पूरा सागर पार करने के बाद किनारे पर डूबने का डर निकाल दें दिल से

पीएम मोदी ने छात्रों से की वार्षिक परीक्षा पर चर्चा नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वार्षिक परीक्षा पर चर्चा के दौरान छात्रों से बातचीत की और उन्हें परीक्षा को त्योहार के रूप में मनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि किनारे पर आकर डूबने का डर मन से निकाल दें, परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। तालकटोरा स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि यह मेरा पसंदीदा कार्यक्रम है, लेकिन कोविड के कारण मैं आपसे नहीं मिल सका। इससे मुझे विशेष खुशी मिलती है क्योंकि मैं आपसे लंबे समय बाद मिल रहा हूं। पीएम मोदी ने कहा कि कौन तनाव में है? आप या आपके माता-पिता? यहां और भी लोग हैं जिनके माता-पिता तनाव में हैं। अगर हम परीक्षा को एक त्योहार बनाते हैं तो यह जीवंत महसूस होगा और खुशियां देगा। एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का देश के हर वर्ग ने तहे दिल से स्वागत किया है। गुजरात के वडोदरा के केनी पटेल ने पूछा कि उचित रिवीजन के साथ-साथ कोई भी पाठ्यक्रम कैसे पूरा किया जा सकता है और उचित नींद भी ले सकती हूं। इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तुम क्यों डर रहे हो? यह पहली बार नहीं है जब आप परीक्षा दे रहे हैं। अब आप अंतिम मील तक पहुंच रहे हैं। आपने पूरा सागर पार कर लिया है, आप किनारे पर डूबने से क्यों डरते हैं।

माध्यम नहीं मन समस्या
पीएम से दूसरा सवाल सोशल मीडिया की एडिक्शन के बारे में पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होता है और मन कहीं और होता है। पीएम ने कहा कि जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
ऑनलाइन की शिक्षा ऑफलाइन में साकार करें
पीएम मोदी ने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से चीजों को पा सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रखें। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है, ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन को अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करें।
खेले बिना कोई खिल नहीं सकता
नई शिक्षा नीति के सवाल पर पीएम ने कहा कि यह न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है, जो व्यक्तित्व के विकास पर जोर दे रही है। ज्ञान के भंडार से ज्यादा जरूरी स्किल डेवलपमेंट है। हमने इस तरह का खाका बनाया है, जिसमें अगर पढ़ाई के बीच में आपको मन ना लगे, तो आप छोड़ कर दूसरा कोर्स भी कर सकते हैं। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। पीएम ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता। किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है।
बच्चों के सपनों को नहीं समझना, मां-बाप की कमी
पीएम ने मां-बाप को बच्चों की सिचुएशन समझने के सवाल के जवाब में कहा कि मां-बाप जो अपने जीवन में करना चाहते थे, उसे बच्चों पर लागू करना चाहते हैं। माता-पिता आज के दौर में अपनी महत्वाकांक्षा और सपने को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। दूसरी बात टीचर भी अपने स्कूल का उदाहरण देकर उस पर दबाव बनाते हैं। हम बच्चों के स्किल को समझने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कई बार बच्चे लड़खड़ा जाते हैं।
उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानी शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था।
बच्चों को समझने की कोशिश करें माता-पिता
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर बच्चे की अपनी एक विशेषता होती है। परिजनों या शिक्षकों के तराजू में वो फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष ताकत के साथ भेजा है। ये मां-बाप की कमी है कि आप उसकी सामर्थ को, उसके सपनों को समझ नहीं पा रहे हैं। इससे आपकी बच्चों से दूरी भी बढ़ने लगती है।
हताशा की असली वजह जानें, मोटिवेशन का इंजेक्शन नहीं होता
पीएम मोदी ने मोटिवेशन के सवाल के जवाब में कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। कोई फॉर्मूला नहीं होता है। आप खुद देखें कि कौन सी ऐसी चीज है, जिससे आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। अपनी हताशा की असली वजह जानें। किसी पर निर्भर न रहें। अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों चीजों को समझें। इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और किसी दूसरे के मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अपनी परीक्षा खुद लेते रहें, नई दिशा मिलेगी
