2nd Sand Dunes International Film Festival
2nd Sand Dunes International Film Festival
सेण्ड ड्यून्स अन्तर्राष्ट्रीय लघु फिल्म फेस्टिवल का हुआ आगाज

बीकानेर। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत और सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक पीयूष मोरदिया ने शनिवार को दूसरे सेण्ड ड्यून्स इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय और लोकायन के संयुक्त तत्वावधान में वेटरनरी ऑडिटोरियम में पहले दिन 7 विदेशी भाषाओं और 36 भारतीय भाषाओं की लघु फिल्मों  का प्रदर्शन किया गया। फेस्टिवल में 30 प्रतिनिधि मण्डल बाहर से पहुँचे है। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए वेटरनरीविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गहलोत ने कहा कि बॉलीवुड की फिल्में और बीकानेर शहर खुशियां देने वाले हैं। इस फेस्टिवल से बीकानेर में कला-संस्कृति और कलाकारों को बढ़ावा मिलेगा। बॉलीवुड का फिल्मी उद्योग विशाल है जहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी सुलभ है। फिल्मों से मानवता और मूक प्राणियों के प्रति सेवा की प्रेरणा का भाव भी मिलता है। विद्यार्थियों को इस ओर प्रेरित करने के लिए वेटरनरी विश्वविद्यालय में “स्मार्ट क्लब” का गठन भी किया गया है। मुख्य अतिथि सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक श्री मोरदिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि फिल्मों से जनमानस प्रेरित होता है। सामाजिक और शैक्षिक फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव है। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा और सीमाओं पर कार्य करने वाले कार्मिकों की विकट परिस्थितियों के बारे में भी आमजन को फिल्मों के माध्यम जानकारी होनी चाहिए।

लोकायन के अध्यक्ष महावीर स्वामी ने कहा कि लोकायन बीकानेर में कला-संस्कृति के उन्नयन और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के कार्य में जुटा हुआ है। आयोजन में सहभागी हंसराज डागा ने कहा कि लघु फिल्मों का मानवीय जीवन में गहरा असर होता है। अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर फेस्टिवल आयोजन से बीकानेर को फायदा मिलेगा। भारत विकास परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती अरूणा गहलोत ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एस.के. कश्यप ने छात्रों को विभिन्न कालखंडों में निर्मित लघु फिल्मों के निर्माण की जानकारी से अवगत करवाया। आयोजन के सह समन्वयक गोपाल सिंह चौहान और सुनील जोशी ने फेस्टिवल की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों की जानकारी दी। फेस्टिवल में जूरी के रूप में शामिल ख्यातनाम मुम्बई के फिल्म डायरेक्टर और सिनेमेटोग्राफर अविनाश अरूण, सिनेमेटोग्राफर विशाल सिंह राठौड़ और फिल्म लेखक-निदेशक रूचिका ओबेरॉय का अभिनंदन किया गया। फेस्टिवल की निदेशक डॉ. रजनी जोशी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। संजय पुरोहित ने कार्यक्रम का संचालन किया। रेलवे के उपमहाप्रबंधक श्री जी.एस. भावरिया, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक भूपेन्द्र कुमावत और सनऑर्क के अविनाश व्यास भी समारोह में मौजूद थे। फेस्टिवल के प्रथम दिन विदेशी, भारतीय, राजस्थानी, एनीमेशन, डाक्यूमेन्टरी, जन जागरूकता एवं विश्वविद्यालय वर्गों में कुल 43 फिल्में दर्शकों के लिए प्रदर्शित की गई। फेस्टिवल के प्रारम्भ में नाबार्ड द्वारा जनहित में निर्मित बैंक सेवाओें की लघु फिल्म और भारतीय रेलवे की स्वच्छता अभियान की एनीमेशन फिल्म का प्रदर्शन किया गया। सांयकाल आयोजित कार्यशाला में 80 प्रतिभागियों ने फिल्म निर्माण सम्बन्धी तकनीकी जानकारी प्राप्त की। अविनाश अरूण द्वारा निर्देशित फिल्म ’किला’ का प्रदर्शन भी किया गया।

