श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के साथ-साथ आवाहन व अग्नि तथा निरंजनी एवं आनंद अखाड़ों ने भी अपने-अपने साधुओं के साथ स्नान का पुण्य अर्जित किया। इसके बाद महानिर्वाणी, पंच अटल अखाड़ों का स्नान हुआ। दूधिया रोशनी में नहाये घाट और शिप्रा के जल में साधुओं को डुबकियां लगाते देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर बड़ी श्रद्धा के साथ उन्हें निहार रहे थे।
एक तरफ दत्त अखाड़ा पर शैव अखाड़ों का स्नान हो रहा था, तो दूसरी ओर रामघाट पर वैष्णव अखाड़ों के स्नान की तैयारियां चल रही थी। रामघाट पर सबसे पहले निर्वाणी अणि अखाड़ा, दिगम्बर अणि अखाड़ा और बाद में निर्मोही अणि अखाड़े के साधु संतों ने स्नान किया। तत्पश्चात श्री पंचयती बड़ा उदासीन अखाड़ा, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा एवं निर्मल अखाड़े के साधु संतों ने शानदार जुलूस के रूप में रामघाट पहुंचकर स्नान किया। स्नान के लिए दोनों ओर साधु-संत, हाथी, घोड़े और बग्घियों में सवार होकर आन, बान, शान से शिप्रा तट पर पहुंचे। बारह वर्षों में एक बार होने वाले इस आयोजन के लाखों श्रद्धालु साक्षी बने।
मोक्ष के लिए शिप्रा स्नान
इस सदी के दूसरे सिंहस्थ के दूसरे शाही स्नान में तड़के से ही दत्त अखाड़ा घाट, रामघाट, नृसिंह घाट, सुनहरी घाट सहित अन्य घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने स्नान पर्व का लाभ लेते हुए मां शिप्रा के पवित्र जल में डुबकियां लगाई। माना जाता है कि अमृत की चाह में देव दानवों में हुए संघर्ष के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदे हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक की नदियों में छलक गई थी। इसी की स्मृति में प्रत्येक बारह वर्षों बाद इन स्थानों पर कुंभ पर्व का आयोजन होता है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार गुरु जब सिंह राशि में होते हैं और मेष राशि में सूर्य होता है, तब उज्जैन में सिंहस्थ होता है। जानकार उज्जैन सिंहस्थ का इसलिए अधिक महत्व देते हैं क्योंकि यहां पर शिप्रा स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। शिप्रा को मोक्षदायिनी नदी माना गया है। अक्षय तृतीया पर्व के अवसर पर उज्जैन में लाखों लोगों ने शाही स्नान के दिन मोक्ष की चाह में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया।
शैव अखाड़ों का शाही स्नान
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा- यह अखाड़ा स्नान के लिए भूखी माता स्थित छावनी से जुलूस के रूप में प्रात: 3.20 रवाना होकर 4 बजे दत्त अखाड़ा घाट पर पहुंचा और स्नान के बाद पुन: अपनी छावनी के लिए रवाना हुआ। जूना अखाड़ा के साथ हनुमान गढ़ी के पास से आवाहन एवं अग्नि अखाड़े बड़नगर रोड होते हुए भूखी माता मार्ग पर जूना अखाड़े के जुलूस में शामिल होकर स्नान के लिए प्रात: 4 बजे दत्त अखाड़ा पर पहुंचे और स्नान कर दत्त अखाडा से वापस भूखी माता मार्ग होते हुए बड़नगर मार्ग से वापस अपने पड़ाव स्थल के लिए रवाना हुए।
श्री तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा एवं श्री पंचायती आनंद अखाड़ा- श्री निरंजनी अखाड़ा एवं पंचायती आनंद अखाड़ा बड़नगर रोड स्थित अपनी छावनी से निकलकर शंकराचार्य चौक से छोटी रपट, दत्त अखाड़ा घाट पर प्रात: 5 बजे पहुचकर स्नान किया। इसके बाद पुन: उसी मार्ग से अपनी छावनी के लिए रवाना हुआ।
