नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। पंजाब। पंजाब के फिरोज़पुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है. पंजाब सरकार पर बीजेपी हमलावर है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. लेकिन पीएम की सुरक्षा में लगी सेंध का ज़िम्मेदार कौन था? कैसे इतनी बड़ी लापरवाही बरती गई? इन सवालों के जवाब हर कोई तलाश रहा है. इन्हीं जवाबों की तलाश में ‘आजतक’ की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने भी फिरोज़पुर का रुख किया और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों से बात की… Also Read – कर्नाटक में 21 और बेंगलुरु में 15 हजार के पार कोरोना के मामले प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर जमीनी हकीकत जुटाने वाले सीआईडी के डीएसपी सुखदेव सिंह फिरोज़पुर से हमारी इन्वेस्टिगेशन टीम की बात हुई. फिरोज़पुर जिले की बारीकी से खबर रखने के लिए जिम्मेदार, डीएसपी सुखदेव सिंह की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि एक तो सरहदी इलाका है और ऊपर से तस्करी व आतंकवाद के लिए बदनाम क्षेत्र है. सवाल था कि आखिर प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैली से पहले खुफिया विभाग कैसे चूक गया? क्या डीएसपी और उनके विभाग ने प्रधानमंत्री की रैली से पहले ज़मीनी हकीकत का आकलन नहीं किया था? इस पर सुखदेव सिंह के जवाब चौंकाने वाले थे. Also Read – जम्मू- कश्मीर: सुरक्षबलों और आतंकियों के बीच एनकाउंटर, 1 जवान शहीद, 1 आतंकी ढेर खुफिया विभाग के अधिकारी सुखदेव सिंह ने बताया कि संवेदनशील इलाके में प्रधानमंत्री की रैली से पहले उन्होंने पूरी एक-एक पल जमीनी हकीकत अपने आला-अधिकारियों को वक्त रहते बताई थी. 2 जनवरी को उन्होंने साफ कर दिया था कि किसान यूनियन प्रधानमंत्री का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे. डीएसपी और उनकी टीम ने हर तरीके की जानकारी जुटाई. हर दिन की रिपोर्ट उन्होंने हर आला अधिकारियों के साथ साझा की. और साथ ही साथ अफसरों को खतरे के बारे में कई बार चेताया भी था. सुखदेव कहते हैं कि किसानों का सड़क पर आने का पहले से ही कार्यक्रम था. इस बारे में एसएसपी यानी प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा समूह को सजग कर दिया गया था. जब किसान अपनी अपनी जगह से चल दिए और जब उन्होंने फिरोजशाह का नाका तोड़कर क्रॉस किया और धरना शुरू कर दिया तब भी जिले के एसएसपी को बता दिया गया था. खुफिया का काम घटना से पहले सूचना देना होता है, वह सब हमारी टीम ने किया था.।
5 जनवरी को भी खुफिया विभाग की टीम ने पूरे इलाके में अपने मुखबिर फैलाकर रखे थे जो हालात पर अपनी कड़ी नज़र बनाए हुए थे. और साफ कर रहे थे कि प्रधानमंत्री की रैली में गड़बड़ होने जा रही है. एसपीजी के दस्तावेज में यह साफ था कि अगर मौसम खराब होने के चलते प्रधानमंत्री का आवागमन सड़क मार्ग से हुआ, तो रास्ता सील करना होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रधानमंत्री के बठिंडा से चलने से पहले और फिरोज़पुर में फंसने से पहले तक किसान यूनियन के लोग अपना आंदोलन कर रहे थे. उनकी वजह से ही प्रधानमंत्री के सड़क रास्ते को बाधित कर दिया गया था. इसकी पल-पल की जानकारी खुफिया विभाग सुरक्षा व्यवस्था में लगे आला अधिकारियों से वॉट्सऐप और फोन पर शेयर कर रहा था. बता दें कि किसान यूनियन ही नहीं, खालिस्तान गुट भी रैली के खिलाफ सक्रिय था. ‘सिख फॉर