पीएम मोदी ने कहा कि खुद की परीक्षा लें, मेरी किताब एग्जाम वॉरियर्स में लिखा है कि कभी एग्जाम को ही एक चिट्ठी लिख दो-हे डियर एग्जाम, मैं इतना सीख कर आया हूं। इतनी तैयारी की है तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले। मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखा दूंगा। रीप्ले करने की आदत बनाइए। एक दूसरे को सिखाइए।
परीक्षा में भूलने पर कहा-जहां हैं उस पल को जी भरकर जिएं
पढ़ी हुई चीजें एग्जाम हॉल में भूलने के सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि आप यहां बैठे हैं और सोच रहे हैं कि मम्मी घर पर टीवी देख रही होंगी। मतलब आप यहां नहीं हैं, आपका ध्यान कहीं ओर है। ध्यान को सरलता से स्वीकार कीजिए। यह कोई साइंस नहीं है। आप जहां वर्तमान में हैं उस पल को जी भरकर जीने की कोशिश कीजिए। ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है।
योग्य बनने को पढ़ा है, तो रिजल्ट की चिंता न करें
छात्रों के दो एग्जाम होने पर क्या करें, सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि मैं नहीं मानता कि हमें परीक्षा के लिए पढ़ना चाहिए, गलती वहीं हो जाती है। मैं इस परीक्षा के लिए पढूंगा, फिर मैं उस परीक्षा के लिए पढूंगा। इसका मतलब हुआ कि आप पढ़ नहीं रहे हैं, आप उन जड़ी-बूटियों को खोज रहे हैं जो आपका काम आसान कर दें। अगर आपने योग्य बनने के लिए पढ़ा है, तो परिणाम की चिंता न करें। इसलिए अपने आप को परीक्षा के लिए तैयार करने में दिमाग खपाने की बजाए, खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। एक खिलाड़ी जब अभ्यास करता है, तो वो यह नहीं देखता कि तहसील स्तर पर खेलना हैं या जिला स्तर पर खेलना है। वो सिर्फ खेलता है।
कॉम्पिटिशन के बिना जिंदगी कैसी, उसे इनवाइट करें
प्रधानमंत्री ने कहा कि कॉम्पिटिशन को हमें जीवन की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए। अगर कॉम्पिटिशन ही नहीं है तो जिंदगी कैसी। सच में तो हमें कॉम्पिटिशन को इनवाइट करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है। कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना आकलन भी कर सकते हैं।
बेटे-बेटियों में अंतर न करें, आज बेटी परिवार की शक्ति बन गई हैं
पीएम मोदी ने कहा कि बेटे और बेटियों में अंतर न करें। बेटियों को नया अवसर मिलना चाहिए। आज बेटी हर परिवार की शक्ति बन गई है। इसलिए बेटियों के सामर्थ का सम्मान बहुत जरूरी है। समाज बेटियों के सामर्थ को जानने में अगर पीछे रह गया, तो वो समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। मैंने ऐसी कई बेटियां देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप के सुख और उनकी सेवा के लिए शादी तक नहीं की और अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। आज खेलकूद में भारत की बेटियां हर जगह पर अपना नाम रोशन कर रही हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी बेटियों का आज पराक्रम दिखता है। 10वीं, 12वीं में भी पास होने वालों में बेटियों की संख्या ज्यादा होती हैं।
सेल्‍फ असेसमेंट करें और कंफर्टेबल हो पढ़ाई करें
पढ़ाई कैसे करें के सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि एक फिल्‍म याद आई है, जिसमें रेलवे स्‍टेशन के पास रहने वाले एक व्‍यक्ति को बंगले में रहने का अवसर मिलता है। वहां उसे नींद नहीं आती तो वह रेलवे स्‍टेशन जाकर रेलगाड़‍ियों की आवाज रिकार्ड करता है और वापस आकर टेप रिकॉर्डर में सुनकर फिर सोता है। उन्होंने कहा कि हमें कंफर्टेबल होना जरूरी है। इसके लिए सेल्‍फ असेसमेंट करें और देखें कि आप कब और कैसे पढ़ाई के लिए कंफर्टेबल होते हैं।
यूज एंड थ्रो कल्चर को रोकना होगा
पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरा विश्व ग्लोबल वॉर्मिग के कारण परेशान है। इसलिए हमें यूज एंड थ्रो कल्चर को रोकना होगा और री-साइकल पर शिफ्ट होना होगा। हमारा दायित्व है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ देकर जाएं। हमे प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों चाहिए। इसके लिए हमें दुनिया में P3 यानी प्रो प्लैनेट पीपल मूवमेंट चलानी होगी। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के अंत में सभी अनाउंसर छात्रों को मंच पर बुलाकर बधाई दी।
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा पिछले चार वर्षों से परीक्षा पे चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के पहले तीन चरण दिल्ली में एक इंटरैक्टिव टाउन-हॉल प्रारूप में आयोजित किए गए थे और चौथा संस्करण पिछले साल 7 अप्रैल को ऑनलाइन आयोजित किया गया था।