आतंक से प्रभावित देशों से भी नामांकन

सीरिया और इराक जैसे देशों से शार्ट फिल्मों का आना बताता है कि क्रियटीविटी को लेकर लोग संजीदा है। वे कहते है ज्वलंत समस्याओं जैसे रैगिंग, डिप्रेशन और सामाजिक कुरतियों के खिलाफ फिल्में आई है। साथ ही साथ तकनीकी को लेकर कुछ फिल्में भी मिली है। प्रयास यहीं है कि विद्यार्थियों के साथ साथ शार्ट फिल्म लवर्स को एक प्लेट फार्म दुनिया की प्रतिभा को देखने और खुद की प्रतिभा दिखाने के लिए उपलब्ध हो।

यह है कैटेगिरी

बेस्ट डाक्युमेन्ट्री, बेस्ट एनिमेशन, बेस्ट शार्ट फिल्म स्टुडेन्ट कैटेगिरी,बेस्ट राजस्थानी शार्ट फिल्म,बेस्ट शार्ट फिल्म,बेस्ट शार्ट फिल्म इन फोरेन लेंग्वेज और स्पेशल ज्यूरी अवार्ड जैसी कैटेगिरी बनाई गई है। ज्युरी के लिए मुंबई से तीन सिनेमेटोग्राफर और डायरेक्टर्स को बुलाया गया। बीकानेर के स्थानीय कलाकारों द्वार बनाई गई रोंग वे फिल्म का चयन शार्ट मूवी कैटेगिरी में हुआ है। तो वहीं एमएससी की छात्रा भारती द्वारा निर्देशित फिल्म शिप आफ डेजर्ट नाउ क्रुज आफ डायबिटिज डाक्युमेंटरी कैटेगिरी में हुआ है। रोंग वे जहां नशे से भटकती युवा पिढी को आगाह करती है वहीं डाक्युमेंटरी एक रोचक तथ्य से अवगत कराती है कि ऊंट पालकों की जाति माने जाने वाली राइका समाज में कभी डायबीटिज नहीं देखी गई। युवा निर्देशक भारती और रोंग वे के निर्देशक प्रमोद कौशिक दोनो ही खासे उत्साहित है और फेस्टिवल को एक ग्लोबल प्लेट फार्म मानते है। 19 और 20 दिसम्बर को आयोजित होने फिल्म फेस्टिवल में देशी विदेशी 86 फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही समापन समारोह सुफी संगीत की स्वर लहरिया भी बिखरेंगी। साथ ही साथ फिल्म मेकिंग पर एक वर्कशाप का भी आयोजन होगा।

 

रविवार को प्रदर्शित फिल्में और सूफी संगीत संध्या

20 दिसम्बर को वेटरनरी ऑडिटोरियम में 7 विदेशी भाषाओं, 7 भारतीय भाषाओं और 2 राजस्थानी भाषा सहित 46 लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। फेस्टिवल के अंत में रविवार को सांय 6 बजे विभिन्न केटेगेरी में प्रथम और द्वितीय रहने वाली लघु फिल्मों के निर्माता-निदेशकों को नगद पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। इस अवसर पर नई दिल्ली के हरप्रीत सिंह और हैदराबाद के नीलकंठ समूह द्वारा सूफी संगीत प्रस्तुत किया जाएगा।

जूरी का परिचय

अविनाश अरूण निदेशक एवं सिनेमेटोग्राफरः फीचर फिल्म “किला” के निदेशक और मशान के सिनेमेटोग्राफर रहे और ये फिल्में पुरस्कृत हुई। शॉर्ट मूवी “अल्लाह इज ग्रेट” को भारत से ऑस्कर में स्टूडेन्ट कैटेगेरी में प्रविष्टि मिली है। अविनाश अरूण को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है। विशाल सिंह राठौड़ ने मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस. और देवदास फिल्मों के सहायक सिनेमेटोग्राफर, टी.वी. सीरियल ’24’, पृथ्वीराज चौहान, और ’जय श्री कृष्णा’ में सिनेमेटोग्राफर के रूप में कार्य किया है। रूचिका ओबेरॉय निदेशक एवं लेखक की पहली फीचर फिल्म “आइसलैण्ड सिटी” वेनिस फिल्म फेस्टिवल के प्रीमियर में शामिल हुई है और इन्हें फीड्योरा अवार्ड मिला। इसका कई अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में प्रदर्शन भी हुआ है।