OmExpress News / नई दिल्ली / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट से कुछ दूर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल को देश के नाम समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान एक वॉर मेमोरियल का वादा किया था। भारत में यह पहला ऐसा वॉर मेमोरियल है जहां आजादी के बाद हुए हर युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैं। इस मौके पर दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश की सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। National War Memorial
देश पर संकट चाहें दुश्मन के कारण आया हो या प्रकृति के कारण आया हो, हमारे सैनिकों ने सबसे पहले हर मुश्किल को अपने सीने पर लिया है। हमने हमारे पूर्व सैनिकों की कई मांगों और जरूरतों को पूरा किया है और आने वाले समय में और भी मांगों को पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। फैसलों को नामुमकिन समझा जाता था, उन्हें मुमकिन बना रहे हैं। हमने रक्षा उत्पादन के पूरे इको सिस्टम में बदलाव की शुरुआत की है। लाइसेंसिंग से निर्यात प्रक्रिया तक, हम पूरे तंत्र में पारदर्शिता ला रहे हैं।
पीएम ने कहा कि मेरा यह स्पष्ट मानना है कि मोदी महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस देश की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास सबसे ऊपर है। मोदी याद रहे न रहे, परंतु इस देश के करोड़ों लोगों के त्याग, तपस्या, समर्पण, वीरता और उनकी शौर्यगाथा अजर-अमर रहनी ही चाहिए। इंडिया फर्स्ट और फैमिली फर्स्ट का जो अंतर है, वही इसका जवाब है। स्कूल से लेकर अस्पताल तक, हाईवे से लेकर एयरपोर्ट तक, स्टेडियम से लेकर अवॉर्ड तक। National War Memorial
उन्होंने कहा कि आज देश का हर फौजी, हर नागरिक ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर शहीदों के साथ ये बर्ताव क्यों किया गया? देश के लिए खुद को समर्पित करने वाले महानायकों के साथ इस तरह का अन्याय क्यों किया गया? वो कौन सी वजहें थीं, जिसकी वजह से किसी का ध्यान शहीदों के लिए स्मारक पर नहीं गया? आज देश को राष्ट्रीय समर स्मारक मिलने जा रहा है लेकिन राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल की भी तो यही कहानी थी। National War Memorial
मजबूती के साथ विश्व पटल पर अपनी भूमिका तय कर रहा है। उसमें एक बड़ा योगदान आपके शौर्य, अनुशासन और सर्मपण है।
पीएम मोदी ने कहा कि यह युद्ध स्मारक हमारे बहादुर सैनिकों के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है, आज हम कह सकते हैं कि हमने देश के लिए एक और तीर्थ स्थल का निर्माण किया है और मैं उम्मीद करती हूं कि देश का हर नागरिक यहां जरूर आएगा।
इससे पहले पूर्व सैनिकों को संबोधित करते रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जब आप घर जाएं तो उन्हें हमारे बारे में बताएं, बताएं कि उनके कल के लिए हमने अपना आज सर्मपित कर दिया है’, हमारे देश के बहादुर सैनिकों के अंतिम शब्द हमें हमेशा याद रहते हैं, यह स्मारक भी आज उनकी याद में देश को सर्मपित किया जा रहा है।
25,942 सैनिकों की याद में बनाया गया है – National War Memorial
आपको बता दें कि इस वॉर मेमोरियल को 25,942 सैनिकों की याद में बनाया गया है। इंडिया गेट के करीब स्थित इस वॉर मेमोरियल पर जिन युद्ध या खास ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं उसमें 1947-48 में गोआ क्रांति , 1962 में चीन के साथ हुआ युद्ध, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के अलावा 1987 में सियाचिन पर चले संघर्ष, 1987-1988 में श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पवन और 1999 में कारगिल युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैं। इसके अलावा कुछ और ऑपरेशन जैसे ऑपरेशन रक्षक के बारे में भी यहां पर जानकारियां और इसमें शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं।
करीब 500 करोड़ की लागत से तैयार इस मेमोरियल को तैयार करने में करीब 500 करोड़ रुपए क खर्च आया है और अगर अमेरिकी डॉलर में इसकी तुलना करें तो यह राशि 70 मिलियन डॉलर है।नेशनल वॉर मेमोरियल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावों के दौरान किया गया एक अहम वादा था। यह अब लगभग तैयार हो चुका है और यह भारतीय सैनिकों के सम्मान में बना है जिन्होंने आजादी के बाद हुए युद्ध में अपने प्राण गंवा दिए थे। National War Memorial
नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के सी-हेक्सागॉन में है। यह वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में बना है और यहां पर एक वॉर म्यूजियम भी है। वॉर मेमोरियल के इसके चारों ओर अमर, वीर, त्याग और रक्षा के नाम से सर्किल्स बने हुए हैं। यहां पर परमवीर चक्र विजेताओं के बस्ट भी लगे हुए हैं।
4 साल पहले निर्माण को दी मंजूरी – National War Memorial
पहली बार 1960 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव सेनाओं की ओर से दिया गया था। लेकिन कुछ वजहों से इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका और अक्टूबर 2015 में जाकर केंद्र सरकार ने इस वॉर मेमोरियल की मंजूरी दी। ब्रिटिश शासन के दौरान सन् 1931 में इंडिया गेट का निर्माण हुआ जिसे पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। इसके बाद सन् 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3843 सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति यहां पर आई और यह अभी तक जल रही है।