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा एवं पंच अटल अखाड़ा- श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा एवं पंच अटल अखाड़ा बड़नगर रोड छावनी से शंकराचार्य चौक होते हुए छोटी रपट, केदारघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट पर प्रात: 6 बजे पहुंचकर स्नान किया और पुन: इसी मार्ग से छावनी की ओर रवाना हुआ।
वैष्णव अखाड़ों का स्नान क्रम
श्री निर्वाणी अणि अखाड़ा- यह अखाड़ा मंगलनाथ केम्प से खाक चौक, कंठाल,गोपाल मंदिर, गुदरी चौक, रामानुज कोट होते हुए प्रात: 7 बजे रामघाट पहुंचा और अमृत स्नान किया। इसके बाद पुन: छावनी के लिए रवाना हुआ।
श्री दिग्मबर अणि अखाड़ा- श्री दिगम्बर अणि अखाड़ा मंगलनाथ छावनी से खाक चौक, कंठाल, गोपाल मंदिर, गुदरी चौक, रामानुज कोट होते हुए प्रात: 8 बजे रामघाट पहुंचकर स्नान के बाद पुन: इसी मार्ग से छावनी की ओर रवाना हुआ।
श्री निर्मोही अणि अखाड़ा- श्री निर्मोही अणि अखाड़ा मंगलनाथ छावनी से खाक चौक, कंठाल, गोपाल मंदिर, गुदरी चौक, रामानुज कोट होते हुए प्रात: 9 बजे रामघाट पहुंचा। यहां स्नान के बाद पुन: अपनी छावनी के लिए रवाना हुआ।
उदासीन एवं निर्मल अखाड़ों का स्नान
श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा रामघाट- श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा छोटी रपट, दानी गेट, मोढ़ की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, बड़ा उदासीन अखाड़े के सामने से बम्बई धर्मशाला होते हुए प्रात: 10.30 बजे रामघाट पहुंचकर स्नान किया और इसी रास्ते से वापस अपने अखाड़े में पहुंचा।
श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा- यह अखाड़ा बड़नगर स्थित छावनी से शंकराचार्य चौराहा, छोटी रपट होते हुए रामघाट 10.30 बजे पहुंचा और स्नान कर पुन: इसी मार्ग से वापस अपनी छावनी के लिए रवाना हो गया।
श्री निर्मल अखाड़ा – इस अखाड़े के साधु-संत बड़नगर स्थित छावनी से रवाना होकर 11.40 बजे रामघाट पहुंचे और स्नान किया तथा इसी मार्ग से वापसी करते हुए पुन: छावनी पहुंचे।
शाही स्नान में अखाड़ों के सभी महामण्डलेश्वर एवं खालसों ने शामिल होकर अपने अखाड़ों के साथ स्नान किया। अखाड़ों के लिए निर्धारित समय तक रामघाट व दत्त अखाड़ा घाट पर आम श्रद्धालुओं के स्नान के लिए प्रवेश प्रतिबंधित रहा। अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान के लिए पहुंचना शुरू हो गए और देखते ही देखते रामघाट पर असीम आस्था से लबरेज जन सैलाब शाही स्नान में अमृतपान के लिए उमड़ पड़ा।
प्रभारी मंत्री ने लिया व्यवस्थाओं का जायजा
प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने शाही स्नान के दिन रविवार व सोमवार की दरमियानी पूरी रात रामघाट एवं राणौजी की छत्री पर स्वयं मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने कन्ट्रोल रूम में बैठकर वाइड स्क्रीन पर शहर एवं मेला क्षेत्र में यातायात एवं भीड़ प्रबंधन का व्यवस्था का अवलोकन किया। प्रभारी मंत्री ने रामघाट का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं के संबंध में श्रृद्धालुओं से चर्चा की। उन्होंने राणौजी की छत्री एवं बड़ा उदासीन अखाड़े से धूधिया रोशनी में छिलमिलाती शिप्रा और उसके तटों पर स्नान करते साधुओं और श्रृद्धालुओं के मनोरम दृश्य भी देखा। संभागायुक्त् डॉ.रवीन्द्र पस्तोर, आईजी व्ही.मधुकुमार, डीआईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक एमएस वर्मा ने भी रविवार की पूरी रात रामघाट पर मौजूद रहकर शाही स्नान की व्यवस्थाओं को नियंत्रित किया। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.नरोत्म मिश्रा ने भी उज्जैन पहुंचकर शिप्र के तट पर शाही स्नान के दिन स्नान किया।