां मंगला गौरी की पूजा अर्चना व्रत और कथा सुनने से सुहागिनों की मनोकामना पूरी होती है और वह काफी समय तक सौभाग्यवती बनी रहती है ।
ज्योतिषियों के अनुसार जिनकी कुंडली में विवाह का योग नहीं है और पति की मृत्यु का योग है पारिवारिक झंझट हो तो श्रावण मास में सोलह सोमवार व्रत करने से भगवान शिव और पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं l बस प्रारंभ करने के 5 वर्षों तक निरंतर इसे करना अनिवार्य माना गया है ।

– मां मंगला गौरी की कथा

एक समय धर्मपाल और व्यापारी और उसकी खूबसूरत पत्नी काफी धन होने के बावजूद पुत्र नहीं होने के कारण काफी चिंतित है काफी पूजा अर्चना के बाद उनके घर संतान की उत्पत्ति हुई परंतु वह अल्पायु का था ।16 वर्ष की आयु में सांप काटने से उसकी मृत्यु का योग था परंतु 16 वर्ष पूर्व उसका विवाह एक यूपी से करा दिया गया जो माता मंगला गौरी व्रत लगातार विधि विधान के साथ करता था जब उसके पति को सांप काटा तो उसने मां मंगला गौरी के शरण में अपने को समर्पित कर दिया जिसके कारण उसके पति का प्राण वापस लौट आया । मां मंगला गौरी के पूजा और व्रत से सभी का कल्याण होता है । नवरात्र के दिन यहां लंबी कतार पूजा के लिए लगी रहती है ।