नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को किसानों के लिए अन्याय बताते हुए इसे वापस लेने की हुंकार भरते हुए चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह एक बार फिर रामलीला मैदान का रुख करेंगे लेकिन इस बार अनशन नहीं बल्कि जेल भरो आंदोलन होगा। नरेंद्र मोदी सरकार की तुलना अंग्रेजों से करते हुए अन्ना ने यहां जंतर-मंतर पर कहा कि सरकार किसानों के हितों के विपरीत काम रही है और उद्योगपतियों के अनुकूल फैसले ले रही है। अध्यादेश विरोधी मुहिम को दूसरी आजादी की लड़ाई घोषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश पंूजीपतियों के हितों के लिए है। उन्होंने कहा कि गोरे चले गए और काले आ गए। यह तो दो दिन का ट्रेलर अन्ना के नेतृत्व में दिल्ली में देशभर के लगभग 20 हजार किसानों ने अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है। शुरूआत में दो दिन का धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण के संबंध में किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो देशभर में पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा जो तीन से चार महीने तक चलेगी। इसके बाद दिल्ली में रामलीला मैदान से जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन फैसले के खिलाफ अन्ना ने कहा कि यह आंदोलन किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है बल्कि एक निर्णय के खिलाफ है। यह आंदोलन गैर राजनीतिक है और राजनैतिक लोगों को मंच पर नहीं चढ़ना चाहिए। किसान विरोधी फैसले कर रही है सरकार मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए अन्ना ने कहा कि अच्छे दिन का वादा किया गया था लेकिन अच्छे दिन उद्योगपतियों के आए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसान विरोधी फैसले कर रही है और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचा रही है। उपजाऊ भूमि किसानों से छीनी जा रही है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के संबंध में किसानों को जानकारी नहीं है। इसके लिए देशभर में पदयात्राएं की जाएंगी। किसी सरकार को गुरूर में नहीं रहना चाहिए उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और किसानों के हितों के प्रतिकूल फैसले नहीं लिए जा सकते। किसी सरकार को बहुमत के गुरूर में नहीं रहना चाहिए। केंद्र और राज्य की संसदों से बड़ी ‘जनसंसद’ होती है और इसका निर्णय सब पर भारी पड़ता है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण को वापस लिया जाना चाहिए और इससे संबंध कानून को किसानों के हितों के अनुरूप बनाना चाहिए। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में कोई अंतर नहीं है।