जस्टिस’ के पन्नू ने तो प्रधानमंत्री को जूता दिखाने वाले के लिए इनाम की एक लाख डॉलर इनाम की घोषणा कर दी थी. इतना होने के बावजूद प्रधानमंत्री के रास्ते में आंदोलनकारियों को आने दिया गया. इसके पीछे की वजह का खुलासा करने के लिए हम उसी इलाके कुलगढ़ी एसएचओ बीरबल सिंह से मिले. Also Read – जम्मू- कश्मीर: सुरक्षबलों और आतंकियों के बीच एनकाउंटर, 1 जवान शहीद, 1 आतंकी ढेर एसएचओ बीरबल सिंह ने कहा, ”सच्चाई यह है कि लोगों में रोष है. उनका गांव है, उनकी जगह है, तो मैं क्या करूं? हमें सरकार यह नहीं कहती कि उनकी पिटाई करो और या डंडे मारो. हमें हुक्म नहीं है. आंदोलनकारी जिद करके बैठ गए तो क्या कर सकते हैं.” पुलिस थाने के प्रभारी बीरबल सिंह ने आगे बताया, ”सभी को पता है कि मुखालफत हो रही है. किसानों की तरफ से जाहिर तौर से वो आ गए और बात कर ली. मैं पढ़ा-लिखा बंदा हूं, ये किसान-विसान कुछ नहीं हैं. ये सारे रेडिकल्स (कट्टरपंथी) हैं. नाम किसान का लगा लिया है. किसान से नाम पर कोई भी इकट्ठा हो जाता है.” एसपीजी के प्रोटोकॉल्स कहते हैं कि पीएम के संभावित रास्ते को पहले से ही सील कर देना चाहिए, लेकिन पुलिस की लापरवाही नतीजा ऐसा था कि जिस जगह पीएम का 18 मिनट काफिला रुका, उस फ्लाईओवर के ठीक नीचे सारा बाजार खुला हुआ था और साथ में गैर-कानूनी शराब का ठेका चल रहा था. वहीं, जब प्रधानमंत्री का काफिला गुजरता है तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती होती है, लेकिन उस दिन किसान मोर्चे के 2 लोगों ने प्यारे गांव में आकर गांववालों को भड़काया था. देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ 5 जनवरी को हर पल खिलवाड़ होता रहा. पंजाब पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही. पीएम के काफिले वाली सड़क पर पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़कर किसान यूनियन के लोग अपनी मनमानी तरीके से कब्जा करते रहे. गनीमत रही कि कोई अनहोनी नहीं हुई, इसमें पंजाब पुलिस की सरासर लापरवाही नजर आई.

पंजाब के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है. पीएम जहां पहुंचे, वह एरिया बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए पंजाब पुलिस को दोष देना उचित नहीं है. वेरका ने आगे कहा, सच यह है जो बीजेपी वालों को स्वीकार करना चाहिए पंजाब में उनकी रैली फ़ेल हो रही थी. रैली में 70 हज़ार कुर्सियां ख़ाली थीं, इसलिए सिर्फ़ यह बहाना बनाया गया. चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार में मंत्री वेरका ने आगे कहा कि, ”सुरक्षा में चूक का नाटक किया गया है. यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री जी पाकिस्तान से 50 किलोमीटर दूर थे, मैं पूछता हूं कि जब पाकिस्तान में बिरयानी खाने गए थे तब उनको ख़तरा नहीं हुआ. RAW, IB और केंद्र की तमाम सुरक्षा एजेंसियां कहां थीं, आप सिर्फ़ पंजाब के लोगों और पंजाब को बदनाम करने के लिए ये सब बहाने बना रहे हैं.” फिरोजपुर से कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने ‘आजतक’ के खुलासे पर कहा कि प्रधानमंत्री किसी पार्टी के नहीं होते, पूरे देश के होते हैं. पीएम की सुरक्षा में सेंध लगी है तो पंजाब के डीजीपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. विधायक ने आगे बताया कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी इस मामले में गंभीर हैं. इस मामले के बाद पंजाब के डीजीपी को बदला गया है